UP: सर्विस टैक्स चोरी में फंसीं 400 से अधिक कंपनियां, मचा हड़कंप

गड़बड़ी को लेकर वाणिज्य कर विभाग का मानना है कि यह चोरी अरबों रुपये तक पहुंचने की संभावना है। विभाग को वास्तविक टैक्स चोरी का आकलन करने में कई महीने लग सकते हैं।

By JP YadavEdited By: Publish:Mon, 15 Apr 2019 09:41 AM (IST) Updated:Mon, 15 Apr 2019 12:04 PM (IST)
UP: सर्विस टैक्स चोरी में फंसीं 400 से अधिक कंपनियां, मचा हड़कंप
UP: सर्विस टैक्स चोरी में फंसीं 400 से अधिक कंपनियां, मचा हड़कंप

नोएडा [सुरेंद्र राम]। दूरसंचार और डायरेक्ट टू होम (डीटीएच) मल्टी रिचार्ज सेवा उपलब्ध कराने वाली 400 से अधिक कंपनियां सर्विस टैक्स चोरी की जांच के दायरे में आ गई हैं। इनमें से ज्यादातर कंपनियां उत्तर प्रदेश के कई जिलों में स्थित हैं, जबकि कुछ एनसीआर में भी हैं। वाणिज्य कर विभाग को इन कंपनियों पर सर्कुलर ट्रेडिंग के जरिये टैक्स चोरी करने का शक है। छापेमारी में सीज किए गए इलेक्ट्रॉनिक डाटा को जांच के लिए फोरेंसिक लैब भेजा जाएगा। लैब रिपोर्ट के आधार पर शक के दायरे में आईं इन 400 कपंनियों में हुई खरीद-बिक्री की सौ फीसद जांच की जाएगी। वाणिज्य कर विभाग का मानना है कि यह चोरी अरबों रुपये तक पहुंचने की संभावना है। विभाग को वास्तविक टैक्स चोरी का आकलन करने में कई महीने लग सकते हैं।

वाणिज्य कर विभाग, लखनऊ मुख्यालय के ज्वाइंट कमिश्नर संजय पाठक का कहना है कि छापेमारी में शामिल सभी कंपनियां दूर संचार व डीटीएच मल्टी रिचार्ज सेवा प्रदान करती हैं। इन कंपनियों के लेन-देन की जांच में टैक्स चोरी का शक हुआ था। इस मामले को शासन के संज्ञान में लाया गया। इसके बाद एक साथ छापेमारी की गई। अभी दावा नहीं कर सकते हैं कि इन कंपनियों ने कितना टैक्स चोरी किया है। वहीं, इस जांच के दायरे में अब 400 से अधिक कंपनियां आ गई हैं। जब्त डाटा की फोरेंसिक रिपोर्ट आने पर जांच में तेजी आएगी। सभी कंपनियों की खरीद-बिक्री का मिलान किया जाएगा। इसके बाद स्थिति साफ हो सकेगी कि कंपनियों ने सरकार को कितने राजस्व का नुकसान पहुंचाया है।

सिर्फ कागजों में खरीद-बिक्री दिखा करते हैं टैक्स चोरी

ज्वाइंट कमिश्नर ने बताया कि इस तरह की कंपनियां सिर्फ कागजों में खरीद बिक्री दिखा कर टैक्स चोरी करती हैं। मसलन, कोई सीमेंट कंपनी ने किसी एजेंसी को 5 लाख का सीमेंट बेचा। एजेंसी ने कंपनी को टैक्स दिया और दुकानदार को टैक्स लेकर सीमेंट बेच दिया। कंपनी और एजेंसी ने टैक्स दे दिया, लेकिन दुकानदार ने सीमेंट उन्हें बेच दिया, जिन्होंने बिल नहीं लिया। ऐसे में दुकानदार का टैक्स इनवाइस खाली है और उसने सरकार को टैक्स नहीं दिया। अब किसी बिल्डर ने करोड़ों रुपये टैक्स चोरी करने के लिए दुकानदार से वह इनवाइस कुछ रुपये देकर खरीद लिया। ऐसी चोरी पकड़ना आसान नहीं है। इसी तरह इलेक्ट्रॉनिक डाटा बेचने वाली कंपनियां भी सकरुलर ट्रे¨डग के जरिए एक-दूसरे से कागजों में खरीद बिक्री दिखा कर टैक्स चोरी कर रही हैं।

12 अप्रैल को पांच शहरों में 10 कंपनियों में हुई थी छापेमारी

मालूम हो कि वाणिज्य कर विभाग व यूपी एसटीएफ ने 12 अप्रैल को संयुक्त रूप से नोएडा, लखनऊ, प्रयागराज, खीरी व प्रतापगढ़ में एक साथ 10 कंपनियों पर छापेमारी कर 13.09 करोड़ रुपये की सर्विस टैक्स चोरी पकड़ी थी। इन कंपनियों के सर्वर में मौजूद इलेक्ट्रॉनिक डाटा को सीज किया गया है। यह कंपनियां दूर संचार व डायरेक्ट टू होम (डीटीएच) मल्टी रिचार्ज सेवा उपलब्ध कराती हैं। आरोप है कि यह कंपनियां टॉक वैल्यू की खरीद-बिक्री सिर्फ कागजों में दिखा कर केंद्र व राज्य सरकार को करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान पहुंचाया है।

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