Delhi Politics: दिल्ली का 'नीरो' कौन? कोई समझ न पाया भाजपा नेता के ट्वीट का मतलब

भाजपा नेताओं व कार्यकर्ताओं को समझ नहीं आ रहा है कि महामंत्री किस रोम व नीरो की यहां बात कर रहे हैं। कहीं नाराज होकर अपनी पार्टी के नेताओं पर तो निशाना नहीं साध रहे?

By JP YadavEdited By: Publish:Thu, 13 Aug 2020 11:48 AM (IST) Updated:Thu, 13 Aug 2020 11:48 AM (IST)
Delhi Politics: दिल्ली का 'नीरो' कौन? कोई समझ न पाया भाजपा नेता के ट्वीट का मतलब
Delhi Politics: दिल्ली का 'नीरो' कौन? कोई समझ न पाया भाजपा नेता के ट्वीट का मतलब

नई दिल्ली [संतोष कुमार सिंह]। Delhi Politics: दिल्ली भाजपा के महामंत्री रविंद्र गुप्ता आजकल अपने ट्वीट को लेकर चर्चा में रह रहे हैं। कुछ दिन पहले उनके एक ट्वीट व फोटो को लेकर खूब हंगामा हुआ था। यूं कहें कि नेताजी की फजीहत हुई थी। उन्होंने जलभराव से संबंधित दूसरे शहर की फोटो को दिल्ली का बताते हुए ट्वीट किया तो वे हंसी का पात्र बन गए। अब एक बार फिर से उनका एक ट्वीट चर्चा में है। उन्होंने दिल्ली भाजपा के प्रभारी, अध्यक्ष व अन्य बड़े नेताओं के साथ ही प्रदेश की नई टीम बनाने की जिम्मेदारी संभाल रहे राष्ट्रीय महामंत्री अरुण सिंह को टैग करते हुए लिखा कि 'रोम जल रहा था, और नीरो बांसुरी बजा रहा था।' अब भाजपा नेताओं व कार्यकर्ताओं को समझ नहीं आ रहा है कि महामंत्री किस रोम व नीरो की यहां बात कर रहे हैं। कहीं नाराज होकर अपनी पार्टी के नेताओं पर तो निशाना नहीं साध रहे?

भादों में जेठ से मुसीबत

सार्वजनिक जीवन, खासकर सियासत में व्यक्ति के खुद के साथ ही रिश्तेदारों का कर्म भी मायने रखता है। किसी रिश्तेदार के कारनामे उसे मुसीबत में डाल सकते हैं। कई बार तो उसके साथ ही उसकी पूरी पार्टी कठघरे में खड़ी हो जाती है। दिल्ली भाजपा भी आजकल अपनी एक नेता के रिश्तेदार की वजह से सवालों के घेरे में है। आम आदमी पार्टी (आप) निशाना साध रही है और पार्टी के नेता बचाव की मुद्रा में हैं। दरअसल, आप के नेता दुर्गेश पाठक ने एक ऑडियो क्लिप सार्वजनिक कर भाजपा पार्षद रजनी पांडेय के जेठ निशांत पांडेय पर बिल्डर से उगाही करने का आरोप लगाया है। इस हमले से भादों की रिमझिम फुहारों का आनंद उठा रहे भाजपा नेताओं को सफाई देनी पड़ रही है। प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता सहित अन्य नेता आरोप को खारिज कर रहे हैं। साथ ही पार्टी पार्षद से जवाब-तलब भी किया जा रहा है।

झाड़ू वाले नेताजी की खोज

इन दिनों 'गंदगी दिल्ली छोड़ो' अभियान चल रहा है। अब यह न पूछिए कि यह अभियान कागज पर है, घोषणा में है या फिर हकीकत में? यदि मान लें कि हकीकत में अभियान चल रहा है तो हाथों में झाड़ू लिए कैमरे पर चेहरा चमकाते नेताजी कहां गए? क्योंकि, पहले चलने वाले स्वच्छता अभियान में इस तरह के दृश्य आम थे। जगह-जगह नेताजी द्वारा झाड़ू लगाने की रस्म अदायगी होती थी। फोटो खींचे जाते थे। इसी बहाने कुछ स्थानों पर सफाई भी हो जाती थी, लेकिन इस बार कहीं भी यह नजारा नहीं दिख रहा है। इसके पीछे का कारण शायद भाजपा के नेता ही बता सकें, क्योंकि उन्होंने ही प्रधानमंत्री के आह्वान पर यह अभियान शुरू किया है। इसे किस तरह से चलाया जा रहा है इसकी बेहतर जानकारी उनसे ही मिल सकेगी। फिलहाल तो जमीन पर कोई भी भाजपा नेता इसे लेकर गंभीर नहीं दिख रहा है।

भा गई दिल्ली की सियासत

किसी की आस्था कब बदल जाए, इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है। सियासत में तो यह और भी अनिश्चित है। यहां आस्था बदलने का सबसे मजबूत पैमाना सियासी तरक्की है। पद और कद बढ़ने की संभावना दिखते ही वर्षों पुरानी पार्टी को नमस्कार बोलने में वक्त नहीं लगाते हैं। राजनीति में यह आम बात है, लेकिन कई बार पाला बदलने का यह खेल लोगों को समझ नहीं आता है। पिछले दिनों भाजपा में शामिल हुए कांग्रेस नेता रामकुमार वालिया को लेकर भी कार्यकर्ता असमंजस में हैं। कार्यकर्ताओं का कहना है कि दिल्ली भाजपा कार्यालय में अमूमन राजधानी की सियासत से जुड़े नेता ही पार्टी की सदस्यता लेते हैं। इसके विपरीत वालिया को पार्टी में शामिल करते हुए उनका परिचय उत्तराखंड के नेता और वहां की पूर्व कांग्रेस सरकार में दर्जा प्राप्त मंत्री के तौर पर दिया गया। अब दिल्ली में उनकी क्या भूमिका होगी, यह तो वक्त ही बताएगा।

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