सीईटीपी के प्रदर्शन में सुधार के लिए नीरी ने दिया अल्पकालिक और दीर्घकालिक योजनाओं का प्रस्ताव

निर्धारित मानकों का पालन करने में कामन इफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीईटीपी) के लगभग दो साल तक विफल रहने के बाद नेशनल इंस्टीटयूट आफ एन्वायरमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च (नीरी) ने सीईटीपी के प्रदर्शन में सुधार के लिए अल्पकालिक और दीर्घकालिक योजनाओं का प्रस्ताव दिया है।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Publish:Mon, 09 Aug 2021 02:17 PM (IST) Updated:Mon, 09 Aug 2021 02:17 PM (IST)
सीईटीपी के प्रदर्शन में सुधार के लिए नीरी ने दिया अल्पकालिक और दीर्घकालिक योजनाओं का प्रस्ताव
जमा कीचड़ की बड़ी मात्रा को हटाने के लिए अल्पकालिक योजना है।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। निर्धारित मानकों का पालन करने में कामन इफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीईटीपी) के लगभग दो साल तक विफल रहने के बाद नेशनल इंस्टीटयूट आफ एन्वायरमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च (नीरी) ने सीईटीपी के प्रदर्शन में सुधार के लिए अल्पकालिक और दीर्घकालिक योजनाओं का प्रस्ताव दिया है। वहीं यमुना से संबंधित परियोजनाओं की प्रगति की निगरानी कर रही केंद्रीय निगरानी समिति (सीएमसी) ने एक रिपोर्ट में कहा है कि अल्पकालिक योजना बड़ी मात्रा में गाद को हटाने में सक्षम है जबकि दीर्घकालिक योजना से सीईटीपी का उन्नयन संभव है।

दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) ने पिछले महीने ही 13 सीईटीपी से जुड़े 17 औद्योगिक क्षेत्रों में 1,065 जल प्रदूषण करने वाले उद्योगों को बंद करने के निर्देश जारी किए। डीपीसीसी ने जुलाई में सभी 13 सीईटीपी को नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए थे या उन्हें बंद कर दिया जाएगा। निगरानी पैनल की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली के विशेष आयुक्त (उद्योग) ने बताया कि सीईटीपी को बंद करने की कोई योजना नहीं है और सीईटीपी के प्रदर्शन में सुधार के लिए नीरी को लगाया गया है। जमा कीचड़ की बड़ी मात्रा को हटाने के लिए अल्पकालिक योजना है।

खतरनाक कचरे के लिए उपचार, भंडारण और निपटान सुविधा (टीएसडीएफ) साइट जल्द ही शुरू होने जा रही है, जिससे सीईटीपी के प्रदर्शन में सुधार होगा। सीईटीपी के उन्नयन के लिए दीर्घकालिक योजना है। हाल ही में नीरी ने तीन सीईटीपी के उन्नयन के विकल्प दिए हैं, जिनकी जांच की जा रही है। इसके बाद सभी सीईटीपी सोसायटियों को सीईटीपी के उन्नयन के लिए जल्द से जल्द निर्देश दिए जाएंगे।

यह भी सुझाव दिया गया था कि डीपीसीसी को उन उद्योगों के लिए आउटलेट मापदंडों को अधिसूचित करना होगा जो सीईटीपी के लिए इनलेट मानदंडों के अनुसार अनुमत हैं। इसके अलावा चूंकि कुछ अपशिष्टों को बरसाती नालों में छोड़ा जा रहा है, इसलिए प्रायोगिक आधार पर सीईटीपी में वजीराबाद से एक नाले में अपशिष्ट जल का उपचार करने का प्रस्ताव किया गया था।

हालांकि इस संबंध में दिल्ली जल बोर्ड से एनओसी का इंतजार है। डीपीसीसी के अनुसार मासिक विश्लेषण रिपोर्ट से पता चलता है कि 12 सीईटीपी जैव रासायनिक घुलित आक्सीजन, कुल घुलित ठोस, कुल निलंबित ठोस, क्लोराइड और सल्फाइड के संदर्भ में लगभग दो वर्षों से निर्धारित जल गुणवत्ता मानकों को पूरा नहीं कर रहे हैं। पर्यावरण विभाग द्वारा दायर मासिक प्रगति रिपोर्ट के अनुसार 17 औद्योगिक इकाइयों में स्थित 33,690 औद्योगिक इकाइयां इन सीईटीपी से जुड़ी हैं। 212.3 मिलियन लीटर प्रतिदिन के अपशिष्ट के उपचार की कुल क्षमता के साथ दिल्ली में 13 सीईटीपी चालू हैं।

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