Metro Man E Sreedharan: मेट्रो मैन ई. श्रीधरन का आखिरकार टूटा DMRC से नाता, उपलब्धि रही है बेमिसाल

Metro Man E Sreedharan दिल्ली में दिल्ली मेट्रो के सपने को हकीकत का जामा पहनाने वाले ई. श्रीधरन 1995 से 2012 तक दिल्ली मेट्रो के निदेशक रहे। इस दौरान दिल्ली मेट्रो को जिस तरह उन्होंने रफ्तार दी उससे उन्हें देश के मेट्रो मैन के रूप में भी जाना जाता है।

By Jp YadavEdited By: Publish:Thu, 11 Mar 2021 01:16 PM (IST) Updated:Thu, 11 Mar 2021 01:40 PM (IST)
Metro Man E Sreedharan: मेट्रो मैन ई. श्रीधरन का आखिरकार टूटा DMRC से नाता, उपलब्धि रही है बेमिसाल
मेट्रो मैन श्रीधरन औपचारिक रूप से दिल्ली मेट्रो से अलग हो गए हैं।

नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। Metro Man E Sreedharan:  अपने उम्दा नेतृत्व और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में दिल्ली मेट्रो को रफ्तार देने वाले मेट्रो मैन ई. श्रीधरन का नाता आखिरकार दिल्ली मेट्रो रेल निगम (Delhi Metro Rail Corporation) से टूट ही गया। पिछले दिनों ई. श्रीधरन ने दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (डीएमआरसी) के प्रधान सलाहकार के पद से इस्तीफा दे दिया है। दिल्ली मेट्रो ने भी  इस इस्तीफे के पुष्टि करते हुए कहा कि मेट्रो मैन श्रीधरन औपचारिक रूप से दिल्ली मेट्रो से अलग हो गए हैं। 

पद्म विभूषण से भी सम्मानित 7 साल तक रहे थे दिल्ली मेट्रो के निदेशक

12 जून, 1932 को केरल में जन्में ई. श्रीधरन को एक प्रख्यात सिविल इंजीनियर के रूप में शुमार किया जाता है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में दिल्ली मेट्रो के सपने को हकीकत का जामा पहनाने वाले ई. श्रीधरन 1995 से 2012 तक दिल्ली मेट्रो के निदेशक रहे। इस दौरान दिल्ली मेट्रो को जिस तरह उन्होंने रफ्तार दी, उससे उन्हें देश के 'मेट्रो मैन' के रूप में भी जाना जाता है। उनके उम्दा कामों को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें 2001 में पद्म श्री और फिर बाद 2008 में पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया।

4 मार्च को आखिरी बार नजर आए थे

मेट्रो मैन ई श्रीधरन दिल्ली मेट्रो की यूनिफॉर्म में ही ज्यादातर बार नजर आए। ये तस्वीरें उनके काम की पहचान बनीं। बताया जा रहा है कि मेट्रो मैन श्रीधरन ने नवंबर, 1997 में पहली बार डीएमआरसी की यूनिफॉर्म पहनी थी। इसके बाद वह जब भी नजर आए तो उनकी यह यूनिफॉर्म उनके काम के दौरान हिस्सा रही। आखिर बार 4 मार्च को श्रीधरन दिल्ली मेट्रो की यूनिफॉर्म में नजर आए थे। मिली जानकारी के मुताबिक, पलारीवेट्टम में एक निर्माणाधीन फ्लाईओवर के निरीक्षण का मौका था। इसे डीएमआरसी ने सिर्फ 5 महीने के रिकॉर्ड समय में पुनर्निर्मित कर दिया था।

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