जानिए- क्यों दिल्ली की सातों सीटों के चुनावी नतीजे आने में हो सकती है 6 घंटे तक की देरी

दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के मुताबिक ‘वोटर वेरीफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल’ (वीवीपैट) की गणना की जाएगी। ऐसे में परिणाम में देरी होगी।

By JP YadavEdited By: Publish:Mon, 20 May 2019 07:33 PM (IST) Updated:Mon, 20 May 2019 08:05 PM (IST)
जानिए- क्यों दिल्ली की सातों सीटों के चुनावी नतीजे आने में हो सकती है 6 घंटे तक की देरी
जानिए- क्यों दिल्ली की सातों सीटों के चुनावी नतीजे आने में हो सकती है 6 घंटे तक की देरी

नई दिल्ली, प्रेट्र। lok Sabha Election 2019: आम चुनाव-2019 के लिए चुनाव प्रक्रिया पूरी करने की कड़ी में 23 मई को दिल्ली की सातों सीटों (नई दिल्ली, पूर्वी दिल्ली, दक्षिणी दिल्ली, पश्चिमी दिल्ली, उत्तर पूर्वी दिल्ली, उत्तर पश्चिमी दिल्ली और चांदनी चौक) पर भी मतगणना होगी, लेकिन परिणाम आने में 5-6 घंटे की देरी हो सकती है। 

इस बारे में समाचार एजेंसी प्रेस ट्रस्ट इंडिया (PTI) से बातचीत में दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) रणबीर सिंह ने कहा है कि 23 मई को मतगणना के दिन वीवीपैट (Voter-verified paper audit trail) पर्चियों की गिनती के चलते दिल्ली की सात लोकसभा सीटों पर नतीजे घोषित करने में 5-6 घंटे तक की देरी हो सकती है।

मिली जानकारी के मुताबिक, दिल्ली की 70 में से प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र की वीवीपैट मशीन से ईवीएम में पड़े वोटों का मिलान कराया जाएगा जिसमें अधिक समय लगेगा।

रणबीर सिंह ने बताया कि ईवीएम की गिनती पूरी होने के बाद सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के दिशा-निर्देशों के मुताबिक ‘वोटर वेरीफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल’ (वीवीपैट) की गणना की जाएगी। 

कोर्ट के आदेश के मुताबिक, प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र से वीवीपैट की किन्हीं पांच मशीन चयनित की जाएंगी और उनकी पर्चियों की गणना होगी, जिसके लिए हर हॉल में विशेष वीवीपैट गणना बूथ होंगे। इस तरह दिल्ली में 70 विधानसभा क्षेत्र हैं, इस आधार पर 350 वीवीपैट मशीनों की गणना की जाएगी। हर विधानसभा क्षेत्र में 200 मतदान केंद्र हैं और कहीं भी पांच मतदान केंद्रों का चयन किया जाएगा। इससे आधिकारिक परिणाम घोषित करने में देरी होगी, लेकिन रुझानों लगातार जारी किए जाते रहेंगे।

...इसलिए चुनाव परिणाम में होगी देरी
ईवीएम (Electronic Voting Machines) की व्यवस्था लागू होने के बाद पहली बार ऐसा होगा जब मतदान की गणना का काम कुछ लंबा हो गया है। लंबा इसलिए हुआ है क्‍योंकि इस बार वीवीपैट से निकली पांच फीसद पर्चियों का मिलान वोटों से किया जाएगा। यही मतगणना का एक ऐसा तकनीकी पक्ष है, जिसकी वजह से परिणामों में इस बार विलंब हो सकता है। यदि आपने इस लोकसभा चुनाव में वोट डाला है तो आपको या‍द होगा कि ईवीएम में प्रत्‍याशी के सामने का बटन दबाते ही इसके साथ में रखी वीवीपैट यानी वोटर वेरीफाइबल पेपर ऑडिट ट्रेल की स्‍क्रीन पर एक पर्ची दिखाई दी होगी। इस पर प्रत्‍याशी का फोटो और पार्टी का नाम आदि जानकारी अंकित होती है। सात सेकेंड तक यह पर्ची आपको दिखाई देती है। इसके बाद यह उसी में जमा हो जाती है। इसके पीछे मकसद सिर्फ यही है कि चुनाव में किसी भी तरह की धांधली और विवादों को खत्‍म किया जा सके। परिणाम को लेकर हुए विवाद के समय ईवीएम और इससे जुड़ी वीवीपैट मशीन की पर्चियों का मिलान किया जाएगा, जिससे सही परिणाम आ सके और विवाद को खत्‍म किया जा सके।

वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो उस वक्‍त मतदान के लिए ईवीएम का ही इस्‍तेमाल किया गया था। मतगणना के दौरान ईवीएम पर एक बटन दबाने से ही इसका रिजल्‍ट मिल जाता था। लेकिन अब इसके साथ वीवीपैट मशीन जोड़े जाने और पांच प्रतिशत पर्चियों के मिलान की वजह से इस बार की मतगणना में पांच से छह घंटे की देरी हो सकती है। लिहाजा प्रत्‍याशियों को कुछ ज्‍यादा देर अपने परिणाम के लिए इंतजार करना पड़ सकता है।

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