Dairy Farms Guidelines 2021: देशभर में डेयरी फार्म और गोशालाओं के लिए अब पंजीकरण कराना हुआ अनिवार्य
Dairy Farms Guidelines नई गाइडलाइंस के अनुसार अब देश भर में किसी भी डेयरी फार्म या गोशाला का दूषित जल सीधे नालियों में नहीं बहाया जा सकेगा। पहले इसका उपचार करना होगा। इसके लिए कामन इफ्यूलेंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीईटीपी) लगाना होगा।
नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। पर्यावरण संरक्षण के लिए दिल्ली-एनसीआर सहित देश भर में डेयरी फार्म और गोशालाओं के नियम और अब सख्त कर दिए गए हैं। इनके संचालकों को जल एवं वायु प्रदूषण की रोकथाम भी सुनिश्चित करनी होगी और पानी की बर्बादी भी रोकनी होगी। सभी डेयरियों और गोशालाओं का स्थानीय स्तर पर पंजीकरण कराना भी अनिवार्य कर दिया गया है।
गौरतलब है कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने 2020 में पहली बार इस दिशा में देशभर के लिए गाइडलाइंस जारी की थी। 12 पृष्ठों की ‘गाइडलाइंस फार एन्वायरमेंटल मैनेजमेंट आफ डेयरी फार्म एंड गोशाला’ में इनके पर्यावरणीय प्रबंधन, मलमूत्र के यथोचित निष्पादन, इनकी साफ-सफाई व बेहतर रखरखाव को अनिवार्य किया गया था। अब महज एक साल के भीतर ही सीपीसीबी ने संशोधित गाइडलाइंस जारी की हैं। इसी सप्ताह जारी की गई यह गाइडलाइंस अब 51 पृष्ठों की है।
नई गाइडलाइंस के अनुसार अब किसी भी डेयरी फार्म या गोशाला का दूषित जल सीधे नालियों में नहीं बहाया जा सकेगा। पहले इसका उपचार करना होगा। इसके लिए कामन इफ्यूलेंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीईटीपी) लगाना होगा। गाय-भैंस का गोबर वातावरण को प्रदूषत न करे, इसके लिए इसका समुचित भंडारण और उपयोग सुनिश्चित करना होगा। इस दिशा में बायोगैस संयंत्र लगाने और वर्मी कम्पोस्ट खाद बनाने जैसे उपाय भी अपनाए जा सकते हैं। डेयरियों और गोशालाओं पर भी ठोस कचरा प्रबंधन नियम 2016 ही लागू होंगे। डेयरी और गोशालाओं के लिए जल आवंटन भी घटा दिया है। अब एक भैंस के लिए रोजाना 100 लीटर और गाय के लिए 50 लीटर जल ही इस्तेमाल किया जा सकेगा। पहले इन दोनों के ही नहाने और पीने के लिए पानी की मात्र 150 लीटर प्रति पशु प्रति दिन रखी गई थी।
नियम-कायदों का पालन ईमानदारी से हो सके, इसके लिए स्थानीय निकायों और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोडरें की भूमिका को भी और सख्त किया गया है। अब हर छमाही में दो डेयरी फार्म और दो गोशालाओं का आडिट अनिवार्य किया गया है। हर डेयरी व गोशाला सरकारी स्तर पर पंजीकृत हो, इसके लिए जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। सीपीसीब़ी के अधिकारी ने बताया कि संशोधित गाइडलाइंस में एनजीटी के कुछ आदेशों और विभिन्न माध्यमों प्राप्त आपत्तियों एवं सुझाव शामिल किए गए हैं।
डेयरी से ऐसे पहुंचता है पर्यावरण को नुकसान
एक स्वस्थ गाय-भैंस-सांड रोज 15 से 20 किलो गोबर और इतने ही लीटर मूत्र करते हैं। ज्यादातर डेयरी और गोशालाओं से यह सब नाली में बहा दिया जाता है। इससे नाले-नालियां भी जाम होतीं हैं और नदियां भी प्रदूषित होती हैं। गोबर से कार्बन डाइआक्साइड, अमोनिया, हाइड्रोजन सल्फाइड और मीथेन गैस निकलती है, जो वायु मंडल में प्रदूषण ही नहीं, दुर्गंध भी फैलाती हैं।
इन नियमों में मिली रियायत डेयरी और गोशाला आवासीय क्षेत्र और स्कूल-कालेज से 100 मीटर की दूरी पर होनी चाहिए। पहले यह दायरा 200 से 500 मीटर रखा गया था। जलाशयों से इनकी दूरी कम से कम 200 मीटर होनी चाहिए। पहले यह भी 100 से 500 मीटर तक थी।