US के बाद सिर्फ भारत के पास है यह तकनीक, चीन को मिलेगी कड़ी चुनौती

इस तकनीक के तहत लड़ाकू विमान की लैंडिंग के दौरान उसकी हाई स्पीड को भार में बदलकर एयर क्राॅफ्ट अरेस्टर सिस्टम से रोक देगा।

By JP YadavEdited By: Publish:Mon, 07 Jan 2019 02:59 PM (IST) Updated:Mon, 07 Jan 2019 09:04 PM (IST)
US के बाद सिर्फ भारत के पास है यह तकनीक, चीन को मिलेगी कड़ी चुनौती
US के बाद सिर्फ भारत के पास है यह तकनीक, चीन को मिलेगी कड़ी चुनौती

नोएडा [कुंदन तिवारी]। लड़ाकू विमानों की सुरक्षित लैंडिंग में अब भारतीय तकनीकी का इस्तेमाल हो सकेगा। इसमें नोएडा फेस टू स्थित फैरीटेरो इंडिया प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को सफलता मिली है। अमेरिका के बाद भारत दूसरा ऐसा देश हो गया है, जिसने इस तकनीकी को इजाद किया है। इस तकनीक के तहत लड़ाकू विमान की लैंडिंग के दौरान उसकी हाई स्पीड को भार में बदलकर एयर क्राॅफ्ट अरेस्टर सिस्टम से रोक देगा। अभी तक इस तकनीकी सिस्टम में सिर्फ अमेरिका का ही दबदबा था। इस तकनीक में हमारा प्रतिद्वंद्वी चीन अब भारत से काफी रह जाएगा।

नोएडा में तकनीकी विकसित होने की जानकारी के बाद डीआरडीओ ने कंपनी को 'मेक इन इंडिया' के तहत देश में बने उन 70 एयरबेस के रन-वे पर तकनीकी विकसित करने की जिम्मेदारी दे दी है। जिन पर अभी तक अमेरिकी तकनीकी का इस्तेमाल किया जा रहा था। यही नहीं, लद्दाख से अरुणाचंल प्रदेश तक दुर्गम स्थानों पर तैयार होने एयरबेस के 32 नए रन-वे पर भी यही कंपनी एयर क्रॉफ्ट अरेस्टर सिस्टम को विकसित करेगी।

तीन वर्ष से कंपनी से संपर्क में था डीआरडीओ

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) को तीन वर्ष पहले नोएडा की कंपनी में एयर क्राॅफ्ट अरेस्टर सिस्टम विकसित होने की जानकारी मिली थी। इसके बाद इस कंपनी से संपर्क किया था, बाद में इस कंपनी को बेंगलूरू स्थित हिंदुस्तान एरोनाटिक्स लिमिटेड (HAL) में एयरबेस के रन-वे पर तकनीकी विकसित करने की जिम्मेदारी दी गई। इसके बाद कंपनी चर्चा में आई। 

भारत सरकार की मिनिस्ट्री ऑफ टेक्ट्राइल ने राष्ट्रीय पुरुस्कार से नवाजा

मिनिस्ट्री ऑफ टेक्ट्राइल की टेक्निकल टेक्ट्राइल एसोसिएशन को नोएडा की इस कंपनी के साथ डीआरडीओ के काम करने की जानकारी मिली थी। इस तकनीकी में नाइलोन की पट्टियों का इस्तेमाल होता है, जो टेक्ट्राइल इंडस्ट्री से जुड़ा काम है। इस बात की जानकारी एसोसिएशन ने टेक्ट्राइल मंत्रालय को दी। ऐसे में मंत्रालय की टीम ने 28 दिसंबर को नोएडा की कंपनी से संपर्क किया और छह जनवरी को टेक्टाइल मिनिस्टर स्मृति ईरानी की उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडु ने कंपनी के निदेशक सौरभ खंडेलवाल को तकनीकी इनोवेशन के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया।

 

क्या है यह सिस्टम

एयर क्रॉफ्ट अरेस्टर सिस्टम को एक प्रकार की नाइलोन की पट्टी से तैयार किया जाता है। इसकी एक-एक पट्टी में 80 टन भार झेलने की क्षमता होती है। इन पट्टियों को एयरबेस के रन-वे पर सामने और इधर-उधर इस प्रकार लगाया जाता है कि जैसे ही रन-वे पर लड़ाकू विमान उतरे, वैसे ही यह गुबारे की तरह तकनीकी का जाल सामने से लेकर इधर-उधर फैल जाता है। यदि पायलट से चूक भी हो जाए, तो भी लड़ाकू विभाग रन-वे से आगे नहीं निकल पाता है। इसी जाल में वह फंसकर रह जाता है। यह जाल लड़ाकू विमान की पूरी एनर्जी को बदलकर भार में परिवर्तित कर पूरा झेल जाता है। इससे लड़ाकू विमान और पायलेट दोनों पूरी तरह से सुरक्षित रहते हैं।

 

सौरभ खंडेलवाल (निदेशक, फैरीटेरो इंडिया प्राइवेट लिमिटेड) का कहना है कि एयर क्राॅफ्ट अरेस्टर सिस्टम विकसित करने की जिम्मेदारी डीआरडीओ ने दी है। इसके लिए तीन वर्ष से बातचीत चल रही थी, लेकिन तकनीकी इनोवेशन के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित करने की जानकारी 28 दिसंबर को मिली थी। छह जनवरी को दिल्ली में सम्मानित किया गया।

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