एक लाख का 'मटका' देखना है तो आइए सूरजकुंड मेला, लोगों के आकर्षण का बन रहा केंद्र

सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय हस्तशिल्प मेले में नेशनल अवार्डी मोहम्मद फारुक पीतल और चांदी निर्मित एक लाख रुपये कीमत का मटका भी लेकर आए हैं।

By Edited By: Publish:Thu, 14 Feb 2019 05:25 PM (IST) Updated:Thu, 14 Feb 2019 10:01 PM (IST)
एक लाख का 'मटका' देखना है तो आइए सूरजकुंड मेला, लोगों के आकर्षण का बन रहा केंद्र
एक लाख का 'मटका' देखना है तो आइए सूरजकुंड मेला, लोगों के आकर्षण का बन रहा केंद्र

फरीदाबाद [अनिल बेताब]। सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय हस्तशिल्प मेले में नेशनल अवार्डी मोहम्मद फारुक की धातु पर मुगलकालीन नक्काशी आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। मोहम्मद फारुक मेले में पीतल और चांदी निर्मित एक लाख रुपये कीमत का मटका भी लेकर आए हैं।

दो महीने में बना एक लाख का मटका
उन्‍होंने बताया कि इसे तैयार करने में दो महीने लगे हैं। टेबल लैंप, जग, गिलास जैसी और भी कई कृतियां हैं, जिन पर मोहम्मद फारुक ने नक्काशी की है।

हाजी नसीरुद्दीन से सीखी कला
मोहम्मद फारुक ने यह कला अपने वालिद हाजी नसीरुद्दीन से सीखी है। हाजी साहब को 2007 में शिल्पगुरु अवार्ड और 1998 में नेशनल अवार्ड मिल चुका है। मोहम्मद फारुक को भी 2007 में नेशनल अवार्ड मिल चुका है।

लाख के प्रयोग से बनाते हैं आकर्षक कृतियां
नेशनल अवार्डी मोहम्मद फारुक कहते हैं कि पीतल, तांबे से जब भी कोई कृति बनानी होती है, तो लाख (लाह)का प्रयोग किया जाता है। पहले धातु की शीट ली जाती है। इसे कृति के मुताबिक आकार दिया जाता है। लाख को गर्म किया जाता है। फिर कृति में लाख भरते हैं।

बनाने में लगती है कड़ी मेहनत
छेनी और हथौड़े की मदद से कृति में डिजाइन दिया जाता है। इससे पीतल हो या तांबा, कोई भी धातु फटती नहीं है। इस तरह बड़ी बारीकी से कारीगरी करके कृति को अंतिम रूप दे दिया जाता है। पीतल का निर्माण तांबा व जस्ता धातुओं के मिश्रण से किया जाता है। पीतल शब्द पीत से बना है। संस्कृत में पीत का अर्थ पीला होता है। पीतल के कारण भी कई कृतियों पर मुगलकालीन नक्काशी पसंद की जाती है।

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