बायोमेडिकल वेस्ट को खत्म करने के लिए डीपीसीसी लगाएगी दो नए प्लांट, जानिए क्या बनाई गई है नीति

10 साल बाद इसकी मात्रा बढ़कर 13064 किलो हो जाएगी। इसी तरह रिजन दो में अभी सरकारी और निजी अस्पतालों को मिलाकर 23796 बिस्तर हैं और यहां हर रोज लगभग 13902 किलो बायोमेडिकल वेस्ट निकलता है। 10 साल बाद यह बढ़कर 31960 किलो हो जाएगा।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Publish:Thu, 09 Sep 2021 01:17 PM (IST) Updated:Thu, 09 Sep 2021 01:17 PM (IST)
बायोमेडिकल वेस्ट को खत्म करने के लिए डीपीसीसी लगाएगी दो नए प्लांट, जानिए क्या बनाई गई है नीति
राजस्व विभाग के मुताबिक 11 जिलों में बंटी दिल्ली में अभी दो बायोमेडिकल वेस्ट प्लांट चल रहे हैं।

नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। राजधानी की स्वास्थ्य सेवाओं में विस्तार के साथ-साथ बायोमेडिकल वेस्ट की मात्रा भी बढ़ने की संभावना के मद्देनजर दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) ने दो नए बायोमेडिकल वेस्ट प्लांट लगाने की योजना बनाई है। इसके लिए निविदाएं भी मांगी गई हैं। यह दोनों प्लांट बढे़ हुए कचरे के एकत्रीकरण और इसके निस्तारण की समस्या का समाधान करेंगे। राजस्व विभाग के मुताबिक 11 जिलों में बंटी दिल्ली में अभी दो बायोमेडिकल वेस्ट प्लांट चल रहे हैं।

डीपीसीसी ने अधिकांश दिल्ली को दो क्षेत्रों रिजन- एक और रिजन- दो में बांटा है। पहले क्षेत्र में पूर्वी, उत्तर पूर्वी और शाहदरा को शामिल किया गया है जबकि दूसरे क्षेत्र में पश्चिमी, दक्षिणी पश्चिमी और मध्य दिल्ली को शामिल किया गया है। डीपीसीसी के मुताबिक रिजन- एक में सरकारी और निजी अस्पतालों के मिलाकर अभी करीब 9,416 बिस्तर हैं, जबकि इस रिजन से फिलहाल हर रोज लगभग 5,647 किलो बायोमेडिकल वेस्ट निकलता है। 10 साल बाद इसकी मात्रा बढ़कर 13,064 किलो हो जाएगी। इसी तरह रिजन दो में अभी सरकारी और निजी अस्पतालों को मिलाकर 23,796 बिस्तर हैं और यहां हर रोज लगभग 13,902 किलो बायोमेडिकल वेस्ट निकलता है। 10 साल बाद यह बढ़कर 31,960 किलो हो जाएगा।

इतनी अधिक मात्रा में बायोमेडिकल वेस्ट का निस्तारण के लिए डीपीसीसी ने उक्त दोनों रिजन के लिए दो नए कामन बायोमेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट एंड डिस्पोजेबल फैसेलिटिज (सीबीडब्ल्यूटीएफ) बनाने की योजना बनाई है। यह दोनों प्लांट बिल्ट, आपरेट, ट्रांसफर (बीओटी) आधार पर बनेंगे और यह वेस्ट एकत्र करने, उसे प्लांट तक लाने तथा उसके निस्तारण तक की सारी जिम्मेदारी पूरी करेंगे। हालांकि इस साल की शुरुआत में भी निविदाएं मांगी गई थी, लेकिन कोरोना काल में उसे रद कर दिया गया था। अब डीपीसीसी ने नए सिरे से निविदाएं मांगी हैं।

ऐसे किया जाता है निस्तारण

कोविड बायो-मेडिकल वेस्ट एकत्र कर सीबीडब्ल्यूटीएफ में भेजा जाता है, जहां पर बेहद उच्च तापमान पर इसे नष्ट किया जाता है। यही नहीं, अस्पतालों में भी इस कचरे को अलग रखने की व्यवस्था की जाती है।

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