डेंगू मरीज कभी भी न लें ब्रूफेन व एस्प्रिन, खतरे के मद्देनजर दिल्ली में हुई बैन

मेडिकल स्टोर वाले केवल डॉक्टरों की पर्ची पर ही ब्रूफेन और एस्प्रिन की दवाइयां दे पाएंगे। डॉक्टरों की सलाह के बिना नहीं दे पाएंगे।

By JP YadavEdited By: Publish:Sat, 11 Aug 2018 09:10 AM (IST) Updated:Sat, 11 Aug 2018 10:33 AM (IST)
डेंगू मरीज कभी भी न लें ब्रूफेन व एस्प्रिन, खतरे के मद्देनजर दिल्ली में हुई बैन
डेंगू मरीज कभी भी न लें ब्रूफेन व एस्प्रिन, खतरे के मद्देनजर दिल्ली में हुई बैन

नई दिल्ली (जेएनएन)। डेंगू और चिकनगुनिया के खतरों को देखते हुए दिल्ली सरकार ने ब्रूफेन और एस्प्रिन की बिक्री पर रोक लगा दी है। मेडिकल स्टोर वाले केवल डॉक्टरों की पर्ची पर ही ब्रूफेन और एस्प्रिन की दवाइयां दे पाएंगे। डॉक्टरों की सलाह के बिना नहीं दे पाएंगे। बताया जा रहा है कि डेंगू के मरीज अनजाने में इन दोनों दवाइयों को ले लेते हैं, जो उनके लिए खतरनाक हो जाता है। इससे डेंगू मरीजों के प्लेटलेट्स में तेजी से कमी होनी शुरू हो जाती है। 

दिल्ली में बढ़ने लगा डेंगू-चिकनगुनिया का खतरा
दिल्ली में बारिश होने पर कई जगहों पर पानी जमा होता है। इस पानी में मच्छर पनपते हैं। इसलिए अगस्त से अक्टूबर के बीच मच्छर जनित बीमारियां अधिक होती हैं। अभी कुछ सप्ताह से डेंगू के भी कुछ मामले देखे जा रहे हैं। एक मादा मच्छर एक बार में 200 अंडे देती है। इसलिए मच्छरों को मारने से ज्यादा उनका प्रजनन रोकना जरूरी है। इसके लिए आवश्यक है कि कहीं पानी जमा न होने पाए। इसके मद्देनजर दिल्ली के सभी 11 जिलों में स्वास्थ्य विभाग की टीम बनाई गई है।

लोगों को किया जा रहा जागरूक
आरडब्ल्यूए (रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन) को रोकथाम के उपाए बताए गए हैं क्योंकि बीमारियों की रोकथाम में सबकी भागीदारी जरूरी है। सभी विभागों की निगरानी कमेटी बनाकर एक नोडल अधिकारी नियुक्त करने का निर्देश दिया गया है। नोडल अधिकारी की जिम्मेदारी है कि वह टीम के साथ नियमित निरीक्षण कर यह सुनिश्चित करे कि खुले में या छत के ऊपर ऐसी बेकार चीजें न पड़ी हों जिसमें पानी जमा हो सके। ऐसे सभी तरह के कबाड़ हटाने के निर्देश दिए गए हैं। नगर निगम के डीबीसी (डोमेस्टिक ब्रीडिंग चेकर) घर-घर जाकर जांच करते हैं और दवा डालते हैं।

निजी अस्पतालों में 20 फीसद बेड बढ़ाने के निर्देश
अस्पतालों में बुखार की दवा, ओआरएस व डेंगू की जांच के लिए एनएस1 किट पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराई गई है। अस्पतालों में डेंगू पीड़ित मरीजों के लिए मच्छरदानी भी दी गई है, क्योंकि मरीज को काटने के बाद मच्छर किसी और को काटता है तो उसे भी डेंगू हो सकता है। निजी अस्पतालों में भी बुखार के इलाज के लिए 10-20 फीसद बेड बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं।

बुखार के हर मरीज की जांच जरूरी नहीं
बरसात में डेंगू व चिकनगुनिया के मरीज अधिक देखे जाते हैं। डेंगू में तेज बुखार के साथ दर्द, शरीर पर लाल दाने, आंखों के पीछे दर्द आदि की समस्या होती है। चिकनगुनिया में बुखार के साथ शरीर के जोड़ों में दर्द की परेशानी होती है। जब इन बीमारियों के मामले अधिक आ रहे हों तो बुखार के हर मरीज की जांच जरूरी नहीं होती। ऐसा दिशा-निर्देश तैयार करने वाली एजेंसियां भी मानती हैं। हालांकि अस्पतालों को स्पष्ट रूप से जांच कराने के निर्देश दिए गए हैं।

पहले श्रेणी में सामान्य व युवा मरीज होते हैं जिन्हें गंभीर लक्षण नहीं होते। ऐसे मरीजों को सिर्फ बुखार की दवा, ओआरएस और अन्य तरल पदार्थ लेने की सलाह दी जाती है। दूसरे श्रेणी में छोटे बच्चे, बुजुर्ग व गर्भवती महिलाओं को रखा जाता है। इनमें डेंगू की पुष्टि होने पर अस्पताल में भर्ती किया जाना चाहिए। ऐसे निर्देश सभी अस्पतालों को दिए गए हैं।

होम्योपैथ में भी है डेंगू का इलाज
डेंगू का कारगर इलाज होम्योपैथ में संभव है। उन्होंने बताया कि एकोनाइट, आर्सनिक अल्बम, बेलाडोना, यूपेटोरियम पर्फ व रस्टक 6 शक्ति- इन सभी होम्योपैथिक दवाओं का दो-दो बूंद लेकर आधा गिलास साफ पानी में डाल दें और चम्मच से मिला दे। इसमें से आधा चम्मच एक-एक घंटा पर रोगी को पिलाएं।

जब आराम होने लगे तो इसे चार-चार घंटे पर दें। दवा का सेवन करते समय महक वाली कोई वस्तु रोगी को न लगाएं। जैसे- विक्स, कपूर, बाम, हिंग, जाफर आदि शरीर में न लगाएं और रोगी के पास इन सबों से बनी कोई दवा भी न रखें। उन्होंने दावा किया कि एक-दो खुराक में ही रोगी को आराम मिलना शुरू हो जाएगा।

डेंगू के अलावे इन्सेफलाइटिस, हेपेटाइटिस ए एवं बी जैसी अन्य बीमारियों का इलाज होम्योपैथिक में संभव है।  डेंगू जिस तरह खतरनाक बीमारी है, वैसे में रोगी को थोड़ी-सी भी लापरवाही घातक हो सकती है।

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