दक्षिणी अफ्रीकी कोरोना के नए वैरिएंट को लेकर दिल्ली का स्वास्थ्य विभाग भी सतर्क
Omicron Virus शत-प्रतिशत टीकाकरण के लिए हर घर दस्तक अभियान के भी सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। फिलहाल कोरोना जांच का कार्य तेज गति से किया जा रहा है। विदेश से आने वाले नागरिकों की जीनोम सीक्वेंसिंग भी की जा रही है ताकि नए वैरिएंट की पहचान हो सके।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। Omicron Virus: दक्षिण-अफ्रीका में सामने आए कोरोना के नए वैरिएंट के बाद लोगों में डर का माहौल है, हालांकि इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग अभी पूर्ण रूप से आश्वस्त है। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार इस बाबत फिलहाल पूरी तरह सतर्कता बरती जा रही है। उनके मुताबिक अभी देश में नए वैरिएंट का एक भी मामला सामने नहीं आया है और फिलहाल संक्रमण दर भी कम है। नए वैरिएंट को लेकर अब हर किसी की चिंता बढ़ती जा रही है।
अच्छी बात यह है कि अधिकांश लोगों का टीकाकरण हो चुका है और शत-प्रतिशत टीकाकरण के लिए हर घर दस्तक अभियान के भी सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। फिलहाल कोरोना जांच का कार्य तेज गति से किया जा रहा है। विदेश से आने वाले नागरिकों की जीनोम सीक्वेंसिंग भी की जा रही है, ताकि नए वैरिएंट की पहचान हो सके।
अधिकारियों का कहना है कि अभी दक्षिण-अफ्रीका में मिला कोरोना का नया वैरिएंट कितना खतरनाक है, इस पर विशेषज्ञों का अनुसंधान जारी है। यह वैरिएंट खतरनाक साबित होता है तो क्षेत्र की स्वास्थ्य सुविधाएं इससे निपटने के लिए कितनी हद तक तैयार है, यह कहना फिलहाल मुश्किल है। क्योंकि दूसरी लहर के दौरान आक्सीजन की किल्लत से जूझने के बावजूद क्षेत्र के सरकारी अस्पतालों में अभी तक लिक्विड आक्सीजन टैंक नहीं लगे हैं और कई अस्पतालों में तो केंद्रीय गैस पाइपलाइन बिछाने का कार्य भी शुरू नहीं हुआ है।
इंदिरा गांधी अतिविशिष्ट अस्पताल
1241 बेड तैयार हैं कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए इनमें कोविड वार्ड, आइसीयू वार्ड, पीडियाटिक आइसीयू वार्ड व पीडियाटिक वार्ड शामिल।
50 मीटिक टन व 20 मीटिक टन क्षमता के दो लिक्विड आक्सीजन टैंक उपलब्ध
500 लीटर प्रति मिनट (एलपीएम) क्षमता के पांच पीएसए प्लांट सेवारत
स्वास्थ्यकर्मियों की कमी है बड़ी समस्या
आचार्य श्री भिक्षु अस्पताल प्रशासन का कहना है कि अस्पताल परिसर में निर्माणाधीन नई इमारत के तीन फ्लोर को प्राथमिकता पर तैयार किया जा रहा है। ताकि वहां बेड लगाकर मरीजों को इलाज उपलब्ध कराया जा सके। लेकिन 500 बेड के अनुकूल अस्पताल के पास स्वास्थ्य कर्मचारी नहीं है। ऐसे में मरीजों को अच्छी स्वास्थ्य सुविधा देना अस्पताल प्रशासन के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। दूसरा प्रदूषण स्तर बढ़ने के कारण फिलहाल अस्पताल का निर्माण कार्य बंद है। इसके अलावा रघुबीर नगर स्थित गुरु गोबिंद अस्पताल कोविड अस्पताल नहीं है, इसलिए यहां उस लिहाज से कोई तैयारी नहीं है।
स्वास्थ्य विभाग के निर्देशानुसार अस्पताल को नान-कोविड मरीजों का इलाज सुनिश्चित करना है। महामारी के बीच जच्चा-बच्चा सुविधाएं प्रभावित न हो इसके लिए डाबड़ी स्थित दादा देव मातृ एवं शिशु चिकित्सालय में भी संभावित तीसरी लहर के लिए कोई विशेष तैयारी नहीं है। हालांकि, यहां 500 एलपीएम क्षमता का पीएसए प्लांट लग चुका है। नजफगढ़ की सघन आबादी के लिए जाफरपुरकला स्थित रावतुलाराम अस्पताल में भी संभावित तीसरी लहर को लेकर कोई खास तैयारियां नजर नहीं आती है।
तमाम सुविधाओं के बीच यहां स्वास्थ्य कर्मचारियों की किल्लत एक बड़ी चुनौती है। डीडीयू अस्पताल में भी बेड व स्वास्थ्य कर्मियों की किल्लत बनी हुई है। दूसरी तरफ हस्तसाल, बामनौली, ज्वालापुरी व मादीपुर में बनने वाले अस्पतालों में अभी तक कोई प्रगति नहीं हुई है। एलपीएम क्षमता का पीएसए प्लांट लगाया गया है, केंद्रीय गैस पाइपलाइन को अभी तक शुरू नहीं। सिलेंडर की मदद से दी जा रही है मरीजों को आक्सीजन।
जनकपुरी अतिविशिष्ट अस्पताल
100 आक्सीजन बेड की व्यवस्था
50 आइसीयू बेड की ही सेवा संभव है फिलहाल