दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा- अगर रसोई व शौचालय नहीं है तो मकान रिहायशी नहीं
दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली विकास प्राधिकरण को 12 सप्ताह के अंदर भूमि अधिग्रहण के बदले विकसित प्लॉट देने पर विचार करने के आदेश दिए।
नई दिल्ली (जेएनएन)। जिस मकान में रसोई और शौचालय नहीं है, उसे रिहायशी नहीं कहा जा सकता। फहमिदा अंजुम की याचिका पर न्यायमूर्ति सुशील गौड़ ने यह टिप्पणी की। साथ ही दिल्ली विकास प्राधिकरण को 12 सप्ताह के अंदर भूमि अधिग्रहण के बदले विकसित प्लॉट देने पर विचार करने के आदेश दिए।
दिल्ली के नियोजित विकास के नाम पर सरकार ने 1980 के दौरान बड़े पैमाने पर जमीन अधिग्रहित की थी। उसने जमीन के बदले घर बनाने के लिए विकसित प्लॉट देने की योजना शुरू की। फहमिदा के पिता मुहम्मद स्वालिन की जमीन का भी अधिग्रहण किया गया था। 1989 से ही विकसित प्लॉट पाने के लिए पीड़ित परिवार दफ्तरों के चक्कर काट रहा था। फहमिदा ने भूमि अधिग्रहण किए जाने के बदले विकसित प्लॉट देने से इन्कार करने के डीडीए के फैसले को चुनौती दी थी।