Delhi: आधुनिक तकनीक से अग्निशमन विभाग को मिली मजबूती, फायर कंट्रोल रूम होगा अपडेट

दिल्ली अग्निशमन विभाग बीते कई सालों से संसाधनों की कमी से जूझ रहा था। अब इसे आधुनिक तकनीक से लैस उपकरणों से मजबूत किया जा रहा है और जल्द ही फायर कंट्रोल रूम को भी जल्द ही अपडेट किया जाएगा।

By Jagran NewsEdited By: Publish:Mon, 29 May 2023 10:14 AM (IST) Updated:Mon, 29 May 2023 10:14 AM (IST)
Delhi: आधुनिक तकनीक से अग्निशमन विभाग को मिली मजबूती, फायर कंट्रोल रूम होगा अपडेट
Delhi: आधुनिक तकनीक से अग्निशमन विभाग को मिली मजबूती- निदेशक अतुल गर्ग।

धनंजय मिश्रा, नई दिल्ली। अग्निशमन विभाग दिल्ली का बेहद महत्वपूर्ण विभाग है। यह विभाग मांझे में फंसे पक्षी, नाले में गिरे पशु, भवन गिरने या या फिर भीषण आग लगने की स्थिति में सबसे पहले याद किया जाता है।

विभाग में तैनात कर्मी हर आपात परिस्थितियों में जी जान से राहत बचाव का कार्य में जुटते हैं, लेकिन गत कई वर्षों से विभाग कई तरह के संसाधनों की कमी से जूझ रहा था, अब इसे आधुनिक तकनीक से लैस उपकरणों से मजबूत किया जा रहा है।

इसको लेकर दिल्ली अग्निशमन विभाग के निदेशक अतुल गर्ग से धनंजय मिश्रा ने बातचीत की। पेश हैं बातचीत के प्रमुख अंश...।

सभी प्रकार की आपात स्थिति में विभाग को याद किया जाता है, ऐसे में क्या विभाग के पास पर्याप्त संसाधन हैं?

विभाग के पास अभी फिलहाल संसाधनों की कमी नहीं हैं। कई तरह के नए और अत्याधुनिक उपकरणों को खरीदा गया हैं। इनमें प्रमुख रूप ये छह छोटे रोबोट जो संकरे इलाकों में आग पर काबू में बहुत मददगार हैं।

इसके साथ ही पांच हाइड्रोलिक पंप, 18 बैटरी संचालित टेलीस्कोपिक रेस्क्यू रैम और 18 रेस्क्यू ट्राइपाड खरीदे गए हैं। छह श्वास उपकरण सेट कम्प्रेसर, दो मल्टी-आर्टिकुलेटेड वाटर टावर की खरीद अंतिम चरण में है।

इसके अलावा फायर कंट्रोल रूम के पुनर्गठन का प्रस्ताव है ताकि सूचना की सटीकता को और अच्छे से सुनिश्चित की जा सके।

फायर आपरेटर के 769 रिक्त पदों पर 500 भर्तियां की जा चुकी हैं इसके साथ ही 500 फायर आपरेटरों को आउटसोर्स आधार पर लिया गया है। नौ रेडियो टेलीफोन आपरेटरों को प्रशिक्षण के बाद विभाग में शामिल किया गया है। 

संकरे इलाके में आग लगने पर जानमाल का अधिक नुकसान होता है, इसे कम करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं?

दिल्ली में संकरे क्षेत्र बहुत हैं। पुरानी दिल्ली, पूर्वी दिल्ली के कुछ इलाके व कच्ची कालोनियां और अवैध औद्योगिक क्षेत्र आग को लेकर सबसे ज्यादा संवेदनशील हैं।

इन इलाकों में दमकल की गाड़ियों को घटनास्थल तक जाने तक की जगह नहीं मिलती। इसके मद्देनजर विभाग ने अपने संसाधनों में छोटी गाड़ियों और छह छोटे रोबोट को खरीदा है।

एक किलोमीटर दूर रहकर इन रोबोट की मदद से आग पर काबू पाया जा सकता है साथ ही आग की स्थिति और आग में फंसे लोगों के बारे में जानकारी जुटाई जा सकती है।

इसके साथ अग्निशमन कर्मियों को राहत बचाव के दौरान हानि पहुंचने का खतरा कम हो इसके लिए भी कुछ उपकरण खरीदे गए हैं।

विभाग आग की घटनाओं के अलावा अन्य घटनाओं में भी राहत बचाव का कार्य करता है, इसके लिए भी कोई उपकरण खरीदे गए हैं?

अग्निशमन विभाग हर आपात स्थिति में राहत बचाव का कार्य करता है, ऐसे में हम उपकरण इस तरह के खरीदते हैं जिनका उपयोग कई तरह की स्थिति किया जा सके।

मांझे में फंसे पक्षी को बचाने में कई काफी ऊंचाई पर पहुंचना होता है, इसके लिए हाइड्रोलिक मशीनों को उपयोग करते हैं जिसमें 40 मीटर तक पहुंच वाली साढ़ियां होती हैं। इसका उपयोग आग बुझाने में भी किया जाता है।

आग से बचाव के लिए लोगों को क्या सलाह देंगे?

लोग आग से बचाव संबंधी सावधानियों को नजरअंदाज करते हैं। लोगों को इसके प्रति जागरूक होने की जरूरत है। लोग अपने घरों और संस्थान में अग्निशमन यंत्र लगाएं। गर्मियों में बिजली की खपत बढ़ने पर इसका भार तारों पर पड़ता है और शार्ट सर्किट से आग लग जाती है।

हमेशा आइएसआइ प्रमाणित बिजली के उपकरण का ही प्रयोग किया जाना चाहिए। एलपीजी गैस पर खाना बनाते वक्त भी सावधानी बरतने की जरूरत हैं।

गैस सिलेंडर को जोड़ने के लिए सर्विस मैन या डिलीवरी मैन की मदद लिया जाना चाहिए, किसी भी आकस्मिक लीकेज को रोकने के लिए इस्तेमाल के बाद गैस सिलेंडर की नाब को हमेशा बंद रखा जाए।

गर्मियों में पंखा, एसी, कूलर आदि इलेक्ट्रानिक सामानों का प्रयोग खूब होता है। बिजली के तारों और उपकरणों के रख-रखाव में लापरवाही से शार्ट सर्किट की घटनाएं होती हैं।

ऐसा होने पर घबराएं नहीं, बल्कि तुरंत लाइट बंद कर अग्निशमन यंत्र से आग पर काबू पाने की कोशिश करें। इससे बचने के लिए तारों व उपकरणों की समय-समय पर जांच कराएं।

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