Coroanvirus: बिना किसी परवाह के दिन-रात लड़ रहे कोरोना से जंग, कुछ ऐसी है इनकी कहानी

रश्मि सिंह बताती हैं कि कोरोना की वजह से सभी की जिम्मेदारी बढ़ गई है। ऐसे में इस संकट की घड़ी में लोगों को परेशानी उनसेजुड़े विभागों से न हो इसकी पूरी कोशिश की जा रही है।

By Mangal YadavEdited By: Publish:Sun, 12 Apr 2020 04:22 PM (IST) Updated:Sun, 12 Apr 2020 04:22 PM (IST)
Coroanvirus: बिना किसी परवाह के दिन-रात लड़ रहे कोरोना से जंग, कुछ ऐसी है इनकी कहानी
Coroanvirus: बिना किसी परवाह के दिन-रात लड़ रहे कोरोना से जंग, कुछ ऐसी है इनकी कहानी

नई दिल्ली [निहाल सिंह]। कोरोना से जंग में प्रशासन के तहत कार्य करने वाले अधिकारियों की भी दिनचर्या पूरी तरह बदल गई है। सुबह से रात तक पूरी तरह से अलर्ट रहना पड़ता है। किसी भी स्थिति के लिए हमेशा तैयार रहना पड़ता है। इस समय कार्य करने वाले हर अधिकाकारियों और कर्मचारियों की जिम्मेदारी बढ़ गई है। सभी लोग जान की परवाह किए बिना लोगों के लिए कार्य कर रहे हैं।

ऐसी ही हैं उत्तरी दिल्ली नगर निगम की अतिरिक्त आयुक्त रश्मि सिंह। इस समय वे निगम के आयुष के साथ पशु चिकित्सा और सामुदायिक सेवा विभाग को देख रही है। कोरोना के समय में जहां लोग लॉकडाउन की वजह घरों में हैं वहीं पर रश्मि सिंह न केवल निगरानी कर रही हैं, बल्कि विभिन्न स्थानों पर जाकर कार्य की निगरानी कर रही हैं।

रश्मि सिंह बताती हैं कि कोरोना की वजह से सभी की जिम्मेदारी बढ़ गई है। ऐसे में इस संकट की घड़ी में लोगों को परेशानी उनसेजुड़े विभागों से न हो, इसकी पूरी कोशिश की जा रही है। जहां-जहां भोजन वितरण का कार्य हो रहा हैं वहां पर शारीरिक दूरी का पालन हो। साथ ही सभी को भोजन मिले इसकी चिंता रहती है।

नागरिकों के लिए कार्य करने का महत्वपूर्ण समय : राकेश दहिया

कोरोना के चलते हर जिला प्रशासन और वहां कार्य करने वाले कर्मचारियों और अधिकारियों की जिम्मेदारी के साथ कार्य भी बढ़ गया है, लेकिन हर व्यक्ति अपनी चिंता न करते हुए कार्य कर रहा है। कभी रात में किसी इलाके में निरीक्षण के लिए जाना पड़ता है तो वहीं कभी लोगों की मदद के लिए प्रशासन की ओर से उठाए जा रहे कदमों की निगरानी करनी पड़ती है, लेकिन वे बिना रुके और सभी चिंताओं को छोड़ चाणक्यपुरी के एसडीएम राकेश दहिया कोरोना के खिलाफ प्रशासन की ओर से चल रही जंग में अपनी भूमिका निभा रहे हैं। 

उन्होंने बताया कि वैसे सामान्य दिनों पर कार्य 9 बजे दफ्तर पहुंचने के बाद शुरू होता था, लेकिन अब सुबह 7 बजे से लेकर रात 10-12 बजे तक कार्य करना पड़ता है। जैसे-जैसे जरूरत पड़ती है तो देर रात को भी निरीक्षण या महत्वपूर्ण बैठक के लिए जाना पड़ता है। दहिया का कहना है कि वैसे तो सभी लोग कोरोना से लड़ने में अपनी-अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभा रहे हैं, लेकिन काम से अलग यह समय नागरिकों के लिए कार्य करने का महत्वपूर्ण समय है।

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