फोलिक एसिड युक्त आटे से दूर होगी रीढ़ की जन्मजात बीमारी

देश में हर एक हजार में से एक बच्चा इससे पीड़ित होता है। महिलाओं में फोलिक एसिड की कमी से बच्चों में बीमारी होती है इसलिए शादी के बाद सभी महिलाओं को फोलिक एसिड की दवा लेनी चाहिए।

By JP YadavEdited By: Publish:Sat, 26 Oct 2019 08:24 AM (IST) Updated:Sat, 26 Oct 2019 08:24 AM (IST)
फोलिक एसिड युक्त आटे से दूर होगी रीढ़ की जन्मजात बीमारी
फोलिक एसिड युक्त आटे से दूर होगी रीढ़ की जन्मजात बीमारी

नई दिल्ली [रणविजय सिंह]। बच्चों में जन्मजात रीढ़ विकार हाइड्रोसिफेलस व स्पाइनाबाइफिडा दिवस के मद्देनजर आरएमएल अस्पताल में एक कार्यक्रम किया गया, ताकि लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरूक किया जा सके। दरअसल, देश में हर एक हजार में से एक बच्चा इस बीमारी से पीड़ित होता है। महिलाओं में फोलिक एसिड की कमी से बच्चों में यह बीमारी होती है, इसलिए डॉक्टर सलाह देते हैं कि शादी के बाद सभी महिलाओं को फोलिक एसिड की दवा शुरू कर देनी चाहिए। इसके लिए प्रेग्नेंसी का इंतजार नहीं करना चाहिए। साथ ही डॉक्टर कहते हैं कि यदि फोलिक एसिड युक्त आटा तैयार किया जा सके तो महिलाओं को अलग से दवा लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी। फोर्टिफाइड (फोलिक एसिड युक्त) आटे से इस बीमारी को खत्म किया जा सकता है।

आरएमएल अस्पताल के न्यूरो सर्जरी विभाग के डॉ. अजय चौधरी ने कहा कि हाइड्रोसिफेलस व स्पाइनाबाइफिडा जन्मजात बीमारी है। इस वजह से बच्चों के पैरों में कमजोरी आ जाती है। बच्चों के मस्तिष्क में पानी भर जाता है तो कई दिव्यांग से पीड़ित हो जाते हैं। इसका कारण फोलिक एसिड (विटामिन बी 9) की कमी है। उन्होंने कहा कि ज्यादातर महिलाएं गर्भावस्था में फोलिक एसिड की दवाएं तब लेना शुरू करती हैं जब प्रेग्नेंसी की जानकारी मिलती है।

दिक्कत यह है कि यहां प्रेग्नेंसी की जानकारी ही गर्भावस्था के डेढ़ माह बाद मिलती है। जबकि शुरुआती 27 दिन में फोलिक एसिड की सबसे अधिक जरूरत होती है। इस वजह से महत्वपूर्ण समय गुजर चुका होता है। यही वजह है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने फोलिक एसिड युक्त आटा तैयार कर इस्तेमाल को बढ़ावा देने का निर्देश दिया है। कई देशों में यह प्रयोग सफल हुआ है। यहां भी इसके लिए प्रयास चल रहे हैं। उन्होंने कहा कि फिलहाल शादी के बाद ही लड़कियों को फोलिक एसिड की दवा खानी शुरू कर देनी चाहिए।

डॉक्टर कहते हैं कि इस बीमारी से पीड़ित ज्यादातर बच्चों के कमर के आसपास फोड़ा जैसा होता है। कुछ बच्चों में यह सिर या गर्दन पर भी दिखाई देता है। इसके कारण रीढ़ की हड्डी का आपस में ठीक से जुड़ाव नहीं होता। यही वजह है कि सही समय पर इलाज नहीं होने पर इस बीमारी से पीड़ित बच्चे दिव्यांगता से पीड़ित हो जाते हैं। वैसे गर्भावस्था में जांच कराकर इस बीमारी का पता किया जा सकता है। इसके निदान का प्रयास किया जा सकता है।

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