Online Fraud: मिनटों में लोन देने वाले एप से रहे दूर, कर देते हैं जीना मुहाल

साइबर एक्सपर्ट का कहना है कि गूगल प्ले स्टेार पर मौजूद 90 प्रतिशत एप चीन में बने होते हैं जिसे साइबर अपराधियों द्वारा चलाए जा रहे हैं यह आरबीआइ के दायरे में नहीं आते। इनका कोई पंजीकरण आदि भी नहीं होता।

By Dhananjai MishraEdited By: Publish:Sun, 03 Apr 2022 09:31 PM (IST) Updated:Sun, 03 Apr 2022 09:31 PM (IST)
Online Fraud: मिनटों में लोन देने वाले एप से रहे दूर, कर देते हैं जीना मुहाल
मिनटों में लोन देने वाले एप से रहे दूर, कर देते हैं जीना मुहाल।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। मिनटों में लोन देने वाले एप से दूरी बना लेना ही अच्छा है। लोग अपने मोबाइल पर गूगल प्ले स्टोर से इस तरह के एप डाउनलाेड कर एक मिनट में लोन लेते है। इसके बाद वे साइबर ठगों के जाल में फंस जाते हैं। इस तरह के एप के झांसे में आकर आंध्र प्रदेश, तेलंगाना जैसे दक्षिण भारत के राज्यों में कई लोगों ने सुसाइड तक कर लिया है।

करीब 90 प्रतिशत एप चीन में बने होते हैं

साइबर एक्सपर्ट का कहना है कि इनका कोई पंजीकरण आदि भी नहीं होता। साथ ही इन एप का सर्वर चीन से जुड़ा होता है। जब लोग गूगल प्ले स्टोर से एप डाउनलोड करते हैं तब यह शर्त स्वीकार कराई जाती है कि ऐप को उनकी पर्सनल डिटेल (जैसे फोटो गैलरी) और संपर्क लिस्ट साझा की जा रही है। जब कोई ग्राहक इस एप को डाउनलोड कर कर्ज के लिए जरूरी दस्तावेज अपलोड करता है तो उसके कुछ मिनटों के बाद ही उसके बैंक खाते में लोन की रकम डाल दी जाती है।

कैसे ग्राहकों को करते हैं प्रताड़ित

इसके बाद शुरू होता है ग्राहकों को प्रातिड़ित करने का सिलसिला। यह 30 से 35 फीसदी का सालाना ब्याज लेते हैं। ड्यू डेट पर लोन न मिलने पर इनके टेलीकसलर और रिकवरी एजेंट ग्राहकों को इस तरह प्रताड़ित करते हैं कि उनका जीना मुहाल हो जाता है। लोगों को फंसाने के लिए उनकी व्यक्तिगत डिटेल को इंटरनेट मीडिया पर साझा कर देते हैं। कई बार युवतियों को प्रताड़ित करने के लिए उनकी फोटो में बदलाव कर उसे इंटरनेट पर साझा करते हैं। गत वर्ष द्वारका इलाके में इसी तरह के मामले में परेशान होकर एक युवक ने आत्महत्या कर लिया था। गूगल प्ले स्टोर पर इस तरह के एप के रोकथाम को लेकर कोई विशेष नियम नहीं है। गूगल प्ले स्टोर का सर्वर देश में नहीं है इस वजह से भी कई बार इस तरह के एप को बैन करने दिक्कत आती है। इस तरह के एप डाउनलोड करने से लोगों का निजी डाटा दूसरे के पास चला जाता है। इस तरह के एप का किसी भी बैंक या गैर बैंकिंग संस्थान (एनबीएफसी) से कोई नाता नहीं होता।

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