माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराने के बाद कंचनजंघा फतह के लिए निकले अर्जुन वाजपेयी

अर्जुन वाजपेयी काठमांडू पहुंच गए हैं और अब वहां से बेस कैंप की चढ़ाई शुरू करेंगे।

By Ramesh MishraEdited By: Publish:Fri, 06 Apr 2018 12:55 PM (IST) Updated:Sun, 08 Apr 2018 09:19 AM (IST)
माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराने के बाद कंचनजंघा फतह के लिए निकले अर्जुन वाजपेयी
माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराने के बाद कंचनजंघा फतह के लिए निकले अर्जुन वाजपेयी

नोएडा [ जेएनएन ]। पर्वतारोही अर्जुन वाजपेयी देश की सर्वोच्च व दुनिया की तीसरी सबसे ऊंची चोटी कंचनजंघा को फतह करने के लिए रवाना हो गए हैं। वह काठमांडू पहुंच गए हैं और अब वहां से बेस कैंप की चढ़ाई शुरू करेंगे।

संभावना है कि वह 15 या 16 अप्रैल को बेस कैंप पर पहुंच जाएंगे। अगर सब कुछ ठीक ठाक रहा और मौसम ने साथ दिया तो अर्जुन 25 मई तक कंचनजंघा पर तिरंगा फहरा सकते हैं। गौरतलब है कि कंचनजंघा को फतह करने का यह अर्जुन का दूसरा प्रयास है। पिछली बार खराब मौसम की वजह से उन्हें वापस लौटना पड़ा था।

बता दें कि अर्जुन अपने इस महाअभियान के तहत दुनिया की सर्वोच्च 14 चोटियों पर फतह करने का लक्ष्‍य सुनिश्चित किए हैं। इसी क्रम में उन्‍होंने नेपाल तथा चीन में फैले चो यू और चीन में स्थित शिशापंगामा की चोटियों पर फतह किया है।

चो यू दुनिया की छठी सबसे ऊंची चोटी है जबकि शिशापंगामा का ऊंचाई के मामले में दुनिया में 14वां स्थान है। हालांकि चीन ने भारतीय पर्वतारोहियों के अभियान पर रोक लगा रखी है, लेकिन इस विशेष अभियान के लिए अर्जुन के साथ चार सदस्यीय टीम को अनुमति दी गयी थी। इस अभियान को पूरा करने के बाद अर्जुन एक साथ तीन नए कीर्तिमान स्थापित किया था।

इस अभियान के बाद वह इस तरह 8000 मीटर से अधिक ऊंचाई वाली दुनिया के पांच पर्वत शिखरों पर पहुंचने वाले 8000 मीटर से अधिक ऊंचाई की दो चोटियों को एक ही सीजन में फतह करने और शिशापंगामा पर चढ़ाई करने वाले सबसे कम उम्र के पर्वतारोही बन गए थे।

इससे पहले अर्जुन ने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट, चौथी सबसे ऊंची चोटी माउंट ल्होत्से और आठवीं सबसे ऊंची चोटी मनासलू पर तिरंगा फहरा चुके हैं। ये तीनों ही चोटियां आठ हजार मीटर से अधिक ऊंची हैं और अर्जुन इन तीनों पर फतह करने वाले सबसे कम उम्र के पर्वतारोही हैं।

तीनों चोटियों पर अलग अलग फतह करने के मामले में भी सबसे युवा पर्वतारोही अर्जुन ही हैं। 8201 मीटर ऊंचाई वाले चो यू पर अब तक दो भारतीय दल चढ़ाई कर चुके हैं। वर्ष 1958 में यहां पहुंचे पहले भारतीय दल के एक सदस्य नरेन्द्र धारम्याल की उस अभियान में मौत हो गई थी।

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