एमसीडी मार्केट के दुकानदारों को दुकानें खाली करने के आदेश के बाद रोजी-रोटी पर आया संकट

उत्तरी दिल्ली नगर निगम द्वारा सरस्वती मार्ग स्थित एमसीडी मार्केट को खतरनाक घोषित करने के बाद दुकानों को खाली करने के आदेश से यहां के दुकानदारों की चिंता बढ़ गई है। उनका कहना है कि कोरोना के चलते पहले से ही वह व्यापार में घाटा झेल रहे थे

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Publish:Tue, 27 Jul 2021 02:12 PM (IST) Updated:Tue, 27 Jul 2021 02:12 PM (IST)
एमसीडी मार्केट के दुकानदारों को दुकानें खाली करने के आदेश के बाद रोजी-रोटी पर आया संकट
नगर निगम ने आइआइटी रुड़की से इस इमारत की ढांचागत मजबूती का आडिट कराया था।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। उत्तरी दिल्ली नगर निगम द्वारा सरस्वती मार्ग स्थित एमसीडी मार्केट को खतरनाक घोषित करने के बाद दुकानों को खाली करने के आदेश से यहां के दुकानदारों की चिंता बढ़ गई है। उनका कहना है कि कोरोना के चलते पहले से ही वह व्यापार में घाटा झेल रहे थे और अब निगम द्वारा इस इमारत को खाली करने का आदेश देने से उनकी रोजी-रोटी पर संकट खड़ा होगा।

दुकानदारों की मांग है कि इस इमारत को अगर खाली कराया जा रहा है तो इससे पहले उन्हें आस-पास ही अस्थायी दुकानें दी जाए। जब यह इमारत मरम्मत करके ठीक कर दी जाए या इसके स्थान पर नई इमारत बना दी जाए तो फिर उन्हें यहां पर दुकानें दी जाएं। उल्लेखनीय है कि नगर निगम ने आइआइटी रुड़की से इस इमारत की ढांचागत मजबूती का आडिट कराया था। रिपोर्ट में इमारत को जर्जर बताया गया था।

इसके चलते निगम ने इस इमारत को खतरनाक घोषित करते हुए दुकानदारों को 23 जुलाई को नोटिस दे दिया था। नोटिस में दुकानदारों को तीन दिन के भीतर इमारत को खाली करने के लिए कहा था। हालांकि रविवार को निगम की स्थायी समिति के अध्यक्ष जोगीराम जैन ने इमारत का निरीक्षण किया था। साथ ही दुकानदारों को आश्वासन दिया था कि दस दिन में कोई समाधान निकाला जाएगा। तब तक कोई कार्रवाई नहीं होगी। इस इमारत में 45 दुकानें हैं तो वहीं 20 आफिस यूनिट है।

समय-समय पर होती मरम्मत तो नहीं होती यह हालत

दुकानदारों का आरोप है कि समय-समय पर इस इमारत की मरम्मत होती तो इमारत इतनी जल्दी खस्ताहाल नहीं होती। आलम यह है कि दस वर्षों से इमारत की ज्यादा स्थिति खराब हो रही है, लेकिन कई बार दुकानदारों द्वारा शिकायत करने के बाद भी यहां पर मरम्मत नहीं हुई है। इसकी वजह से इस इमारत की स्थिति दिन ब दिन खराब होती रही। जबकि बरसात का पानी यहां टपकता रहता है वहीं, बाहर से भी पलस्तर झड़ता रहता है।

व्यापारी इस बात पर भी सवाल उठा रहे हैं कि वर्ष 1975 नगर निगम ने इस इमारत को बनाया था। मात्र 45 वर्ष में इमारत जर्जर कैसे हो गई। जबकि अन्य इमारतें 70-80 वर्ष तक आराम से चल जाती हैं।

मार्केट एसोसिएशन के पदाधिकारियों का बयान

एक दुकान पर करीब तीन-चार लोग कार्य करते हैं अगर यहां की दुकानें बंद होती हैं तो इनके रोजगार पर संकट खड़ा हो जाएगा। निगम को चाहिए कि हमें वह अस्थायी दुकानें दे।

- सतेंद्र सिंह, महासचिव, गफ्फार मार्केट व्यापार मंडल

दुकानदार पहले से ही परेशान हैं। मार्केट की हालत खराब होने की हम कई बार शिकायत कर चुके हैं, लेकिन इसे समय रहते ठीक नहीं किया गया। जबकि हम समय रहते इसका लाइसेंस व शुल्क देते हैं।

-सुरेंद्र ओबराय, दुकानदार

chat bot
आपका साथी