स्वास्थ्य पर आलेख : स्वास्थ्य क्षेत्र को मिली मायूसी
फोटो फाइल नंबर : 22 ईएनडी 204 डॉ. अश्विनी गोयल, अध्यक्ष (निर्वाचित) दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन
स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार के दावों को देखते हुए लग रहा था कि इस बार बजट में कुछ महत्वपूर्ण घोषणाएं होंगी। लेकिन बजट से स्वास्थ्य क्षेत्र को मायूसी ही मिली। सरकार का दावा है कि करोड़ों रुपये का राजस्व बढ़ा है लेकिन उसमें स्वास्थ्य क्षेत्र के बजट में मात्र .7 फीसद ही अतिरिक्त दिया गया है। यानी एक फीसद से भी कम। आप सरकार असफल प्रयोगों पर पैसा झोंक रही है। लेकिन स्वास्थ्य क्षेत्र की सबसे बड़ी दिक्कत पर वह केंद्रित नहीं है। सरकारी अस्पतालों में बढ़ती भीड़ को कम करने के लिए कोई फार्मूला नहीं है।
सरकारी अस्पतालों में दूसरी बड़ी समस्या है कि वहां ज्यादातर मशीनें खराब पड़ी है। सरकारी अस्पतालों में वेंटिलेटर न मिलने पर लोगों की मौत हो रही है। इस पर बजट में कोई ध्यान नहीं दिया गया है। सरकार ने दस हजार से बीस हजार बिस्तर करने की बात कही है, लेकिन इसके लिए डॉक्टर से लेकर तमाम कर्मचारी और संसाधन भी दोगुने करने होंगे। इस पर मौन साध लिया गया है। नए अस्पताल के लिए 450 करोड़ रुपये की घोषणा भी नाकाफी है। सबसे बड़ी दिक्कत है कि सरकार उन योजनाओं पर दांव खेल रही है जो विफल हो चुकी हैं। मोहल्ला क्लीनिक उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा। साफ है कि इससे कोई फायदा नहीं होने वाला है। यह भी साफ हो चुका है मोबाइल वैन से लोगों का इलाज नहीं हो सकता है। इस पर भी सरकार 15 करोड़ रुपये खर्च करेगी। उपलब्धि बताने के लिए सरकार के पास कुछ नहीं है। इसके लिए वह केवल मोहल्ला क्लीनिक पर ही निर्भर है।
मुख्य संवाददाता स्वदेश कुमार से बातचीत पर आधारित