Air pollution: निर्माण स्थलों पर धूल नियंत्रण के लिए दिल्ली सरकार ने बनाए नये नियम
आस-पड़ोस को वायु गुणवत्ता की स्थिति के बारे में सूचित रखने के लिए प्रत्येक निर्माण स्थल पर डिस्प्ले बोर्ड भी लगाए जाएंगे। डीपीसीसी निर्माण स्थल पर प्रदूषक सांद्रता और निकटतम सीएएक्यूएमएस पर कण स्तर में अंतर निर्धारित करने के लिए मानकीकृत नियमों के साथ साफ्टवेयर का उपयोग करेगा।
नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। दिल्ली सरकार ने धूल प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए नए दिशा-निर्देशों का प्रस्ताव दिया है, जिसमें 20,000 वर्ग मीटर से बड़े हर निर्माण स्थल पर तीन रीयल-टाइम मानिटर और सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे। रीयल-टाइम पार्टिकुलेट मानिटर से डेटा सीधे दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) को भेजा जाएगा, जो प्रदूषण की निर्धारित सीमा को पार करने पर संबंधित परियोजना संचालक को सचेत करेगा। यदि परियोजना संचालक उपचारात्मक उपाय नहीं करता है तो जुर्माना लगाया जाएगा।
ड्राफ्ट दिशा-निर्देशों के अनुसार निर्धारित समय अवधि के भीतर कोई कार्रवाई नहीं करने पर जुर्माना बढ़ा दिया जाएगा। यदि पहली चेतावनी के 24 घंटे के भीतर कोई सुधारात्मक कार्रवाई नहीं की जाती है तो डीपीसीसी साइट पर काम बंद करने का आदेश जारी करेगी।
दिशानिर्देशों में कहा गया है कि प्रदूषण नियंत्रण निकाय परियोजना को दी गई पर्यावरण मंजूरी को भी रद कर देगी, यदि उपकरण या डेटा के साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ की पहचान की जाती है। प्रस्तावित नियमों में सभी परियोजना संचालकों को डीपीसीसी को एक बैंक गारंटी जमा करानी होगी, जो उनकी परियोजना लागत के एक फीसद के बराबर होगी। परियोजना के निष्पादन के दौरान पर्यावरणीय क्षति की वसूली के लिए इस गारंटी को लागू किया जा सकता है।
सरकार ने निर्माण स्थलों पर धूल उत्सर्जन की निगरानी और आसपास के क्षेत्रों पर इसके प्रभाव का आकलन करने के प्रस्ताव की व्यवहार्यता का पता लगाने के लिए डीपीसीसी, आइआइटी-दिल्ली, डीएमआरसी, डायल और टेरी के सदस्यों वाली सात सदस्यीय समिति का गठन किया था। समिति ने सुझाव दिया कि निगरानी प्रक्रिया शुरू करने के लिए संदर्भ-ग्रेड विश्लेषक का उपयोग किया जाना चाहिए।
डिस्प्ले बोर्ड भी लगेंगे
आस-पड़ोस को वायु गुणवत्ता की स्थिति के बारे में सूचित रखने के लिए प्रत्येक निर्माण स्थल पर डिस्प्ले बोर्ड भी लगाए जाएंगे। डीपीसीसी निर्माण स्थल पर प्रदूषक सांद्रता और निकटतम सीएएक्यूएमएस पर कण स्तर में अंतर निर्धारित करने के लिए मानकीकृत नियमों के साथ साफ्टवेयर का उपयोग करेगा। यदि निर्माण स्थल पर पीएम 2.5 और पीएम 10 का प्रति घंटा-औसत मान निकटतम सीएएक्यूएमएस के स्तर से अधिक है तो स्त्रोत की पहचान करने और इलाज अवधि के भीतर उपचारात्मक उपाय करने के लिए परियोजना संचालक को तीन घंटे के लिए एक स्वचालित चेतावनी भेजी जाएगी।
यदि इस अवधि में कोई कार्रवाई नहीं की जाती है तो जुर्माना लगाया जाएगा, जो बैंक गारंटी के 10 फीसद या 1 लाख रुपये (जो भी अधिक हो) के बराबर होगा। अगले तीन घंटे में कोई कार्रवाई नहीं होने की स्थिति में परियोजना संचालक पर बैंक गारंटी के 20 फीसद या तीन लाख रुपये के बराबर जुर्माना लगाया जाएगा।