डीजल टैक्सी बैन पर केंद्र ने SC में कहा- 'BPO उद्योग पर पड़ा असर'

केंद्र सरकार ने कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि डीजल टैक्सी पर बैन से बीपीओ पर असर पड़ा है। वहीं, आज दिल्ली सरकार भी सुप्रीट कोर्ट में एक प्रस्ताव देगी।

By JP YadavEdited By: Publish:Thu, 05 May 2016 09:32 AM (IST) Updated:Fri, 06 May 2016 07:38 AM (IST)
डीजल टैक्सी बैन पर केंद्र ने SC में कहा- 'BPO उद्योग पर पड़ा असर'

नई दिल्ली। दिल्ली-एनसीआर में डीजल टैक्सियों पर रोक लगाने के फैसले के पर पुनर्विचार के लिए आज केंद्र सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। केंद्र ने कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि डीजल टैक्सी पर बैन से बीपीओ पर असर पड़ा है।

यहां पर याद दिला दें कि डीजल टैक्सियों पर प्रतिबंध को लेकर आइ उद्योग के शीर्ष संगठन नैस्कॉम ने चेताया है। नैस्कॉम के मुताबिक, बैन 2-3 हफ्ते बना रहा तो बिजनेस प्रोसेस मैनेजमेंट (बीपीएम) सेक्टर को एक अरब डॉलर यानी करीब 6,650 करोड़ रुपये की चपत लग सकती है।

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में डीजल वाहनों को सीएनजी में तब्दील किए जाने की 30 अप्रैल की समयसीमा को बढ़ाने से इन्कार कर दिया था। इसके बाद उद्योग के सामने यह स्थिति पैदा हुई है।

नैस्कॉम की सीनियर वीपी संगीता गुप्ता ने कहा कि इतने भारी नुकसान को देखते हुए उनका संगठन इस मामले में अगले कुछ दिनों में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की योजना बना रहा है।

डीजल वाहनों पर पाबंदी से बीपीएम (पूर्व में बीपीओ) उद्योग थम सा गया है। दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में बीपीएम सेक्टर 10 लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार उपलब्ध कराता है।

इनमें 38 फीसद कर्मचारी महिलाएं हैं। उनकी सुरक्षा के लिहाज से उन्हें दफ्तर लाने और वापस घर पहुंचाने के लिए कैब सेवा बेहद अहम है।

इस प्रतिबंध की वजह से बीते दो दिनों से 5-5 घंटे आवाजाही में लग रहे हैं। खासकर तब जब अधिकांश बीपीएम कंपनियां नोएडा और गुड़गांव में हैं, जबकि इनमें कार्यरत करीब 65 फीसद कर्मचारी दिल्ली में रहते हैं।

कई डीजल वाहनों को जब्त कर लिया गया है। ऐसे हालत में बुधवार को नैस्कॉम ने एक आपात बैठक भी बुलाई थी। नैस्कॉम के प्रतिनिधि इस मामले में दिल्ली पुलिस तथा आईटी मंत्रालय समेत विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों से मुलाकात कर चुके हैं।

प्रतिनिधियों ने आइटी मंत्रालय से अनुरोध किया है कि वह अन्य मंत्रालयों के सामने उद्योग के मसले को उठाए। इस दौरान दिल्ली और एनसीआर में डीजल कैब पर प्रतिबंध के मद्देनजर उद्योग समक्ष परिवहन के भरोसेमंद विकल्पों की कमी को पर भी चर्चा की गई।

दिल्ली सरकार को आज सुप्रीम कोर्ट में देना है प्रस्ताव

वहीं, दिल्ली में डीजल टैक्सियों को धीरे-धीरे हटाने पर दिल्ली सरकार को आज सुप्रीम कोर्ट में प्रस्ताव देना है। दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से दर्खास्त की है कि डीजल टैक्सियों को एक साथ नहीं हटाया जाए।

सरकार ने कोर्ट में अपील करके टैक्सी चालकों को एक साल तक की मोहलत देने और चरणबद्ध तरीके से प्रकिया लागू किए जाने पर विचार करने को कहा है। केजरीवाल सरकार ने दलील दी है कि अचानक डीजल टैक्सियों पर प्रतिबंध लगाने से कानून-व्यवस्था की समस्या खड़ी हो गई है।

इससे पहले कल केंद्र सरकार भी टैक्सी चालकों के पक्ष में नजर आई थी। केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा था कि सरकार सुप्रीम कोर्ट से अपील करेगी कि ड्राइवरों को राहत दी जाए। दिल्ली में डीजल टैक्सी पर बैन के बाद केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट जाएगी। सरकार सुप्रीम कोर्ट से अपील करेगी कि ड्राइवरों को राहत दी जाए।

गौरतलब है कि दिल्ली-एनसीआर में टैक्सी पर बैन यूनियन के लोग सड़क पर उतर आए थे और कई जगह जाम भी लगाया था।

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