अध्यक्ष ने पार्टी से निकाला, प्रभारी ने बताया असंवैधानिक

दिल्ली में अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही प्रदेश कांग्रेस में चुनावी सीजन में भी गुटबाजी थमने का नाम नहीं ले रही है। आलम यह है कि कई लोकसभा क्षेत्रों में पार्टी के पूर्व विधायक कांग्रेस उम्मीदवार को समर्थन नहीं दे रहे वहीं प्रदेश अध्यक्ष शीला दीक्षित और प्रदेश प्रभारी पीसी चाको के बीच मतभेद भी जब तब सामने आ ही जाते हैं। इसी कड़ी में ताजा विवाद पूर्व विधायक भीष्म शर्मा को लेकर पैदा हो गया है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 25 Apr 2019 10:55 PM (IST) Updated:Thu, 25 Apr 2019 10:55 PM (IST)
अध्यक्ष ने पार्टी से निकाला, प्रभारी ने बताया असंवैधानिक
अध्यक्ष ने पार्टी से निकाला, प्रभारी ने बताया असंवैधानिक

संजीव गुप्ता, नई दिल्ली

दिल्ली में अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही प्रदेश कांग्रेस में चुनावी सीजन में भी गुटबाजी थमने का नाम नहीं ले रही है। आलम यह है कि कई लोकसभा क्षेत्रों में पार्टी के पूर्व विधायक कांग्रेस उम्मीदवार को समर्थन नहीं दे रहे, वहीं प्रदेश अध्यक्ष शीला दीक्षित और प्रदेश प्रभारी पीसी चाको के बीच मतभेद भी जब तब सामने आ ही जाता है। इसी कड़ी में ताजा विवाद पूर्व विधायक भीष्म शर्मा को लेकर पैदा हो गया है।

दरअसल, पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने का आरोप लगाते हुए शीला दीक्षित ने घोंडा के पूर्व विधायक भीष्म शर्मा को छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया। प्रदेश कार्यालय सचिव प्रमोद कुमार के हस्ताक्षर वाला यह निष्कासन पत्र बृहस्पतिवार को जारी किया गया। इस निष्कासन का मुख्य कारण भीष्म शर्मा और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी का एक फोटो सामने आना बताया जा रहा है।

दूसरी तरफ प्रदेश कांग्रेस का यह आदेश जारी होने के बाद भीष्म शाम को चाको से मिलने उनके घर पहुंचे और उन्हें सारे मामले से अवगत कराया। चाको ने शीला के इस निर्णय को गलत बताते हुए भीष्म से जहां पार्टी के लिए काम करते रहने को कहा, वहीं शीला के मोबाइल पर संदेश भेजकर इस कार्रवाई को असंवैधानिक करार भी दिया। चाको ने अपने संदेश में लिखा है कि कार्यालय सचिव की ओर से एक पूर्व विधायक का निष्कासन आदेश जारी किया ही नहीं जा सकता। यह पार्टी संविधान के खिलाफ है।

पार्टी सूत्रों की मानें तो इस तरह की कार्रवाई करने का अधिकार कांग्रेस की अनुशासन समिति को ही है। मामला इस समिति को भेजा जाना चाहिए जहां पूरे प्रकरण की जांच हो और भीष्म शर्मा को अपना पक्ष रखने का भी मौका दिया जाए। हालांकि चाको के इस संदेश का शीला की ओर से देर रात तक कोई जवाब नहीं दिया गया था।

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माकन के गुट का होने का खामियाजा

भीष्म शर्मा घोंडा विधानसभा सीट से कई बार पार्टी के विधायक रह चुके हैं। पार्टी भी इस सीट से हर बार उन्हें ही उम्मीदवार बनाती रही है। पार्टी के कुछ सूत्रों का कहना है कि उनके खिलाफ निष्कासन की यह कार्रवाई पूर्व दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन के गुट का होने के कारण भी की गई है। -------------------

मैं कांग्रेस का 41 साल से सक्रिय कार्यकर्ता हूं। सात बार विधानसभा का चुनाव लड़ा और चार बार विधायक रहा। पार्टी किसी एक की नहीं है, जो इस तरह के मनमाने फैसले कर सके। अपनी सास की अचानक मृत्यु होने के कारण मेरी व्यस्तता परिवार के साथ थी। नामांकन में नहीं पहुंच पाने की वजह से ही शीला दीक्षित ने मुझे पार्टी से बाहर करने का फैसला किया है। जबकि एक पूर्व विधायक को प्रदेश कांग्रेस कमेटी पार्टी से निकाल ही नहीं सकती।

-भीष्म शर्मा, पूर्व विधायक, घोंडा।

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