दिल्ली में बाहरी लोगों के इलाज से इन्कार के खिलाफ चार याचिकाएं दर्ज

दिल्ली के सरकारी एवं निजी अस्पतालों में दिल्लीवासियों का ही कोरोना संक्रमण का इलाज करने के दिल्ली सरकार के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती देते हुए कई याचिकाएं दायर की गई हैं। याचिकाओं में 7 जून के फैसले को रद करने की मांग करते हुए कहा गया है कि यह फैसला असंवैधानिक मनमाना और मानवता के खिलाफ है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 08 Jun 2020 09:12 PM (IST) Updated:Mon, 08 Jun 2020 09:12 PM (IST)
दिल्ली में बाहरी लोगों के इलाज से इन्कार के खिलाफ चार याचिकाएं दर्ज
दिल्ली में बाहरी लोगों के इलाज से इन्कार के खिलाफ चार याचिकाएं दर्ज

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली :

दिल्ली के सरकारी एवं निजी अस्पतालों में सिर्फ दिल्ली के लोगों का ही कोरोना संक्रमण का इलाज करने के दिल्ली सरकार के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती देते हुए कई याचिकाएं दायर की गई हैं। याचिकाओं में 7 जून के फैसले को रद करने की मांग करते हुए कहा गया है कि यह फैसला असंवैधानिक, मनमाना और मानवता के खिलाफ है। याचिका में कहा गया है कि स्थानीय नागरिक होने के आधार पर इलाज की सुविधा देना भेदभावपूर्ण है।

अधिवक्ता प्रवीन चौहान के माध्यम से अभय गुप्ता, प्रशांत अरोरा व विनीत कुमार वाधवा द्वारा दायर याचिका पर मंगलवार को सुनवाई होगी। वहीं अधिवक्ता गौतम कुमार व विधि छात्र गौरव सरकार ने अपने-अपने अधिवक्ता के माध्यम से याचिका दायर की। इसके अलावा एक याचिका अभिजीत मिश्रा ने भी याचिका दायर की है। इन याचिकाओं पर बुधवार को सुनवाई होगी। अधिवक्ता पायल बहल के माध्यम से दायर याचिका में अभिजीत ने फैसले को रद कर सभी का इलाज कराने के संबंध में प्राधिकारियों को निर्देश देने की मांग की है। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी से कई लोग संक्रमित हैं और प्रत्येक नागरिक को दिल्ली में इलाज की सुविधा लेने का अधिकार है। वहीं, अभय गुप्ता व प्रशांत अरोड़ा ने कहा कि 7 जून का आदेश लोगों के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है। इसके अलावा गौतम कुमार व गौरव सरकार ने दावा किया कि बिहार और उत्तर प्रदेश से आकर 2015 या वर्ष 2017 से दिल्ली में रह रहे लोगों को बड़ी समस्या झेलनी पड़ सकती है क्योंकि उनके पास दिल्ली में रहने का पहचान पत्र भी नहीं है। याचिकाकर्ता विनीत कुमार वाधवा ने कहा कि आर्थिक या फिर संसाधन की समस्या होने पर कोई राज्य नागरिक को स्वास्थ्य सुविधा देने से इन्कार नहीं कर सकता और यह स्वास्थ्य के अधिकार के नियमों का उल्लंघन है।

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