ऑनलाइन अप्वाइंटमेंट न होने पर भी एम्स से निराश नहीं लौटेंगे मरीज : डॉ. रणदीप गुलेरिया

एम्स के नवनियुक्त निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया से सुविधाओं में सुधार एवं विस्तार के लिए काफी उम्मीदें ह

By JagranEdited By: Publish:Sun, 26 Mar 2017 01:08 AM (IST) Updated:Sun, 26 Mar 2017 01:08 AM (IST)
ऑनलाइन अप्वाइंटमेंट न होने पर भी एम्स से निराश नहीं लौटेंगे मरीज : डॉ. रणदीप गुलेरिया
ऑनलाइन अप्वाइंटमेंट न होने पर भी एम्स से निराश नहीं लौटेंगे मरीज : डॉ. रणदीप गुलेरिया

एम्स के नवनियुक्त निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया से सुविधाओं में सुधार एवं विस्तार के लिए काफी उम्मीदें हैं। केंद्र सरकार ने उन्हें पांच साल के लिए एम्स की कामन सौंपी है। मरीजों की जांच एवं ऑपरेशन के लिए प्रतीक्षा सूची, मौजूदा ऑनलाइन अप्वाइंटमेंट सिस्टम की खामियों, संस्थान के विस्तार, शोध आदि के क्षेत्र में भविष्य की योजनाओं को लेकर हमारे वरिष्ठ संवाददाता रणविजय सिंह ने उनसे विस्तृत बातचीत की। पेश हैं उसके मुख्य अंश:-

एम्स के निदेशक के तौर पर आपकी प्राथमिकताएं क्या होंगी?

- एम्स में सुविधाओं को और आगे बढ़ाना है ताकि मरीजों को बेहतर और आसानी से इलाज मिल सके। जांच एवं सर्जरी के लिए लंबी प्रतीक्षा सूची है। कई विभागों में मरीजों को इलाज के लिए काफी दिनों बाद की तारीखें दी जाती हैं। मेरी कोशिश होगी कि इलाज में प्रतीक्षा समय को कम किया जाए, जिससे मरीजों की जांच एवं सर्जरी में देरी न हो और उन्हें जल्द इलाज मिल सके। इसके अलावा इमरजेंसी केयर में भी सुधार के लिए कदम उठाए जाएंगे क्योंकि इसमें गंभीर मरीज पहुंचते हैं। ये दो ऐसे क्षेत्र हैं, जिसमें प्राथमिकता के आधार पर सुधार किया जाएगा। इसके अलावा एम्स की बड़ी जिम्मेदारी मेडिकल शिक्षा के जरिये उत्कृष्ट डॉक्टर तैयार करना है, साथ ही विभिन्न विषयों पर शोध करना भी है। इसलिए मेडिकल के छात्रों को बेहतर माहौल एवं सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। शोध को बढ़ावा देने के लिए और अधिक अंतरराष्ट्रीय संस्थानों से समझौते किए जाएंगे ताकि नए शोध शुरू किए जा सकें। इस तरह मरीजों के इलाज, मेडिकल शिक्षा एवं शोध तीनों विषयों पर जोर दिया जाएगा। सबको साथ लेकर आगे बढ़ेंगे। अमीर हो या गरीब, हर मरीज को एकसमान चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने की व्यवस्था की जाएगी ।

एम्स में जांच एवं इलाज का शुल्क बढ़ाए जाने के प्रस्ताव पर विचार के लिए कमेटी गठित की गई थी, तब कहा गया था कि मामले पर नए निदेशक फैसला करेंगे। इस पर आपकी क्या राय है?

- एम्स में आर्थिक रूप से कमजोर मरीज अधिक पहुंचते हैं। इसलिए गरीब मरीजों पर किसी तरह का शुल्क बढ़ाकर अतिरिक्त बोझ नहीं थोपा जाएगा। मरीजों के किफायती इलाज की व्यवस्था की जाएगी। ऐसा कोई प्रावधान नहीं किया जाएगा, जिससे कि इलाज के लिए पहुंचे गरीब मरीज और गरीब होकर वापस जाएं। हां, एम्स में संपन्न व्यक्ति भी इलाज के लिए पहुंचते हैं। जो लोग इलाज का खर्च वहन करने में सक्षम हैं, उन्हें शुल्क का भुगतान करना चाहिए। इस दिशा में कुछ विचार किया जा सकता है।

ऑनलाइन अप्वाइंटमेंट न होने पर मरीजों का ओपीडी कार्ड नहीं बन पाता है। इस वजह से मरीज इस व्यवस्था पर सवाल भी उठाते हैं?

-सोच तो यही है कि ऑनलाइन अप्वाइंटमेंट प्रक्रिया शत प्रतिशत लागू हो। इस पर आगे भी बढ़ेंगे पर यह भी ध्यान रखना होगा कि एम्स में करीब 40 फीसद मरीज उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा, मध्य प्रदेश आदि राज्यों से आते हैं। इनमें काफी संख्या ग्रामीण मरीजों की भी होती है। इसलिए ऑनलाइन अप्वाइंटमेंट के साथ-साथ ऑफलाइन पंजीकरण की भी सुविधा जरूरी है। इसलिए ऐसी व्यवस्था करने की कोशिश की जाएगी कि पहले से अप्वाइंटमेंट नहीं होने पर भी 30 से 40 फीसद मरीजों का इलाज हो सके। इससे बिना अप्वाइंटमेंट के एम्स पहुंचने वाले मरीज बगैर इलाज के वापस नहीं लौटेंगे।

एम्स विस्तार की योजनाओं पर काम चल रहा है, लेकिन कई सेंटरों का काम शुरू नहीं हो सका है?

- बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए सर्जिकल ब्लॉक, मातृ व शिशु केयर ब्लॉक व हरियाणा के झज्जर में भी राष्ट्रीय कैंसर इंस्टीट्यूट (एनसीआइ) का निर्माण कार्य चल रहा है। उनकी नियमित निगरानी की जाएगी। अन्य प्रस्तावित सेंटरों का निर्माण जल्द शुरू हो इसकी भी व्यवस्था की जाएगी। निर्माण कार्य में देरी होने पर ठेका लेने वाली कंपनी पर जुर्माना लगाया जाएगा।

आप सांस व फेफड़े की बीमारियों के जानेमाने डॉक्टर हैं। क्या सांस की बीमारियों के इलाज के लिए एम्स में अलग सेंटर बनेगा?

-सांस की बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं। प्रदूषण इसका बड़ा कारण है। इसके अलावा धूमपान के चलते भी लोग सांस व फेफड़े की बीमारियों से पीड़ित हो रहे हैं। मेरा मानना है कि सांस की बीमारियों के इलाज के लिए एम्स में अगल सेंटर बने। मेरी कोशिश होगी कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उपलब्ध इलाज के आधुनिक तकनीक व उपकरण यहां उपलब्ध हों ताकि एम्स में मरीजों को विश्वस्तरीय चिकित्सा सुविधा मिल सके ।

एम्स में आपके लिए चुनौतियां भी बहुत होंगी। आप अपने लिए बड़ी चुनौती क्या मानते ह ं?

-मरीजों के इलाज की सुविधाओं में सुधार करना ही मेरे लिए सबसे बड़ी चुनौती है। इसके अलावा संस्थान के फैकल्टी, नर्स, मेडिकल छात्रों व रेजिडेंट डॉक्टरों के भी कुछ अपने मुद्दे हैं। सबको साथ लेकर चलेंगे। सभी पक्षों के साथ बातचीत कर आंतरिक मामलों को सुलझाया जाएगा ताकि उन मामलों से संस्थान के कामकाज पर असर न पड़े।

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