फैसला सुनते ही छलकी आंखें

By Edited By: Publish:Wed, 19 Feb 2014 08:16 PM (IST) Updated:Wed, 19 Feb 2014 08:17 PM (IST)
फैसला सुनते ही छलकी आंखें

गौतम कुमार मिश्रा, नई दिल्ली

छावला सामूहिक दुष्कर्म मामले में फैसले को लेकर लोगों की निगाहें बुधवार सुबह से ही द्वारका कोर्ट की ओर टिकी थीं। कोर्ट परिसर के अंदर जहां छठी मंजिल पर बने फास्ट ट्रैक कोर्ट कक्ष के बाहर लोगों में फैसले को लेकर उत्सुकता थी, वहीं परिसर के बाहर मौजूद लोग सुबह से ही दोषियों के लिए फांसी की मांग को लेकर जुटे थे। बाहर का पूरा मोर्चा महिलाओं ने संभाल रखा था।

फास्ट ट्रैक कोर्ट में दोपहर करीब 2 बजे जब अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश वीरेंद्र भट्ट मुकदमों की सुनवाई के लिए पहुंचे तो कक्ष लोगों की भीड़ से खचाखच भरा हुआ था। लोगों के बीच यहां पीड़िता के माता-पिता भी मौजूद थे। दोपहर बाद कोर्ट में दुष्कर्म से जुड़े एक मामले की सुनवाई के बाद जैसे ही इस मामले में तीनों दोषियों का अदालत कक्ष में प्रवेश हुआ पूरे कक्ष में सन्नाटा पसर गया। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने तीनों दोषियों के नाम पूछे। चंद सेकेंड की खामोशी के बाद ही अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश वीरेंद्र भट्ट ने कहा कि रवि, राहुल और विनोद तीनों को फांसी की सजा दी जाती है। यह सुनते ही पीड़िता की मां के मुंह से चीख निकल पड़ी। वह फूट-फूट कर रोने लगी और वहां पास बैठे पति के गले से लिपट गई। इसके बाद पीड़िता की मां को लोगों ने संभालते हुए कक्ष से बाहर निकाला। इसके बाद कक्ष में अन्य मुकदमों की सुनवाई शुरू हो गई। हालांकि फांसी की सजा पाए दोषी वहां कागजी प्रक्रियाओं के सिलसिले मे रुके रहे।

फैसला सुनते ही दोषियों का उतरा चेहरा

कोर्ट ने जब दोषियों को फांसी की सजा सुनाई तब उनका चेहरा उतरा हुआ था। हालांकि उनके चेहरे व हाव-भाव से ऐसा लग रहा था मानों इन्हें इस तरह के कड़े फैसले की उम्मीद नहीं थी। जब पीड़िता की मां रो रही थी तब दोषियों की निगाहें इसी ओर थीं।

फैसला सुनते ही बाहर फैली खुशी

कोर्ट के बाहर मौजूद जैसे ही लोगों को फैसले की जानकारी मिली लोग खुशी से झूम उठे। लोगों ने गले मिल एक-दूसरे को बधाई दी। पीड़िता के माता-पिता को लोगों ने मालाएं पहनाई।

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