ट्वीट्स: सपनों को देखते नहीं दिल से जीने में यकीन रखते हैं सचिन

'सपने सिर्फ आंखों से देखे नहीं जाते,बल्कि उन्हें दिल से जीना पड़ता है। तभी वे सच होते हैं।' जी हां सचिन ने भी कुछ ऐसा ही कर दिखाया है। सचिन ने इस बात को साबित कर दिया कि सपने को हकीकत बनाने के लिए पूरी शिद्दत की जरूरत होती है।

By Edited By: Publish:Sat, 16 Nov 2013 01:58 PM (IST) Updated:Sat, 16 Nov 2013 02:43 PM (IST)
ट्वीट्स: सपनों को देखते नहीं दिल से जीने में यकीन रखते हैं सचिन

मुंबई। 'सपने सिर्फ आंखों से देखे नहीं जाते,बल्कि उन्हें दिल से जीना पड़ता है। तभी वे सच होते हैं।' जी हां सचिन ने भी कुछ ऐसा ही कर दिखाया है। सचिन ने इस बात को साबित कर दिया कि सपने को हकीकत बनाने के लिए पूरी शिद्दत की जरूरत होती है। सपनों के पीछे भागो लेकिन उन्हें पूरा करने के लिए छोटा रास्ता कभी नहीं अपनाना, भले ही राहें मुश्किल होंगी लेकिन अगर दिल में जज्बा हो तो मंजिल जरूर मिलेगी। इन्हीं बातों को अपनी सफलता का मंत्र बनाकर सचिन बन गए क्रिकेट के भगवान।

पढ़ें : विदाई से पहले सचिन के आखिरी बोल

क्रिकेट के 'भगवान' ने क्रिकेट को अलविदा कह दिया लेकिन उनके करोड़ों चाहने वाले उन्हें दिल से कभी विदा नहीं कर पाएंगे। क्रिकेट में दो दशक की पारी खेलने वाले सचिन खेल को विदाई देते वक्त जितना भावुक हुए उतना ही भावुक उनके लाखों फैंस हुए जिन्होंने सचिन की वजह से क्रिकेट से नाता जोड़ा। इसका साफ नजारा मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में सचिन के आखिरी मैच के दौरान देखने को मिला जब वेस्टइंडीज को हराकर सचिन ने 'विजयी विदाई' ली। जब सचिन के साथ-साथ उनके चाहने वालों की आंखें भर आईं। उनकी भावनाओं का सैलाब माइक्रो ब्लागिंग साइट ट्विटर पर भी बहता दिखाई दिया।

कुछ रोचक ट्वीट्स

-विप्लव लिखते हैं कि सर आप क्रिकेट से रिटायर हो रहे हैं लेकिन हमारे दिले से नहीं।

-दीपिका लिखती हैं कि अंग्रेजों को क्रिकेट जैसे खेल का आविष्कार करने के लिए शुक्रिया। अगर उन लोगों ने ये खेल न बनाया होता तो आज हम क्रिकेट के भगवान से कैसे मिल पाते।

-कौशल लिखते हैं कि जिस तरह से सचिन ने अपने भगवान यानी क्रिकेट की उस धरती को चूमा और सम्मान दिया इससे नई पीढ़ी को सिख लेनी चाहिए।

-कुशल लिखते हैं कि सचिन एक ऐसे इन्सान हैं जिन्होंने काम के साथ-साथ अपने निजी जीवन और परिवार को भी उतना ही सम्मान दिया।

-अभिनव लिखते हैं कि आप आज जो हैं और आगे जो बनने का सपना देखते हैं इन दोनों स्तर में बस आपके कर्मो का अंतर होता है।

-विक्रम लिखते हैं कि उनके एक-एक शब्दों से एक सिख झलक रही थी। उनका आखिरी कर्म धरती को नमन करना जैसे अपने आपमें सब कुछ कह गया,शब्दों की जरूरत ही नहीं रही।

-बापी लिखते हैं कि ये मैच भी सचिन के लिए व‌र्ल्ड कप से कम नहीं था, क्योंकि इस मैच से जुड़ी हर चीज उनके जहन में रिकार्ड की तरह रहेगी। इस मैच ने भी करोड़ों को एक साथ रूला डाला।

-तरुण लिखते हैं कि आज सचिन ने एक और व‌र्ल्ड रिकार्ड बनाया है।

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