सचिन ने पीठ थपथपाई तो लगा सारा जहां मिल गया

[वरुण एरोन]। सचिन तेंदुलकर सिर्फ नाम भर नहीं है, क्रिकेट का एक युग हैं। उनके सानिध्य मात्र से रोमांच भर उठता है। मैं अपने आप को सौभाग्यशाली मानता हूं कि 'भगवान' को क्रिकेट खेलते देखते हुए बड़ा हुआ हूं। वह युवाओं को हमेशा प्रोत्साहित करते रहे हैं।

By Edited By: Publish:Wed, 23 Oct 2013 10:03 PM (IST) Updated:Wed, 23 Oct 2013 10:06 PM (IST)
सचिन ने पीठ थपथपाई तो लगा सारा जहां मिल गया

[वरुण एरोन]। सचिन तेंदुलकर सिर्फ नाम भर नहीं है, क्रिकेट का एक युग हैं। उनके सानिध्य मात्र से रोमांच भर उठता है। मैं अपने आप को सौभाग्यशाली मानता हूं कि 'भगवान' को क्रिकेट खेलते देखते हुए बड़ा हुआ हूं। वह युवाओं को हमेशा प्रोत्साहित करते रहे हैं।

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22 नवंबर, 2011 का दिन मेरे जीवन का अविस्मरणीय पल रहा, जिसे मैं ताउम्र अपने सीने में सहेज कर रखूंगा। मौका था, मेरा पदार्पण टेस्ट। सचिन का घरेलू मैदान वानखेड़े स्टेडियम खचाखच भरा हुआ था। मैदान में वेस्टइंडीज की टीम बल्लेबाजी कर रही थी। पारी के 22वें ओवर में कप्तान महेंद्र सिंह धौनी ने मुझे गेंद थमाई। मैं गेंद को देख ही रहा था, तभी सचिन सर मेरे पास आए और बोले, 'अपने ऊपर विश्वास रखो। तुमने अच्छा किया है, तभी इतनी दूर पहुंचे हो। हमने भी विश्व कप हाथ में लेने के लिए 22 साल तक इंतजार किया और तुम्हें भी 22वें ओवर में गेंदबाजी करने का मौका मिला है। 22 के इस अंक को ऐतिहासिक सफलता में तब्दील कर दो। आज तुम्हारा दिन है।'

पहले अंतरराष्ट्रीय टेस्ट मैच में पारी की पहली गेंद, हरेक कदम पर सचिन के वे शब्द कानों में गूंज रहे थे। 'आज तुम्हारा दिन है।' सामने वेस्टइंडीज के बल्लेबाज ड्वेन ब्रावो और कार्लटन बॉ थे। उस समय ब्रावो शतक बना चुके थे और पूरी लय में नजर आ रहे थे। विकेट सपाट था। मैंने लाइन और लेंथ के साथ स्वाभाविक गेंदबाजी करनी शुरू कर दी, तभी बाहर जाती गेंद को ब्रावो ने छेड़ने की कोशिश की और गेंद बल्ले से लगकर पीछे खड़े विकेटकीपर-कप्तान महेंद्र सिंह धौनी के ग्लव्स में समा गई। ब्रावो उस समय 166 रन पर खेल रहे थे और बड़े स्कोर की ओर बढ़ रहे थे। टीम के सभी खिलाड़ी मुझे बधाई देने पहुंचे। सचिन सर भी आए और बोले, 'शाबाश, तूने कर दिखाया।' मानो मैं सातवें आसमान पर था। अगले ही ओवर में मैंने बॉ को बोल्ड कर दिया। सचिन ने एक बार फिर मेरी पीठ थपथपाई, लगा सारा जहां मिल गया। इसका असर इतना हुआ कि चार ओवर बाद ही मैंने डेरेन सैमी का विकेट झटक लिया। उस मैच में सचिन ने पहली पारी में 94 रन बनाए थे, जबकि दूसरी पारी में तीन रन पर आउट हो गए थे।

(तेज गेंदबाज वरुण एरोन से जितेंद्र सिंह की बातचीत पर आधारित)

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