अजिंक्य की कप्तानी, धौनी-कोहली को बोर्ड का कड़ा संदेश

जिंबाब्वे दौरे के लिए टीम इंडिया के सीनियर खिलाडिय़ों को आराम देकर प्लेइंग इलेवन (बांग्लादेश के खिलाफ) से बाहर रहने वाले अजिंक्य रहाणे को मिली कप्तानी ने बीसीसीआइ के फैसले को चर्चा में ला दिया है। यह आम चलन है कि जब आप किसी नियमित कप्तान को आराम देते हैं

By sanjay savernEdited By: Publish:Wed, 01 Jul 2015 11:48 AM (IST) Updated:Wed, 01 Jul 2015 11:55 AM (IST)
अजिंक्य की कप्तानी, धौनी-कोहली को बोर्ड का कड़ा संदेश

नई दिल्ली। जिंबाब्वे दौरे के लिए टीम इंडिया के सीनियर खिलाडिय़ों को आराम देकर प्लेइंग इलेवन (बांग्लादेश के खिलाफ) से बाहर रहने वाले अजिंक्य रहाणे को मिली कप्तानी ने बीसीसीआइ के फैसले को चर्चा में ला दिया है। यह आम चलन है कि जब आप किसी नियमित कप्तान को आराम देते हैं तो किसी ऐसे खिलाड़ी को यह जिम्मेदारी दी जाती है जो इस मामले में अनुभवी या टीम का वरिष्ठ सदस्य हो।

पूर्व के अनुभवों को देखें तो गौतम गंभीर, सुरेश रैना या विराट कोहली ऐसे ही नाम हैं, जिन्हें विभिन्न मौकों पर वेस्टइंडीज, जिंबाब्वे और श्रीलंका दौरों पर टीम इंडिया की कमान सौंपी गई। तो क्या बांग्लादेश में धौनी और कोहली के बीच बयानों की जंग को देखते हुए भारतीय चयनकर्ताओं ने दोनों खिलाडिय़ों को किसी प्रकार का संदेश देने की कोशिश की है? रहाणे का चयन क्या इसी का एक प्रमाण है? रहाणे को जिस प्रकार वनडे टीम की कमान सौंपी गई वह यह भी दर्शाता है कि भारतीय चयनकर्ता पिछले कुछ वर्षो के उनके प्रदर्शन से खुश हैं।

चयन समिति के अध्यक्ष संदीप पाटिल के बयान ने इस बहस को और गर्म कर दिया। पाटिल ने कहा, 'रहाणे भारत के लिए निरंतर अच्छा प्रदर्शन करते आ रहे हैं और हम उनका प्रदर्शन अन्य भूमिकाओं में भी देखना चाहते हैं। इसलिए हमने उन्हें यह मौका दिया। पाटिल ने यह भी कहा कि वह रहाणे को समर्थन देना जारी रखेंगे। अब इसके क्या मतलब निकाले जाएं? क्या वह यह कहना चाहते हैं कि अगर धौनी और कोहली उनके अनुसार फिट नहीं बैठे तो रहाणे भविष्य में भारतीय टीम की अगुआई कर सकते हैं।


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