जब मैदान पर दिखा इस भारतीय दिग्गज का ज़लज़ला, अकेले ही चटका दिए 9 विकेट

सिर्फ एक विकेट और ले लेता ये गेंदबाज़ तो बना देता एक और बड़ा रिकॉर्ड।

By Pradeep SehgalEdited By: Publish:Thu, 16 Nov 2017 04:13 PM (IST) Updated:Thu, 16 Nov 2017 10:43 PM (IST)
जब मैदान पर दिखा इस भारतीय दिग्गज का ज़लज़ला, अकेले ही चटका दिए 9 विकेट
जब मैदान पर दिखा इस भारतीय दिग्गज का ज़लज़ला, अकेले ही चटका दिए 9 विकेट

नई दिल्ली, प्रदीप सहगल,[जागरण स्पेशल]। भारतीय टीम ने 25 जून 1983 को पहली बार विश्व कप का खिताब अपने नाम किया। इस फाइनल मैच से पहले भारतीय कप्तान कपिल देव ने जिम्बाब्वे के खिलाफ 175 रन की पारी खेलकर टीम इंडिया को फाइनल तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई। इसके बाद भारतीय टीम ने पहले विश्व कप का खिताब अपने नाम किया। यह साल कपिल देव के लिए इसलिए भी अहम रहा क्योंकि इसी साल उन्होंने अपने टेस्ट करियर की सबसे दमदार गेंदबाज़ी की। कपिल ने टेस्ट मैच की एक पारी में 9 विकेट अपने नाम किए वो भी सिर्फ 83 रन देकर।

इस खूंखार टीम के खिलाफ किया ऐसा

कपिल देव ने एक पारी में नौ विकेट लेने का कमाल उस समय की सबसे खूंखार टीम वेस्टइंडीज़ के खिलाफ अहमदाबाद के मैदान पर किया। 16 नवंबर 1983 को इस विश्व विजेता कप्तान ने अपनी दमदार गेंदबाज़ी के बल पर वेस्टइंडीज के बड़े-बड़े बल्लेबाज़ों को पवेलियन लौटने पर मजबूर कर दिया। इस मुकाबले में विंडीज़ की दूसरी पारी में कपिल ने 30.3 ओवर में सिर्फ 83 रन देकर नौ बल्लेबाजों को पवेलियन की राह दिखाई। इस दमदार स्पैल के दौरान उन्होंने 6 मेडन ओवर भी फेंके।

इस गेंदबाज़ ने लिया वो एकलौता विकेट

कैरिबियाई टीम की दूसरी पारी के नौ विकेट तो कपिल देव ने चटकाए। लेकिन इस पारी का वो एक विकेट जो कपिल नहीं ले सके वो था उस जमाने के धुआंधार बल्लेबाज़ डेसमंड हाइंड्स का और उनका विकेट चटकाया था भारत के दूसरे तेज़ गेंदबाज़ बलविंदर सिंह सिंधू ने।

कपिल के इस प्रदर्शन के बाद भी हार गया भारत

कपिल देव के 83 रन पर 9 विकेट लेने के बावजूद भी भारतीय टीम को इस मैच में 138 रन से हार का सामना करना पड़ा था। अहमदबाद के मोटेरा स्टेडियम में खेले गए इस मुकाबले में भारतीय कप्तान कपिल देव ने टॉस जीतकर पहले फील्डिंग का फैसला किया और वेस्टइंडीज़ की टीम पहली पारी में 281 रन पर सिमट गई। इसके जवाब में भारत की पूरी टीम 241 रन पर ढेर हो गई। दूसरी पारी में कपिल देव के कहर के आगे कैरिबियाई टीम 201 रन पर ऑलआउट हो गई। अब टीम इंडिया को इस मैच में जीत हासिल करने के लिए 242 रन बनाने थे, लेकिन उस दौर के खूंखार तेज़ गेंदबाज़ माइकल होल्डिंग ने चार अहम विकेट लेकर भारतीय बल्लेबाज़ी की कमर तोड़ दी। बचा हुआ काम विंसेंट डेविस ने तीन विकेट लेकर कर दिया और भारत की पूरी पारी 103 रन पर ढेर हो गई। इस तरह से टीम इंडिया को मिली 138 रन से हार।

इसलिए भी खास था ये मैच

इस मैच को कपिल दम की दमदार गेंदबाज़ी के लिए तो याद रखा ही जाता है। इसके साथ ही साथ एक और वजह है जिसकी वजह से ये मुकाबला सभी के जहन में रहता है। ये मुकाबला नवजोत सिंह सिद्धू का डेब्यू टेस्ट मैच भी था और इसके साथ ही साथ भारतीय टेस्ट क्रिकेट में पहली बार ऐसा हुआ था जब प्लेइंग इलेवन में तीन सरदार खिलाड़ियों को मौका दिया गया था। वो तीन खिलाड़ी थे मनिंदर सिंह, बलविंदर सिंह संद्धू और नवजोत सिंह सिद्धू।

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