40 के हुए 'टर्बनेटर', ये थी वो सीरीज जिसने हरभजन सिंह को बनाया 'सुपरहीरो'

हरभजन सिंह ने लगभग दो दशक तक भारत के लिए क्रिकेट खेली है लेकिन करियर के शुरुआत के तीसरे साल में उन्होंने कंगारू टीम के खिलाफ तहलका मचाकर खुद को हीरो साबित किया था।

By Vikash GaurEdited By: Publish:Fri, 03 Jul 2020 07:51 AM (IST) Updated:Fri, 03 Jul 2020 07:51 AM (IST)
40 के हुए 'टर्बनेटर', ये थी वो सीरीज जिसने हरभजन सिंह को बनाया 'सुपरहीरो'
40 के हुए 'टर्बनेटर', ये थी वो सीरीज जिसने हरभजन सिंह को बनाया 'सुपरहीरो'

नई दिल्ली, विकाश गौड़। 'टर्बनेटर' हरभजन सिंह भारतीय टीम के उन महान गेंदबाजों में शामिल हैं, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में परचम लहराया है। टर्बनेटर के नाम से फेमस हुए हरभजन सिंह आज 40 साल के हो गए हैं। उनके इस जन्मदिन पर उनको क्रिकेट जगत के लोगों से और उनके फैंस से खूब शुभकामनाएं मिल रही हैं। करीब दो दशक तक भारतीय टीम के लिए खेलने वाले हरभजन सिंह को लंबे समय से मौका तो नहीं मिला है, लेकिन वे अभी भी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में वापसी की चाह रखते हैं।

साल 1998 में टीम इंडिया के लिए इंटरनेशनल क्रिकेट में डेब्यू करने वाले हरभजन सिंह ने टीम की नाकामयाबी से लेकर कामयाबी तक का सफर तय किया है। भज्जी भारत की उस टीम का भी हिस्सा रहे हैं, जिसमें टीम को करारी हार झेलनी पड़ी है और भज्जी उस टीम का भी हिस्सा रहे हैं, जिसने टी20 वर्ल्ड कप 2007 और आइसीसी वनडे वर्ल्ड कप 2011 का चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया है। हालांकि, उनके करियर के लिए एक टेस्ट सीरीज ऐसी रही, जो उनके लिए लाइफ चेंजिंग रही।

हरभजन सिंह को एक टेस्ट सीरीज ने रातोंरात स्टार बना दिया था। उस सीरीज में उन्होंने वो कमाल किया था, जो भारतीय क्रिकेट के इतिहास में कभी नहीं हुआ था। जी हां, साल 2001 में ऑस्ट्रेलियाई टीम भारत के दौरे पर आई हुई थी, यहां मेजबान भारत को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 3 मैचों की टेस्ट सीरीज खेलनी थी। इस दौरे से पहले कंगारू टीम ने लगातार 15 टेस्ट मैच जीतकर विश्व रिकॉर्ड कामय किया हुआ था, लेकिन यहां कंगारू टीम की दाल गलने वाली नहीं थी, क्योंकि भज्जी रंग में दिखाई दे रहे थे।

शानदार ट्रैक रिकॉर्ड के साथ ऑस्ट्रेलियाई टीम हिंदुस्तान की सरजमीं पर 1969 के बाद टेस्ट सीरीज जीतने का ख्वाब देख रही थी। उधर, भारतीय टीम के कप्तान सौरव गांगुली की सिफारिश के बाद युवा स्पिनर हरभजन सिंह को टीम में शामिल किया गया था, क्योंकि अनिल कुंबले सीरीज का हिस्सा नहीं थे। इस सीरीज से पहले हरभजन का प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा था, बावजूद इसके कप्तान गांगुली ने उन पर भरोसा जताया और भज्जी ने भी वो कर दिखाया, जिसकी किसी को उम्मीद नहीं थी।

दरअसल, मुंबई में खेले गए तीन मैचों की टेस्ट सीरीज के पहले मुकाबले को कंगारू टीम ने महज 3 दिनों में 10 विकेट से जीत लिया। भारत की तरफ से इस मैच भज्जी ने 4 विकेट हासिल किए थे और वे लय में नजर आ रहे थे। इसके बाद मुकाबला कोलकाता के ईडन गार्डेन पर खेला गया। इस मैच में 'टर्बनेटर' भज्जी ने घूमती गेंदों से ऑस्ट्रेलियाई दिग्गजों के दिलों में दहशत पैदा कर दी थी। इसी मैच में उन्होंने हैट्रिक ली थी, जो कि कोई भी भारतीय गेंदबाज नहीं ले पाया था।

कोलकाता टेस्ट मैच की दोनों पारियों को मिलाकर उन्होंने कुल 13 विकेट हासिल किए थे। इसी के साथ ऑस्ट्रेलियाई टीम का विजय रथ रुक गया था। भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच कोलकाता टेस्ट के बाद सीरीज 1-1 से बराबर हो गई थी, लेकिन चेन्नई टेस्ट अभी बाकी था, जो कि सीरीज का फाइनल था। चेन्नई के चेपॉक स्टेडियम में तीसरा टेस्ट खेला गया, जिसमें हरभजन सिंह ने पहली पारी में 7 और दूसरी पारी में 8 विकेट लेकर तहलका मचा दिया और भारत को सीरीज में 2-1 से जीत दिला दी।

इस मैच में अपने शानदार प्रदर्शन की बदौलत हरभजन सिंह को 'मैन ऑफ द मैच' का खिताब मिला, जबकि सीरीज में एक हैट्रिक के साथ 32 विकेट चटकाने के लिए 'मैन ऑफ द सीरीज' का खिताब मिला। इस सीरीज ने भारतीय टीम को एक चमकता सितारा दे दिया था। इसके बाद भज्जी ने कभी भी मुड़कर पीछे नहीं देखा। हालांकि, पिछले कुछ सालों में शायद उम्र को देखते हुए उनको भारत की न तो टेस्ट टीम, न वनडे और न ही टी20 टीम में जगह मिल सकी है।

जालंधर में जन्मे हरभजन सिंह ने साल 1998 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट डेब्यू किया था। इसके बाद से साल 2015 तक उन्होंने देश के लिए कुल 103 टेस्ट मैच खेले थे। इन टेस्ट मैचों में उन्होंने 417 विकेट चटकाए थे। वहीं, बतौर बल्लेबाज भज्जी के नाम क्रिकेट के सबसे पुराने प्रारूप में 2 शतक और 9 अर्धशतकों के साथ 2225 रन बनाने का रिकॉर्ड दर्ज है। वहीं, वनडे इंटरनेशनल क्रिकेट में हरभजन ने 236 मैचों में टीम का प्रतिनिधित्व किया है, जिसमें उन्होंने 269 विकेट चटकाए हैं। इसके अलावा 28 टी20 मैचों में भज्जी के नाम 25 विकेट दर्ज हैं।

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