इस भारतीय दिग्गज के रहते कभी नहीं हारी उनकी टीम, विदेश में जड़ा था पहला दोहरा शतक

भारत के लिए पहले टेस्ट शतक को दोहरे शतक में बदलने वाला पहला खिलाड़ी रहा ये दिग्गज।

By Pradeep SehgalEdited By: Publish:Wed, 08 Aug 2018 12:19 PM (IST) Updated:Wed, 08 Aug 2018 03:35 PM (IST)
इस भारतीय दिग्गज के रहते कभी नहीं हारी उनकी टीम, विदेश में जड़ा था पहला दोहरा शतक
इस भारतीय दिग्गज के रहते कभी नहीं हारी उनकी टीम, विदेश में जड़ा था पहला दोहरा शतक

नई दिल्ली, [जागरण स्पेशल]। भारत के लिए यूं तो एक से बढ़कर एक दिग्गज खिलाड़ियों ने क्रिकेट खेला है। उनके अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलने की कहानियां भी काफी दिलचस्प रही हैं, लेकिन आज हम आपको एक ऐसे भारतीय दिग्गज के बारे में बताने जा रहे हैं। जो एक ऐसी जगह से भारतीय टीम में शामिल हुए जहां पर एक ढंग की टर्फ विेकेट तक नहीं थी। ये दिग्गज थे दिलीप सरदेसाई। सर्च इंजन गूगल ने बुधवार को डूडल के माध्यम से  दिलीप सरदेसाई को उनके 78वें जन्मदिन पर अपनी श्रृद्धांजलि अर्पित की।

8 अगस्त 1940 को जन्मे दिलीप सरदेसाई भारत के पहले और एकमात्र खिलाड़ी हैं जो गोवा से आए और टीम इंडिया का प्रतिनिधित्व कर सके। आज उनका जन्मदिन है। तो आइए जानते हैं उनके बारे में कुछ रोचक तथ्य- 

गोवा से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर खेलने वाला एकलौता खिलाड़ी

दिलीप सरदेसाई का जन्म 8 अगस्त 1940 को मागाओ, गोवा में हुआ था। वे गोवा में पैदा होने के बाद भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले एकमात्र क्रिकेटर हैं। गोवा को पुर्तगालियों का शहर कहा जाता था और यहां पर क्रिकेच के लिए कुछ भी नहीं था। आधारभूत संरचना के बारे में भूल जाओ, इस जगह में एक भी टर्फ विकेट नहीं था। इसके बावजूद दिलीप सरदेसाई ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट तक का न सिर्फ सफर तय किया बल्कि खुद को वहां पर साबित भी किया।

सारदेसाई के नाम दर्ज़ है ये रिकॉर्ड

दिलीप सरदेसाई भारत के लिए पहले टेस्ट शतक को दोहरे शतक में बदलने वाले पहले खिलाड़ी रहे। इसी के साथ वो फॉलोऑन खेलते हुए दोहरा शतक जमाने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी भी बने। उन्होंने ये पारी न्यूज़ीलैंड के खिलाफ 1965 में मुंबई में खेली थी। वो पहले भारतीय खिलाड़ी रहे जिन्होंने भारत के बाहर पहला दोहरा शतक जड़ा। ये कमाल उन्होंने 1972 में वेस्टइंडीज़ के खिलाफ किंगस्टन टेस के दौरान 212 रन की पारी खेलकर किया था।  

कभी नहीं हारे एक भी मैच

यह दुर्लभ उपलब्धियों में से एक है जिसे आप शायद ही कभी देखेंगे या सुनेंगे। दिलीप सरदेसाई ने बॉम्बे के लिए 61 मैचों में 54 की औसत से रन बनाए। बॉम्बे के लिए घरेलू क्रिकेट खेलते हुए दिलीप ने एक भी मैच में हार का मुंह नहीं देखा। जब भी वो बॉम्बे के लिए खेले तो या तो वो मैच ड्रॉ रहा या फिर उनकी टीम विजेता बनी।  

ऐसा रहा रिकॉर्ड

सरदेसाई को स्पिन गेंदबाजी के खिलाफ भारत का सर्वकालिक महान बल्लेबाज माना जाता है। इंटर-यूनिवर्सिटी रोहिंटन बारिया ट्रॉफी में 1959-60 में 87 के औसत से 435 रन बनाकर पहली बार चर्चा में आए सरदेसाई ने भारत के लिए 30 टेस्ट मैच खेले। अपने टेस्ट करियर में सारदेसाई ने पांच शतकों और नौ अर्धशतकों की मदद से कुल 2001 रन बनाए। टेस्ट मैचों में उनका सर्वोच्च व्यक्तिगत स्कोर 212 रन रहा है। उनके नाम दो दोहरे शतक हैं। सरदेसाई का प्रथम श्रेणी रिकार्ड प्रभावशाली रहा है। उन्होंने कुल 179 मैचों में 10230 रन बनाए। इसमें 25 शतक और 56 अर्धशतक शामिल हैं। प्रथम श्रेणी में भी सरदेसाई दोहरा शतक लगाए।

1971 का वो ऐतिहासिक वेस्टइंडीज़ दौरा

सन 1971 में भारत की टीम वेस्टइंडीज़ के दौरे पर गई थी। इस सीरीज़ को लिटिल मास्टर सुनील गावस्कर की बल्लेबाज़ी के लिए याद किया जाता है। इस सीरीज़ में गावस्कर ने सबसे अधिक 774 रन बनाए थे। लेकिन इस सीरीज़ में दूसरे सबसे अधिक रन बनाने वाले बल्लेबाज़ दिलीप सरदेसाई थे। दिलीप ने इस दौरे पर 642 रन बनाए थे। इस दौरान उन्होंने तीन शतक और एक अर्धशतक भी जड़ा था। पांच टेस्ट मैच की सीरीज़ को भारत ने 1-0 से जीता था। ये वेस्टइंडीज़ के खिलाफ भारत की पहली सीरीज़ जीत थी और वो मैच भारत ने जीता था उसमें दोनों टीमों की तरफ से दिलीप सरदेसाई ने ही एकलौता शतक जड़ा था। 

दिलीप सादेसाई ने 2 जुलाई 2007 को मुंबई में अंतिम सांस ली थी। सारदेसाई के पुत्र राजदीप सरदेसाई भारत के जाने-माने टीवी पत्रकार हैं।

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