बायो-बबल फटेगा या नहीं, बीसीसीआइ ने कहा- कार्यभार प्रबंधन पर हमारा पूरा ध्यान

अब सवाल यह है कि जैसा शास्त्री कह रहे हैं वह सही है या नहीं। क्या वाकई में बबल फटेगा? क्या वाकई मानसिक परेशानी के कारण टीम T20WC 2021 के सेमीफाइनल में नहीं पहुंच पाई? क्या भारत के अलावा सेमीफाइनल में पहुंची चार टीमें बायो-बबल में नहीं रह रही हैं?

By Sanjay SavernEdited By: Publish:Tue, 09 Nov 2021 07:01 PM (IST) Updated:Wed, 10 Nov 2021 12:14 AM (IST)
बायो-बबल फटेगा या नहीं, बीसीसीआइ ने कहा- कार्यभार प्रबंधन पर हमारा पूरा ध्यान
भारतीय क्रिकेट टीम के खिलाड़ी मैदान पर (एपी फोटो)

अभिषेक त्रिपाठी, अबूधाबी। रवि शास्त्री ने टीम इंडिया के कोच के तौर पर अपनी आखिरी प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि मैं एक चीज कहना चाहूंगा, यह कोई बहाना नहीं है। जब आप छह महीने बबल (बायो-बबल, यानी खिलाड़ियों के लिए बनाए गए सुरक्षित माहौल) में रहते हैं। टीम में कई ऐसे खिलाड़ी हैं जो तीनों फार्मेट खेलते हैं। बीते छह महीने वे 25 दिन ही अपने घर रहे हैं। ऐसे में आपका नाम ब्रैडमैन ही क्यों न हो, आपका बल्लेबाजी औसत कम हो जाएगा क्योंकि आप एक इंसान हैं। यह ऐसा नहीं कि आपने गाड़ी में तेल डाला और उसे चलाने लग गए। मैं सचेत करना चाहता हूं क्योंकि बबल फूट भी सकता है।

अब सवाल यह है कि जैसा शास्त्री कह रहे हैं वह सही है या नहीं। क्या वाकई में बबल फटेगा? क्या वाकई मानसिक परेशानी के कारण टीम टी-20 विश्व कप के सेमीफाइनल में नहीं पहुंच पाई? क्या भारत के अलावा सेमीफाइनल में पहुंची चार टीमें बायो-बबल में नहीं रह रही हैं? क्या किसी खिलाड़ी को परेशानी थी तो उसने बीसीसीआइ या टीम प्रबंधन से इस मामले में संपर्क किया? क्या किसी ने कहा कि वे ज्यादा थक गए हैं और नहीं खेलना चाहते हैं, उन्हें आराम की दरकार है?

जब इस पर बीसीसीआइ से संपर्क किया गया तो किसी ने रिकार्ड पर आकर तो नहीं बोला, लेकिन नाम न छापने की शर्त पर कहा कि कार्यभार प्रबंधन पर हमारा पूरा ध्यान है। हमने टीम का पूरा ध्यान रखा और जिनको ब्रेक दिया जाना चाहिए था, दिया गया। यहां तक कि हमने इंग्लैंड में टीम को एक महीने तक ब्रेक दिया। आगे भी हम कार्यभार पर विशेष ध्यान रखेंगे।

क्या वाकई में ब्रेक नहीं मिला : 2020 में चार मार्च को न्यूजीलैंड में टेस्ट सीरीज खत्म हुई। इसके बाद भारत को दक्षिण अफ्रीका में तीन वनडे की सीरीज खेलनी थी। धर्मशाला का मैच बारिश के कारण हुआ नहीं और कोरोना बढ़ने के कारण लखनऊ और कोलकाता का मैच रद हो गया। टेस्ट सीरीज में शामिल कई खिलाड़यों को वैसे भी वनडे में नहीं खेलना था। पांच महीने तक खिलाड़ियों ने कोई टूर्नामेंट खेला ही नहीं। इसके बाद 19 सितंबर से 10 नवंबर तक संयुक्त अरब अमीरात में आइपीएल खेला गया। वहां से 30 खिलाड़ी आस्ट्रेलिया गए थे। 27 नवंबर से वनडे सीरीज शुरू हुई। इससे पहले 14 दिन का क्वारंटाइन था। इसके बाद टी-20 और टेस्ट सीरीज हुई।

पहले टेस्ट में हार के बाद भारतीय कप्तान विराट कोहली अपनी बच्ची के जन्म के दौरान उसके साथ रहने के लिए भारत आ गए। आस्ट्रेलिया दौरा 19 जनवरी को खत्म हुआ। खिलाडि़यों को एक सप्ताह का ब्रेक मिला और फिर 27 जनवरी को इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज के लिए चेन्नई में इकट्ठा हुए। एक सप्ताह के क्वारंटाइन के बाद सीरीज शुरू हुई। मार्च के पहले सप्ताह में टेस्ट सीरीज खत्म हो गई। टेस्ट टीम में शामिल कई खिलाड़ी इशांत शर्मा, रवींद्र जडेजा, रविचंद्रन अश्विन, मयंक अग्रवाल, शुभमन गिल, चेतेश्वर पुजारा, अजिंक्य रहाणे, रिद्धमान साहा, कुलदीप यादव, मुहम्मद सिराज और उमेश यादव वनडे और टी-20 का हिस्सा नहीं थे। सिर्फ विराट, रोहित, हार्दिक, केएल राहुल, वाशिंगटन सुंदर, अक्षर पटेल और रिषभ पंत ऐसे थे जो तीनों टीम का हिस्सा थे। अक्षर पटेल और पांड्या आस्ट्रेलिया में नहीं थे।

विराट को भी आस्ट्रेलिया के दौरान आराम मिला था। राहुल भी चोट के कारण आस्ट्रेलिया में तीसरे टेस्ट से पहले भारत वापस आ गए थे। 28 मार्च को इंग्लैंड का दौरा खत्म हो गया। इसके बाद भारत में आइपीएल नौ अप्रैल से दो मई तक चला। कोरोना के कारण इसे स्थगित करना पड़ा। इसके बाद खिलाडि़यों ने एक महीने आराम किया और दो जून को इंग्लैंड के लिए साढ़े तीन महीने के दौरे के लिए रवाना हुए। इस दौरान टीम ने न्यूजीलैंड के खिलाफ विश्व टेस्ट चैंपियनशिप (डब्ल्यूटीसी) फाइनल खेला। डब्ल्यूटीसी फाइनल और इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज के बीच में एक महीने का आराम था।

बीसीसीआइ ने इसीलिए सभी क्रिकेटरों को परिवार सहित जाने की इजाजत दी थी। इंग्लैंड में कठिन क्वारंटाइन भी नहीं था। बीसीसीआइ के खर्चे पर खिलाड़ियों ने परिवार के साथ एक महीने की छुट्टी मनाई। इसमें कुछ खिलाड़ी फुटबाल मैच देखने गए। कुछ विंबलडन फाइनल देखने गए। कुछ ने फोटो शूट कराए और कुछ कोरोना का शिकार भी हुए। कुछ खिलाड़ी तो बीसीसीआइ का होटल छोड़कर अपने दोस्त के यहां भी रहे। बीसीसीआइ ने खिलाड़ियों को एक महीने इंग्लैंड में इसलिए बिना काम के रुकवाया, जिससे टीम को बार-बार भारत-इंग्लैंड का सफर नहीं करना पड़े और क्वारंटाइन में नहीं रहना पड़े।

विराट को दिखा था फायदा : इस एक महीने के ब्रेक के बाद जब खिलाड़ी नाटिंघम टेस्ट से पहले इकट्ठा हुए तो कप्तान विराट कोहली ने कहा था कि इस ब्रेक से हमें काफी फायदा मिलेगा। टीम ने इंग्लैंड के खिलाफ पांच की जगह सिर्फ चार टेस्ट वहां खेले। कोच रवि शास्त्री व सहयोगी स्टाफ के कोरोना पाजीटिव आने के बाद टीम ने पांचवां टेस्ट नहीं खेला। एक बात और इंग्लैंड दौरे पर कोई बबल जैसी चीज थी ही नहीं। अगर बबल होता तो शास्त्री की किताब का विमोचन कैसे होता। इसके बाद खिलाड़ी अपनी-अपनी टीमों के साथ आइपीएल खेलने आ गए। एक बात और उसके बाद विश्व कप शुरू हो गया।

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