वीरेंद्र सहवाग ने बताया, एस एस धौनी और सौरव गांगुली दोनों में से कौन थे बेस्ट कप्तान

गांगुली और धौनी दोनों ने भारतीय क्रिकेट में महत्वपूर्ण योगदान दिया। जहां गांगुली भारतीय टीम को 2003 आइसीसी वनडे विश्व कप के फाइनल में ले गए वहीं धौनी ने अपनी कप्तानी में भारत के लिए तीन आइसीसी खिताब जीते।

By Sanjay SavernEdited By: Publish:Fri, 03 Sep 2021 03:41 PM (IST) Updated:Fri, 03 Sep 2021 06:48 PM (IST)
वीरेंद्र सहवाग ने बताया, एस एस धौनी और सौरव गांगुली दोनों में से कौन थे बेस्ट कप्तान
टीम इंडिया के पूर्व ओपनर बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग (एपी फोटो)

नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। भारतीय क्रिकेट टीम को अब तक कुछ बेहतरीन कप्तान मिले हैं जो अन्य कप्तानों से थोड़ा अलग थे। कपिल देव से लेकर विराट कोहली तक कई ऐसे कप्तान रहे जिन्होंने इस खेल के विकास में बड़ा योगदान दिया। वीरेंद्र सहवाग जिन्होंने कुछ बेहतरीन कप्तान की कप्तानी में क्रिकेट खेली, उन्होंने अब बताया कि एम एस धौनी और सौरव गांगुली इन दोनों में से बेस्ट कौन थे। 

गांगुली और धौनी दोनों ने भारतीय क्रिकेट में महत्वपूर्ण योगदान दिया। जहां गांगुली भारतीय टीम को 2003 आइसीसी वनडे विश्व कप के फाइनल में ले गए, वहीं धौनी ने अपनी कप्तानी में भारत के लिए तीन आइसीसी खिताब जीते। हालांकि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि जब बड़े टूर्नामेंटों में सफलता की बात आती है तो धौनी भारतीय कप्तानों के चार्ट में सबसे ऊपर हैं, तो वहीं सहवाग को लगता है कि सौरव गांगुली दोनों में से बेहतर थे।

सहवाग ने आर जे रौनक के यूट्यूब शो 13 जवाब नहीं पर बात करते हुए कहा कि, मुझे लगता है कि कप्तानी कि लिहाज से दोनों शानदार थे, लेकिन मुझे लगता है कि गांगुली ज्यादा बेहतर कप्तान थे। उन्होंने एक नई टीम का निर्माण किया, उन्होंने नए खिलाड़ियों का चयन किया और एक यूनिट का पुनर्निर्माण किया। गांगुली ने भारत को विदेशी धरती पर जीतना सिखाया। हमने टेस्ट मैच ड्रा किए और कुछ विदेशों में जीते। 

सहवाग 90 के दशक में अक्सर अपना शतक पूरा करने के लिए छक्का लगाते थे, लेकिन एक बार 199 रन पर वो खेल रहे थे और उन्होंने सिंगल लेने से मना कर दिया था। इसके बारे में बताते हुए सहवाग ने कहा कि, यह बहुत पुराना किस्सा है। हम 2008 में श्रीलंका के दौरे पर थे। मुझे याद है कि मुथैया मुरलीधरन गेंदबाजी कर रहे थे और  नॉन-स्ट्राइकर छोर पर इशांत शर्मा थे। मुझे पता था कि अगर मैं सिंगल लेता हूं, तो मुरलीधरन इशांत को आउट कर देंगे, इसलिए मैंने स्ट्राइक पर रहने और इशांत को बचाने का फैसला किया, लेकिन मुरलीधरन ने सभी क्षेत्ररक्षकों को पास में ही रख दिया और गनीमत रही कि गेंद गैप में चली गई और हमने आखिरी गेंद पर सिंगल लिया। इसके बाद इशांत ज्यादा देर तक नहीं टिके और अगले ही ओवर में आउट हो गए।

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