सुरेश रैना ने बताया- चोटिल होने के बाद 2007 में पता नहीं था कि आगे खेलूंगा भी या नहीं

भारत के लिए 226 वनडे मैचों में 5615 रन बनाने वाले रैना से जब पूछा गया कि क्या फिनिशर पर ज्यादा दबाव होता है तो उन्होंने कहा फिनिशर पर ज्यादा दबाव होता है लेकिन मुझे लगता है कि नियम काफी बदल गए हैं।

By Sanjay SavernEdited By: Publish:Thu, 14 Oct 2021 08:17 PM (IST) Updated:Thu, 14 Oct 2021 08:17 PM (IST)
सुरेश रैना ने बताया- चोटिल होने के बाद 2007 में पता नहीं था कि आगे खेलूंगा भी या नहीं
टीम इंडिया के पूर्व खिलाड़ी रैना व धौनी (एपी फोटो)

जागरण न्यूज नेटवर्क, नई दिल्ली। पूर्व भारतीय बल्लेबाज सुरेश रैना के करियर में 2007 में ऐसा समय भी आया था जब उन्हें लगने लगा था कि चोटिल होने के कारण वह आगे खेल भी पाएंगे या नहीं।

भारत के लिए वनडे में 2005 में पदार्पण करने वाले उत्तर प्रदेश के रैना ने क्रिकेट निर्माता कंपनी एसजी के यूट्यूब चैनल पर कहा, '2007 में जब मेरा आपरेशन हुआ था और उस समय क्रिकेट ही मेरे लिए सब कुछ था, लेकिन रिहैब से मुझे पता चला कि क्रिकेट के अलावा भी जिंदगी है। मुझे उस समय पता ही नहीं था कि मैं आगे खेलूंगा भी या नहीं। उस समय घर का भी लोन था तो यह सोच रहा था कि घर का भी करना है क्योंकि परिवार बड़ा है। तब पापा ने कहा कि पहले अपनी चोट ठीक कर लो और आराम करो। लेकिन, मुझे लगता है कि खुद पर विश्वास और मेरी हास्टल की जिंदगी ने मुझे आत्मनिर्भर बनाया।'

भारत के लिए 226 वनडे मैचों में 5615 रन बनाने वाले रैना से जब पूछा गया कि क्या फिनिशर पर ज्यादा दबाव होता है तो उन्होंने कहा, 'फिनिशर पर ज्यादा दबाव होता है, लेकिन मुझे लगता है कि नियम काफी बदल गए हैं। पहले पावरप्ले नहीं था और दो नई गेंद नहीं थीं और 35 ओवर के बाद गेंद बदलती थी। मैं, माही भाई हम जब साथ खेलते थे तब राहुल द्रविड़ कप्तान होते थे तो बोलते थे कि 40 ओवर में 200 रन बना लो फिर नीचे धौनी, युवी और रैना हैं। अब 400 रन के लक्ष्य भी हासिल कर लिए जाते हैं, तो कहीं ना कहीं आपको खेल बदलना पड़ेगा। दो मैच में अच्छे रन नहीं बने तो और सुधार करना होता है। तो आप गेंदबाज पर दबाव ला सकते हो और मैदान में शाट मारने के लिए जगह ढूंढ सकते हो। लेकिन, महत्वपूर्ण यह है कि आप खुद पर भरोसा करो और जब आप खेलने जाते हो तो पता नहीं होता कि कल आप टीम में रहोगे या नहीं। फिर इस चौके और छक्के जड़ने खिलाड़ी को मीडिया में आलोचना भी झेलनी पड़ती है, इसलिए जाओ और क्रिकेट का आनंद लो।'

रैना को मिस्टर आइपीएल भी कहा जाता है और जब उनसे पूछा गया कि जब कोई आपको इस नाम से पुकारता है तो आपको कैसा लगता है तो उन्होंने कहा, 'जब मैं तीन नंबर पर खेला तो मैं आजादी के साथ बल्लेबाजी करता था। आइपीएल में मैंने पूरे क्रम का आनंद लिया है। इसके अलावा स्टीफन फ्लेमिंग, धौनी, हसी, मैथ्यू हेडन जैसे दिग्गज खिलाडि़यों से काफी कुछ सीखा। जब आप नंबर तीन पर खेलते हो तो बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है कि पावरप्ले के छह ओवर और मिडिल ओवर में आप कैसा खेलते हो। मुझे लगता है कि आइपीएल अनुशासित लीग है और मैंने यह भी सीखा कि आप अपनी पारी में स्थिति के हिसाब से कैसे तेजी लाते हो, इसलिए मुझे मिस्टर आइपीएल बोलते हैं, लेकिन मुझे लगता है कि और भी खिलाड़ी अच्छे आ रहे हैं। रिषभ पंत अच्छा कर रहा है और दिल्ली की टीम का कप्तान है। श्रेयस अय्यर और लोकेश राहुल अच्छा कर रहे हैं और रुतुराज गायकवाड़ भी बहुत अच्छे बल्लेबाज हैं।

रैना ने द्रविड़ की तारीफ करते हुए कहा, 'उनका व्यवहार बहुत अलग है। उस समय काफी विवाद भी हुए थे और कई युवा खिलाड़ी खेले, जिसमें मैं भी शामिल था। राहुल भाई काफी अनुशासित थे और कोई खिलाड़ी मुश्किल में होता था तो वह बोलते थे कि मैं करता हूं। इसके अलावा वह यह भी कहते थे जो भी खिलाड़ी घर जा रहा है वो अपनी घरेलू टीम के लिए घरेलू क्रिकेट भी जरूर खेले।'

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