घरेलू क्रिकेट को मजबूत बनाना हमारी पहली प्राथमिकता : माहिम वर्मा

बीसीसीआइ की नई टीम के उपाध्यक्ष माहिम वर्मा का मानना है कि भारत में जूनियर क्रिकेट को लेकर काफी काम करना जरूरी है।

By Sanjay SavernEdited By: Publish:Wed, 13 Nov 2019 07:50 PM (IST) Updated:Wed, 13 Nov 2019 07:50 PM (IST)
घरेलू क्रिकेट को मजबूत बनाना हमारी पहली प्राथमिकता : माहिम वर्मा
घरेलू क्रिकेट को मजबूत बनाना हमारी पहली प्राथमिकता : माहिम वर्मा

पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली की अगुआई वाली बीसीसीआइ की नई टीम के उपाध्यक्ष माहिम वर्मा का मानना है कि भारत में जूनियर क्रिकेट को लेकर काफी काम करना जरूरी है। माहिम उत्तराखंड के पहले व्यक्ति हैं, जिन्हें बीसीसीआइ में में कोई बड़ी जिम्मेदारी मिली है। माहिम बुधवार को राजधानी नई दिल्ली में थे। अभिषेक त्रिपाठी ने क्रिकेट से जुड़े तमाम मुद्दों को लेकर माहिम वर्मा से खास बातचीत की। पेश हैं प्रमुख अंश :-

-गांगुली और जय शाह के नेतृत्व में बनी बीसीसीआइ की नई टीम को कैसे देख रहे हैं?

--दोनों अनुभवी हैं। गांगुली की नेतृत्व क्षमता तो अच्छी है ही, जिसे हम क्रिकेट के मैदान के अलावा बंगाल क्रिकेट संघ के अध्यक्ष के तौर पर देख चुके हैं और अब उनकी एक नई नेतृत्व क्षमता यहां पर देखने को मिलेगी। जय शाह भी गुजरात में रह चुके हैं। उनके पास भी क्रिकेट प्रशासन का लंबा अनुभव है।

-बीसीसीआइ में पिछला तीन साल विनोद राय के नेतृत्व वाली प्रशासकों की समिति के नाम रहा लेकिन आइसीसी में भारत की छवि कमजोर हुई। ऐसे में नई बीसीसीआइ टीम के सामने बहुत चुनौतियां हैं। इस पर आ क्या कहेंगे?

--देखिए ये तो सही बात है कि पिछले तीन साल से बीसीसीआइ में परेशानी थी। चाहे आइसीसी से बोर्ड को धन मिलने का मामला हो गया दूसरे मुद्दे हों उसमें भारतीय बोर्ड की छवि को नुकसान हुआ। बीसीसीआइ की पहली बैठक में ही इसकी चर्चा हो चुकी है और अब हम लोग आइसीसी में इसकी कड़ी पैरवी करेंगे। दोबारा से खेल खेला जाएगा। घरेलू क्रिकेट को मजबूत बनाना हमारी पहली प्राथमिकता है, खासकर जूनियर क्रिकेट के लिए।

-आपको क्या लगता है कि जूनियर क्रिकेट में क्या-क्या बदलाव करने की जरूरत है?

--जूनियर क्रिकेट पर ही फोकस करना पड़ेगा। उनकी सुविधाएं और बुनियादी ढांचे को ठीक करना पड़ेगा। जूनियर क्रिकेट के कैंप पर काम करना होगा। राष्ट्रीय टूर्नामेंट और जोनल मैचों पर फोकस करना होगा। बीसीसीआइ अध्यक्ष ने हाल ही में राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी का दौरा किया। उसमें काफी सुधार होना है और इस पर कई योजनाएं बनाई जा रही हैं। जल्द ही सामने आएंगी।

- उत्तराखंड और कुछ अन्य नए राज्य संघों को अब बीसीसीआइ से मान्यता मिल गई हैं। इसे कैसे देखते हैं और यह कितना महत्वपूर्ण है, खासकर उत्तराखंड के लिए?

--बहुत महत्वपूर्ण है, उत्तराखंड में काफी ज्यादा क्रिकेट है। इससे पूरे भारत को क्रिकेट में अपना प्रतिनिधित्व मिल गया। आप देख लीजिए उत्तराखंड के लड़के कितना अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। दो ही साल हुए है हमें मान्यता मिले हुए। शुरुआत में ही हम अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। अब पूरे सत्र इनका क्रिकेट चलता रहेगा। यह मान्यता मिलना बहुत जरूरी थी। पहले हमारे बच्चे दूसरे राज्यों से खेल रहे थे। कोई उत्तर प्रदेश से खेल रहा था तो कोई हिमाचल जाकर खेल रहा था। अब सब लौटकर राज्य में आ रहे हैं। हमने गोवा को हराया है। मुश्ताक अली ट्रॉफी में मयंक मिश्रा ने हैट्रिक ली है। आज लड़कियों के भी मैच जीतने के मेरे पास मैसेज आए हैं।

-आपका कहना है कम से कम उत्तराखंड से क्रिकेटरों का पलायन खत्म हो गया है?

--हां, क्रिकेट का पलायन खत्म हो गया है, लेकिन इससे बुनियादी ढांचा का तो विकास होगा ना। देखिए पहले क्या होता था, मैच हुए, लड़के मैच खेले, मैच खत्म हुए और सब अपने घर चले गए और फिर सत्र शुरू हुआ दोबारा कैंप लगा। अब पूरे सत्र क्रिकेट चलता रहेगा।

-जब आपको अचानक से उपाध्यक्ष बनने की खबर मिली तो कितना रोमांच महसूस हुआ?

-- रोमांचित करने वाला फैसला तो था ही। उस रात को मैं सोया ही नहीं। मुझे खुद हैरानी हुई थी कि गया तो किसी और काम से था और यह काम हो गया। निश्चित रूप से इससे पूरा फोकस तो बना। मैं उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश से संबंध रखता हूं तो मेरा फोकस है कि यहां के जो काम अटके हुए हैं उनको पूरा करना है।

-बीसीसीआइ की मौजूदा टीम में गांगुली और जय शाह जैसे अनुभवी हैं तो आप, धूमल और जयेश जॉर्ज जैसे नए लोगों को मिश्रण है। इस टीम को कैसे देखते हैं?

--हमारी टीम युवा है। अच्छा प्रदर्शन करेगी। खासतौर से गांगुली का अनुभव अच्छा है तो उनके नेतृत्व में हम अच्छा ही करेंगे।

-उत्तराखंड को मान्यता मिलने और आपके उपाध्यक्ष बनने में पूर्व आइपीएल चेयरमैन राजीव शुक्ला का कितना हाथ है?

--यूपीसीए और राजीव शुक्ला का बहुत बड़ा योगदान है। हमको 2012 या 2013 में उत्तर प्रदेश का 12वां जोन बनाया था, तब हमारे लड़के जो कोच, अंपायर या स्कोरर थे वे यूपी से ही आने शुरू हुए थे। निश्चित तौर इस यात्रा में राजीव शुक्ला का अहम योगदान है।

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