छत्तीसगढ़ में मिला दुर्लभ इंडियन स्मूथ स्नेक

छत्तीसगढ़ सांपों के गढ़ के रूप में पहचान बना रहा है। यहां लगातार सांपों की नई प्रजातियां मिल रही हैं। वन विभाग ने सांपों के सर्वे का जिम्मा नोवा नेचर वेलफेयर सोसाइटी को दिया है।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Fri, 22 May 2015 01:37 AM (IST) Updated:Fri, 22 May 2015 01:39 AM (IST)
छत्तीसगढ़ में मिला दुर्लभ इंडियन स्मूथ स्नेक

रायपुर [निप्र]। छत्तीसगढ़ सांपों के गढ़ के रूप में पहचान बना रहा है। यहां लगातार सांपों की नई प्रजातियां मिल रही हैं। वन विभाग ने सांपों के सर्वे का जिम्मा नोवा नेचर वेलफेयर सोसाइटी को दिया है।

सोसाइटी ने एक ऐसा ही सांप सर्वे के दौरान ढूढ़़ निकाला है, जो अब तक सिर्फ महाराष्ट्र में ही देखा गया है। इस सांप को भारतीय चिकना सांप या इंडियन स्मूथ स्नेक और क्रोनेला ब्राचुरेला वैज्ञानिक नाम से जाना जाता है। इस सांप के मिलने से छत्तीसगढ़ भी सांपों के डिस्ट्रीब्यूशन के नक्शे में स्थान बना लेगा।

नोवा नेचर वेलफेयर सोसाइटी के सचिव मोइज अहमद ने बताया कि राजनांदगांव, दुर्ग जिले में किए जा रहे सरीसृप सर्वे में यह उपलब्धि मिली है। सोसाइटी की टीम अक्टूबर 2014 से 1 साल के लिए राजनांदगांव और दुर्ग जिले में सांपों के सर्वे के प्रोजेक्ट पर काम कर रही है। अब तक 18 प्रजाति के सांप सर्वे के दौरान मिले चुके हैं, जिनके बारे में अब तक छत्तीसगढ़ से जुड़ा कोई रिकॉर्ड नहीं था।

सोसाइटी के उपाध्यक्ष सूरज राव और उनकी टीम छुरिया क्षेत्र की बाघ नदी के पास सर्वे कर रही थी, तभी इंडियन स्मूथ स्नेक मिला, जो सुबह 7 बजे धूप लेने के लिए पत्थर पर बैठा हुआ था। टीम के पास सिर्फ इसका फोटो लेने तक ही वक्त था। आसपास हरकत देखकर सांप बिल में घुस गया। हालांकि सोसाइटी की टीम इसकी खोज में लगी हुई है। सांप का फोटो ही इसका आधार है। सांप के दोबारा मिलने पर उसका ब्लड सैंपल लिया जाएगा और डीएनए जांच भी कराई जाएगी। सांप मिलने से सोसाइटी और वन विभाग उत्साहित हैं। विभाग ने इसके डाक्यूमेंटेशन की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

इंडियन स्मूथ स्नेक के बारे में अभी तक बहुत कम जानकारी ही उपलब्ध है। स्नेक ऑफ इंडिया, जो सापों पर अध्ययन करने वाले प्रसिद्ध वैज्ञानिक रोमुलस विटेकर की किताब है, उसमें इसके बारे में मिला है कि यह भारत में सिर्फ महाराष्ट्र में 2 बार देखा गया है। इससे ज्यादा जानकारी नहीं है।

इस सांप के बारे में बेहद कम जानकारी है, लेकिन जितनी जानकारी है, उसके मुताबिक यह सांप बहुत ही शांत स्वभाव का है। इस प्रजाति के नमूने शुष्क इलाकों में पत्थर के ढेर के नजदीक मिले हैं। पेड़ों में भी रहने की जानकारी है।

इंडियन स्मूथ स्नेक छिपकली को कुंडली में फंसा कर खाते हैं, इसके अलावा छोटे सांप मेढक को भी खाना पसंद करते हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक ये चिकने होते हैं। सिर गर्दन से हल्के चौड़े होते हैं। गोल पुतली वाली बड़ी आंखें होती हैं। पीठ का रंग हल्के से गाढ़ा भूरा होता है और पेट सफेद और दुम लंबी होती है। यह सांप विषहीन होता है।

केसी बेवर्ता, अपर प्रधान वन संरक्षक [वन प्राणी], वन विभाग ने बताया कि यह राज्य के लिए एक बड़ी उपलब्धि है, क्योंकि अभी तक सिर्फ महाराष्ट्र में इस सांप के पाए जाने की जानकारी है। हमने इसके डाक्यूमेंटेशन की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

chat bot
आपका साथी