पीएचक्यू में बगैर दफ्तर के बीता आईजी कल्लूरी का पहला दिन

बस्तर से हटाए गए आईजी एसआरपी कल्लूरी को पहले दिन पीएचक्यू में कमरा नहीं मिल पाया।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Tue, 14 Feb 2017 03:55 AM (IST) Updated:Tue, 14 Feb 2017 04:06 AM (IST)
पीएचक्यू में बगैर दफ्तर के बीता आईजी कल्लूरी का पहला दिन
पीएचक्यू में बगैर दफ्तर के बीता आईजी कल्लूरी का पहला दिन

रायपुर, ब्यूरो। बस्तर से हटाए गए आईजी एसआरपी कल्लूरी को पहले दिन पीएचक्यू में कमरा नहीं मिल पाया। वे दिनभर अफसरों से मिलते रहे। हालांकि उनकी मुलाकात डीजीपी एएन उपाध्याय से नहीं हुई। इधर कल्लूरी समर्थक राजधानी पहुंचे और मांग की कि उन्हें वापस बस्तर भेजा जाए। उनके बस्तर से हटते ही नक्सली मुखर होने लगे हैं।

कल्लूरी सुबह पीएचक्यू गए, लेकिन डीजीपी नहीं थे। इसके बाद वे पुराने पीएचक्यू स्थित एसआईबी के दफ्तर पहुंचे। वहां वे स्पेशल डीजीपी नक्सल ऑपरेशन डीएम अवस्थी से मिले। दोनों में नक्सल समस्या और उसके समाधान पर लंबी चर्चा हुई। दोनों ने साथ चाय पी, फिर अवस्थी एक मीटिंग के सिलसिले में मंत्रालय रवाना हुए तो कल्लूरी भी उनके साथ चले गए।

मंत्रालय में उन्होंने मुख्य सचिव विवेक ढांड से मुलाकात की। दोनों के बीच क्या चर्चा हुई, इसका खुलासा नहीं हो पाया है। कल्लूरी ने कहा कि यह रूटीन मुलाकात थी। उन्होंने बताया कि अभी पीएचक्यू में न कोई काम मिला है और न कमरा। पहला दिन अफसरों से मुलाकात में ही गुजरा। आगे देखते हैं क्या होगा। उन्होंने कहा कि डीजीपी से मुलाकात नहीं हो पाई, इसलिए पता नहीं कि क्या मिलेगा।
बिल में छुपे थे, अब बयान देने लगे नक्सली
रविवार को कल्लूरी के कई समर्थक बस्तर से रायपुर आए थे। उन्होंने उनके बंगले जाकर मुलाकात की। समर्थकों ने सरकार से मांग की है कि कल्लूरी को वापस बस्तर भेजा जाए। ढोलकल गणेश प्रतिमा को लेकर नक्सली नेता गणेश उइके के बयान का हवाला देते हुए अग्नि के संस्थापक सदस्य संपत झा ने कहा कि अब तक ये लोग बिल में छुपे थे, साहब के हटते ही बयान देने लगे। नक्सली अब अग्नि के सदस्यों को गुंडा कह रहे हैं, जबकि वे खुद बस्तर में आदिवासियों को नक्सली वर्दी पहनाकर हिंसा में झोंक रहे हैं।
हम सरकार की रणनीति पर कर रहे काम
स्पेशल डीजी नक्सल ऑपरेशन डीएम अवस्थी ने नईदुनिया से कहा कि कल्लूरी से पुराने संबंध हैं। वे साथ चाय पीने आए थे। कल्लूरी समर्थकों की इस आशंका को उन्होंने खारिज कर दिया कि अब नक्सली हावी हो जाएंगे। अवस्थी ने कहा कि नक्सल समस्या गंभीर विषषय है, इस पर हल्की बात नहीं होनी चाहिए। 2013 में जीरम कांड हुआ, इसके बाद कल्लूरी को वहां भेजा गया। उन्होंने 2014 से 16 तक बेहतर काम किया। उनका स्वास्थ्य खराब है इसलिए रूटीन प्रक्रिया में तबादला किया गया। रणनीति सरकार की है। कल्लूरी ने उस रणनीति पर ब़ि$ढया काम किया है और आगे भी ब़ि$ढया होगा। रविवार को सुकमा में मठभ़े$ड में 4 नक्सली मारे गए। सोमवार को बीजापुर में एक नक्सली मारा गया।

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