CG Governement Employee Strike: छत्‍तीसगढ़ के सरकारी दफ्तरों में 5 दिन ठप रहेगा काम, कर्मचारियों ने किया हड़ताल का ऐलान

CG Governement Employee Strike छत्‍तीसगढ़ के सरकारी कर्मचारियों ने केंद्रीय कर्मचारियों के बराबर 43 प्रतिशत महंगाई भत्ता (डीए) और हाउस रेंट (एचआरए) की मांग को लेकर पांच दिवसीय हड़ताल का ऐलान कर दिया है। कर्मचारियों के इस आंदोलन से सरकारी कामकाज बुरी तरह प्रभावित होने की उम्‍मीद है।

By Babita KashyapEdited By: Publish:Mon, 25 Jul 2022 11:54 AM (IST) Updated:Mon, 25 Jul 2022 11:54 AM (IST)
CG Governement Employee Strike: छत्‍तीसगढ़ के सरकारी दफ्तरों में 5 दिन ठप रहेगा काम, कर्मचारियों ने किया हड़ताल का ऐलान
CG Governement Employee Strike: छत्‍तीसगढ़ के सरकारी दफ्तरों में पांच दिन कामकाज रहेगा ठप

रायपुर, जागरण आनलाइन डेस्‍क। CG Governement Employee Strike: छत्तीसगढ़ के सरकारी अधिकारी व कर्मचारियों ने सोमवार से पांच दिवसीय हड़ताल पर जाने की घोषणा कर दी है। इन कर्मचारियों की मांग है कि उन्‍हें केंद्रीय कर्मचारियों के बराबर 43 प्रतिशत महंगाई भत्ता (डीए) और हाउस रेंट (एचआरए) दिया जाए। इस आंदोलन को कलमबंद कामबंद हड़ताल नाम दिया गया है। इसमें शामिल होने के लिए बड़ी संख्या में कर्मचारियों ने 25 से 29 जुलाई तक सामूहिक अवकाश के लिए आवेदन किया है। इसके बाद शनिवार और रविवार है।

सात दिन तक प्रभावित रहेगा कामकाज

कर्मचारियों के इस आंदोलन से सरकारी कामकाज बुरी तरह प्रभावित होने की उम्‍मीद है। हालांकि सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव डीडी सिंह का दावा है कि आंदोलन का कामकाज पर कोई असर नहीं पड़ेगा। कर्मचारी-अधिकारी महासंघ ने हड़ताल का आह्वान किया है। महासंघ का दावा है कि इसमें 75 से अधिक कर्मचारी और अधिकारी संगठन शामिल हैं। इसमें स्कूल और कॉलेज भी शामिल हैं।

43 प्रतिशत महंगाई भत्ता और मकान किराया देने की मांग

फेडरेशन के प्रांतीय संयोजक कमल वर्मा और महासचिव आरके रिचरिया ने हड़ताल के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। वर्मा ने कहा कि इन मांगों को लेकर लंबा संघर्ष चल रहा है। पहले चरण के आंदोलन के बाद भी सरकार पूरी तरह से उदासीन बनी हुई है। इस वजह से मजबूरन हड़ताल का फैसला लेना पड़ा।

मांगों को लेकर लंबे समय से जारी है संघर्ष

फेडरेशन के प्रांतीय संयोजक कमल वर्मा व महासचिव आरके रिछारिया ने इस हड़ताल के लिए सरकार को जिम्मेदार बताया है। वर्मा ने बताया कि इन मांगों को लेकर लंबे समय से संघर्ष किया जा रहा है। इससे पहले चरणबद्ध आंदोलन के बाद भी सरकार पूरी तरह उदासीन बनी हुई है। इसके कारण विवश होकर हड़ताल का फैसला लेना पड़ा है।

काम पर असर

इसका असर हड़ताल शुरू होने से पहले ही दिखने लगा था। भिलाई के तकनीकी विश्वविद्यालय ने हड़ताल को देखते हुए अपनी परीक्षाएं स्थगित कर दी हैं। वहीं 28 जुलाई को हरेली के मौके पर स्कूलों में विभिन्न आयोजनों पर भी इसका असर पड़ सकता है।

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