Dussehra Ravan Dahan:विजयदशमी पर शमी पत्र का करें ये उपाय, सुख-समृद्धि और ऐश्वर्य में होगी वृद्धि

Dussehra 2022 विजयदशमी को रावण दहन के बाद लौटते समय परिचितों को शमी पत्र भेंट करने की परंपरा बहुत पुरानी है। ऐसे मान्‍यता है कि ऐसा करने से शमी पत्र को पूजा कक्ष या तिजोरी में रखने से सुख समृद्धि और ऐश्वर्य में वृद्धि होती है।

By Babita KashyapEdited By: Publish:Wed, 05 Oct 2022 07:54 AM (IST) Updated:Wed, 05 Oct 2022 07:54 AM (IST)
Dussehra Ravan Dahan:विजयदशमी पर शमी पत्र का करें ये उपाय, सुख-समृद्धि और ऐश्वर्य में होगी वृद्धि
Dussehra Ravan Dahan: छत्तीसगढ़ में शमी पत्र को सोनपत्‍ता कहते हैं।

रायपुर, जागरण आनलाइन डेस्‍क। विजयादशमी (Dussehra 2022) पर रावण दहन के बाद घर लौटते समय शमीपत्र साथ लेकर आने की परंपरा काफी पुरानी है। छत्तीसगढ़ में शमी पत्र को सोनपत्‍ता कहते हैं। परिचितों और रिश्तेदारों को सोना के पत्ते भेंट स्‍वरूप दिए जाते हैं और उनकी सुख-समृद्धि की कामना की जाती है।

तिजाेरी में रखे शमी पत्र   

ऐसा माना जाता है कि शमी पत्र को पूजा कक्ष या तिजोरी में रखने से सुख, समृद्धि और ऐश्वर्य में वृद्धि होती है। हमेशा की तरह आज बुधवार को भी राजधानी के कई दशहरा मैदान में रावण दहन कर आने वाले लोग अपने साथ शमी पत्र लाएंगे और अपने परिचितों को देकर उनके सुख एवं समृद्धि की कामना करेंगे।

शनि से शमी पत्र का संबंध  

ज्योतिषी डॉ. दत्तात्रेय होस्केरे ने बताया कि शमी का पेड़ प्रमुख माना जाता है। सूर्य के पुत्र शनिदेव से इनका संबंध है। ऐसा माना जाता है कि राजा रावण ने शनिदेव को बंदी बनाकर रखा था। भगवान राम ने राजा रावण का वध किया था तभी से इस दिन विजयदशमी का पर्व मनाया जाता है।

रावण के वध से शनि देव मुक्त हो गए थे। चूंकि शमी पात्र शनि प्रधान वृक्ष है, इसलिए इसके पत्ते बांटकर खुशी मनाई जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन घर के आंगन में शमी के पत्ते लगाने चाहिए। इससे जीवन में सुख-समृद्धि आती है और दुख और रोगों का नाश होता है।

शमी पत्र का महत्‍व

दशहरे के लिद शमी के पेड़ की पूजा करने से घर में तंत्र मंत्र नष्‍ट हो जाता है। शमी की पूजा से सारी विपदाएं दूर हो जाती हैं शमी के पेड़ की पूजा करने से शनि का प्रकोप शांत हो जाता है क्‍योंकि इसके पेड़ को साक्षात शनिदेव का रूप माना जाता है शमी का आयुर्वेद में काफी प्रयोग किया जाता है लंका में प्रवेश करने से पहले भगवान श्रीराम ने शमी के आगे शीश नवा विजय के लिए प्रार्थना की थी। शमी के पत्‍तों को तोड़ने से पहले इसके पेड़ को पूजा जाता है।

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