22 अरब का प्लान भी रायपुर को नहीं पहुंचा सका टॉप 20 सिटी में

स्मार्ट सिटी के लिए यहां से 21 अरब 65 करोड़ रुपए का प्रपोजल बनाकर भेजा गया था। मुंबई की एक एजेंसी को केवल प्राथमिक प्लान बनाने के लिए ही 20 लाख रुपए

By Atul GuptaEdited By: Publish:Fri, 29 Jan 2016 05:59 AM (IST) Updated:Fri, 29 Jan 2016 06:03 AM (IST)
22 अरब का प्लान भी रायपुर को नहीं पहुंचा सका टॉप 20 सिटी में

रायपुर। स्मार्ट सिटी के लिए यहां से 21 अरब 65 करोड़ रुपए का प्रपोजल बनाकर भेजा गया था। मुंबई की एक एजेंसी को केवल प्राथमिक प्लान बनाने के लिए ही 20 लाख रुपए का भुगतान हुआ। इसके बावजूद केंद्र सरकार की चयन समिति के सामने फेल हो गया, और रायपुर का चयन प्रथम 20 स्मार्ट शहरों के लिए नहीं हो पाया। बिना मेहनत बने थे कई प्लान- 0 पांच साल पुराना ट्रैफिक सर्वे- नगर निगम ने वर्ष 2009 में दिल्ली की एजेंसी राइट्स से सर्वे कराया था। कंसल्टेंट एजेंसी और निगम के अधिकारियों ने छह साल पुराने सुझावों के आधार पर ट्रैफिक प्लान बनाकर भेजा था।

इस बीच आबादी, वाहनों का दबाव और सड़कों की स्थिति काफी बदली है। 0 सोलर सिटी प्लान पांच साल पुराना- क्रेडा ने शहर का सर्वे कर पांच साल पहले सोलर प्लान बनाकर निगम निगम को दिया था। उसका एक हिस्सा था सोलर सिटी। निगम के विद्युत विभाग के ही अधिकारियों का कहना है कि तब और अब स्ट्रीट लाइट की संख्या बढ़ी है। सरकारी भवन बढ़े हैं। मुंबई की लोकल सेल्फ गर्वनमेंट एजेंसी को केंद्र सरकार ने रायपुर के लिए नियुक्त किया था।

एजेंसी ने शुरुआत के कुछ हफ्ते तो केवल दो युवतियों के भरोसे अरबों के प्रपोजल को छोड़ दिया था। 'नईदुनिया' ने 2 अक्टूबर 2015 के अंक में एजेंसी की लापरवाही को प्रमुखता से प्रकाशित किया। इसके बाद एजेंसी ने दो और कर्मचारियों को यहां भेजा। नगर निगम अधिकारियों के मुताबिक चारों कर्मचारियों में कोई भी ऐसा नहीं था, जो टाउन प्लानर के तौर पर विशेषज्ञ हो। नगर निगम को अपने अधिकारियों को झोंकना पड़ा। एक स्थानीय टाउन प्लानर की भी मदद ली गई। एजेंसी के कर्मचारी केवल कम्प्यूटर में डाटा डाउनलोड और अपलोड करने का काम करते रहे। एजेंसी ने अपने कर्मचारियों को पेन सिटी और एरिया बेस्ड डिव्हेलपमेंट प्लान के लिए चयनित स्थलों का भौतिक निरीक्षण करने के लिए नहीं भेजा। काम को आसान करने के लिए एजेंसी के कर्मचारियों ने नगर निगम, आरडीए, पीडब्ल्यूडी समेत अन्य विभागों से शहर की जानकारी जुटा ली थी।

कई पुराने सर्वे और प्लान मंगा लिए गए थे। केवल उन्हीं के आधार पर स्मार्ट सिटी का प्लान तैयार हुआ था। नगरीय प्रशासन मंत्री अमर अग्रवाल ने केवल एक बदलाव कराया था। वह एलईडी लाइट को पूरे 70 वार्डों में लगाने का था। एजेंसी और अधिकारी मिलकर थीम बेस्ड प्लान ही बना पाए थे। सीएस के साथ वीडियो कांफेंसिंग आज स्मार्ट सिटी को लेकर शुक्रवार को मुख्य सचिव विवेक ढांड और नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के प्रमुख सचिव आरपी मंडल नगर निगम के आयुक्त और महापौर की वीडियो कांफ्रेंसिंग लेंगे।

निगम ने खुद को दिए थे 90 नम्बर नगर निगम आयुक्त डॉ. सारांश मित्तर और अन्य अधिकारियों ने प्रपोजल को सौ में से 90 नम्बर दिए थे। इस कारण अधिकारियों को पूरी उम्मीद थी कि अंतिम 20 शहरों में रायपुर का नाम जरूर होगा। स्मार्ट सिटी का ऐसा था प्लान- 0 सोलर पावर प्रोजेक्ट-106.1 0 वॉटर सप्लाई-29.4 0 लिक्विड एंड सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट-106.3 0 सरकारी भवनों में रेन वॉटर हार्वेस्टिंग-3 0 अंडरग्राउंड इलेक्ट्रिक वायरिंग-366.8 0 आईटी कनेक्टिविटी और डिजिटलाइजेशन-10 0 पाथवे-9.6 0 ई-रिक्शा-29.4 0 नॉन व्हीकल स्ट्रीट जोन (मालवीय रोड) 0 इनडोर स्टेडियम, पुराना बंदोबस्त कार्यालय, नेहरुनगर में स्मार्ट पार्किंग 0 एलईडी लाइट-4.8 0 विवेकानंद सरोवर, हांडीतालाब, मोतीबाग की खुली जगह का बेहतर उपयोग-57 0 लैंडस्केपिंग व अन्य तरीकों से सौंदर्यीकरण-25 0 शास्त्री बाजार, जवाहर बाजार, गोलबाजार, पुरानी गंज मंडी, आरडीए बिल्डिंग शारदा चौक पुनर्विकास 0 स्लम बस्ती के लोगों के लिए आवास-144 0 शारदा चौक, पुरानी बस्ती थाना, राठौर चौक रोड चौड़ीकरण-44.4 0 अघोषित बाजार का पुनर्विकास-1.5 (नोट- सभी योजनाओं की राशि करोड़ रुपए में) हमने स्मार्ट सिटी के प्लान को अच्छे से अच्छा बनवाने के लिए पूरी मदद की थी। जनप्रतिनिधियों से लेकर अलग-अलग क्षेत्र के विशेषज्ञों के साथ कई बार बैठक हुई। एजेंसी को विशेषज्ञों के सुझावों को प्राथमिकता देने के लिए कहा गया था। वैसे प्लान तो अच्छा बना था। (लेखक प्रमोद दुबे, महापौर, रायपुर)

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