टैक्स वसूली हुई तभी मिलेगा स्मार्ट सिटी का दर्जा

केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित स्मार्ट सिटी योजना में फिर उम्मीद की किरण दिखी है। दिल्ली में हुई बैठक में बताया गया है कि स्मार्ट सिटी उसी शहर को बनाया जाएगा जो आत्मनिर्भर हो। इसे देखते हुए अब निगम आगामी तीन माह में

By Gunateet OjhaEdited By: Publish:Mon, 29 Jun 2015 05:36 AM (IST) Updated:Mon, 29 Jun 2015 05:46 AM (IST)
टैक्स वसूली हुई तभी मिलेगा स्मार्ट सिटी का दर्जा

बिलासपुर। केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित स्मार्ट सिटी योजना में फिर उम्मीद की किरण दिखी है। दिल्ली में हुई बैठक में बताया गया है कि स्मार्ट सिटी उसी शहर को बनाया जाएगा जो आत्मनिर्भर हो। इसे देखते हुए अब निगम आगामी तीन माह में जलकर और संपत्तिकर वसूली के लिए बड़ा अभियान चलाने की तैयारी है। इससे आय बढ़ाकर स्मार्ट सिटी के लिए दावेदारी की जा सकेगी। राजधानी में पूरे देश के नगरीय प्रशासन मंत्री, नगर निगमों के महापौर,आयुक्त को तलब किया गया था।

दो दिन चली कांफ्रेंस में उन्हें स्मार्ट सिटी के संबंध में जानकारी दी गई। इसके अलावा यह भी बताया गया है स्मार्ट सिटी के लिए क्या जरूरी है। इस कांफ्रेंस में शहर की जनसंख्या के बजाय उसकी आय को बड़ा आधार बताया गया है। केंद्रीय मापदंड के अनुसार ऐसा निगम जो अपने कर्मचारियों का वेतन आदि खुद की आय से भुगतान करता होगा, उसे ही स्मार्ट सिटी घोषित किया जाएगा। अभी स्मार्ट सिटी की दावेदारी के लिए निगम के पास तीन माह का समय शेष है। इसे देखते हुए अब आय बढ़ाने के लिए अभी से निगम बड़ा अभियान चलाने की तैयारी है। इससे इन तीन माह में आय बढ़ाकर केंद्र को स्मार्ट सिटी के लिए दावेदारी की जा सके। इसके लिए हर मोहल्लों में शिविर लगाने के अलावा बड़े बकायादारों से व्यक्तिगत रूप से जाकर वसूली की जाएगी।

इस काम में राजस्व अमले के अलावा इंजीनियरों को भी लगाया जाएगा। इससे आय में बढ़ोतरी की जा सके। इसके अलावा केंद्र ने यह भी कहा कि केंद्रीय फंड से स्वीकृत योजनाएं बहुत लंबे समय तक पेंडिंग नहीं होनी चाहिए। इस मापदंड में भी जिले की स्थिति अन्य शहरों में से बेहतर है। आईएचएसडीपी योजना के तहत यहां काफी आवास बनकर तैयार हो गया है। इसमें कई झुग्गी-झोपड़ी को बसाया भी जा चुका है। इस मापदंड में भी जिले की स्थिति बेहतर बताई जा रही है। इस तरह स्मार्ट सिटी के मापदंड में एक बार फिर जिले की स्थिति बेहतर नजर आने लगी है।

यही कारण है कि अब निगम के आला अधिकारियों ने इस दिशा में प्रयास तेज कर दिया है। आने वाले समय में निगम स्मार्ट सिटी को ध्यान में रखकर काम करने योजना बना रहा है। इससे शहर की स्थिति बेहतर हो सके। जलकर, संपत्तिकर वसूली का अभियान स्मार्ट सिटी की बैठक में आत्मनिर्भरता पर जोर देने के बाद से ही निगम ने संपत्तिकर और जलकर वसूली के लिए हर वार्ड में शिविर लगाना शुरू कर दिया है। आने वाले समय में अब निगम का पूरा अमला इस काम में जुट जाएगा। शिविर के अलावा व्यक्तिगत रूप से भी लोगों से मिलकर उनसे वसूली करने की तैयारी है। अमृत योजना के लिए भी दावेदारी देश में सौ स्मार्ट सिटी में प्रदेश को दो शहरों का कोटा मिला है।

इसी तरह पांच साल शहरों को अमृत योजना का भी लाभ मिलने वाला है। इसमें प्रदेश के सात से आठ शहरों को शामिल करने की उम्मीद है। इसे देखते हुए नगर निगम ने स्मार्ट सिटी के अलावा अमृत योजना के लिए भी दावेदारी करने का निर्णय है। क्योंकि इसमें भी वाटर ड्रेनेज, सड़क आदि के लिए फंड देने का प्रावधान है। अगर किसी कारणवश स्मार्ट सिटी से चूके तो अमृत योजना से शहर को लाभ मिल सकता है। दो शहर का है कोटा प्रदेश में स्मार्ट सिटी के लिए दो शहरों को शामिल करना है। इसके लिए रायपुर और बिलासपुर को मुख्य दावेदार माना जा रहा है।

यहां सीवरेज, जल आवर्धन योजना के अलावा स्थानीय विधायक के नगरीय प्रशासन मंत्री होने को बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है। इसके चलते नगर निगम का दावा प्रदेश से निकलकर केंद्र के पाले में जाना तय माना जाता है। स्मार्ट सिटी के लिए आत्मनिर्भर होना और ज्यादा समय तक कोई योजना पेंडिंग नहीं होना प्रमुख शर्त है। इसे देखते हुए हम जलकर और संपत्तिकर वसूली पर ध्यान केंद्रीत कर रहे हैं। केंद्रीय योजनाओं के क्रियान्वयन के संबंध में हमारी स्थिति बेहतर है। इस तरह स्मार्ट सिटी के लिए हम दावेदारी करेंगे। इसके लिए अमृत योजना के लिए भी हमारी दावेदारी रहेगी। रानू साहू आयुक्त नगर निगम

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