झारखंड से रहा जूदेव का गहरा नाता

By Edited By: Publish:Fri, 16 Aug 2013 04:26 PM (IST) Updated:Fri, 16 Aug 2013 04:33 PM (IST)
झारखंड से रहा जूदेव का गहरा नाता

रांची, [देवेन्द्र ंिसंह]। याद आ रहा है वर्ष 1984 का वह साल। झारखंड में धर्मातरण की आंधी चल रही थी। आदिवासियों का धर्मातरण बड़े पैमाने पर हो रहा था। जसपुर के युवराज दिलीप सिंह जूदेव उस समय भाजपा के पटल पर तेजी से उभर रहे थे। धर्मातरण की यह नीति उन्हें नागवार लगी। उन्होंने धर्मातरण के बाद ईसाई धर्म स्वीकार करने वाले आदिवासियों को सरना धर्म में वापसी का संकल्प लिया। इस दौरान वह लगातार जसपुर से रांची आने लगे। उन्होंने धर्मातरण के बाद ईसाई बने आदिवासियों व सरना धर्म के नेताओं से संपर्क साधा और धर्मातरित आदिवासियों को पुन: वापस लाने की योजना तैयार की। इस कार्य के लिए सघन जनसंपर्क अभियान चलाया गया। कई चरणों में विभिन्न स्थानों पर शिविर लगाने की योजना बनाई गई। पहला आयोजन मोरहाबादी मैदान में हुआ। बड़ा पंडाल लगाया गया। सैकड़ों की संख्या में धर्मातरित आदिवासी जुटे। दिलीप सिंह जूदेव ने एक-एक व्यक्ति के पांव जल से धोए। उन्हें एक धोती व जनेऊ देकर सरना में वापसी की घोषणा की गई। इस तरह कई चरणों में इस तरह के आयोजन कर जूदेव ने हजारों धर्मातरित आदिवासियों की ससम्मान वापसी कराई।

वर्ष 1989 का भी साल स्मृतियों में है। तब विश्वनाथ प्रताप सिंह प्रधानमंत्री थे। जसपुर के महल में उनका कार्यक्रम था। मंच पर पर वीपी सिंह का भाषण चल रहा था और भीड़ जय जूदेव के नारे लगा रही थी। सभा के बाद जूदेव ने सभी पत्रकारों को महल में आमंत्रित किया। वहां का नजारा विचित्र था। नंग-धड़ंग आधे शरीर को वस्त्रों से ढके आदिवासी महल में जमा थे। वे जूदेव का पैर छूकर आशीर्वाद लेना चाह रहे थे लेकिन पैर छूने से पहले आदिवासी जूदेव के सीने से लगे दिखाई देते थे। राजपरिवार का सदस्य होने के बावजूद दिलीप सिंह जूदेव में कोई घमंड नहीं था। वे लोगों के साथ सरलता से पेश आते थे। वाकई निहायत लोकप्रिय व्यक्तित्व के स्वामी थे जूदेव।

रांची के संत जेवियर्स से पढ़े थे

रांची। बिलासपुर के सांसद दिलीप सिंह जूदेव का रांची से गहरा नाता था। सेंट जेवियर्स कॉलेज से 60 की दशक में उन्होंने बीए किया था और उसके कुछ सालों बाद छोटानागपुर लॉ कॉलेज से लॉ की पढ़ाई की थी। कॉलेज की पढ़ाई समाप्त होने के बाद वे वापस छत्तीसगढ़ चले गए थे। पढ़ाई के दौरान भी राजनीति के प्रति उनका झुकाव साफ दिखता था। उनकी मौत पर सेंट जेवियर्स कॉलेज ने शोक व्यक्त किया।

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