बिना 'रियल रेट ऑफ रिटर्न' जानें न करें निवेश, पैसों की ग्रोथ में इसका खास है महत्‍व

निवेश रिटर्न को टैक्स और मुद्रास्फीति काफी हद तक प्रभावित करते हैं। ध्यान देने पर आपको पता चलेगा कि टैक्स और मुद्रास्फीति से रिटर्न काफी प्रभावित हो सकता है।

By Sajan ChauhanEdited By: Publish:Tue, 09 Jul 2019 05:56 PM (IST) Updated:Sun, 14 Jul 2019 08:02 PM (IST)
बिना 'रियल रेट ऑफ रिटर्न' जानें न करें निवेश, पैसों की ग्रोथ में इसका खास है महत्‍व
बिना 'रियल रेट ऑफ रिटर्न' जानें न करें निवेश, पैसों की ग्रोथ में इसका खास है महत्‍व

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। हर व्यक्ति को लाइफ में सेविंग और निवेश जरूर करना चाहिए। अगर आप इस समय निवेश की योजना बना रहे हैं तो सबसे पहले आपको इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि आप जिस स्कीम में निवेश कर रहे हैं उससे रिटर्न कितना मिलेगा। कई निवेशक जल्दबाजी में अक्सर अपने पैसे को डबल या ट्रिपल रिटर्न देने वाली स्कीम में लगा देते हैं। आपके निवेश रिटर्न को टैक्स और मुद्रास्फीति काफी हद तक प्रभावित करते हैं। करीब से जांच करने पर आपको एहसास होगा कि टैक्स और मुद्रास्फीति के माध्यम से रिटर्न की जांच करने के बाद रिटर्न की वेल्यू कम हो सकती है। ऐसा करने पर जब आपको फायदा मिलता है तो उसे निवेश का रियल रेट ऑफ रिटर्न कहा जाएगा।

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फिक्स्ड डिपॉजिट

एफडी भारत में कम जोखिम के मामले में सबसे लोकप्रिय निवेश विकल्प है। हालांकि इस पर मिलने वाला रिटर्न अक्सर मुद्रास्फीति से मात खा जाता है। मान लीजिए कि एक 35 वर्षीय निवेशक जो 30 फीसद कर ब्रैकेट में आता है 1 साल के लिए एफडी में 1 लाख रुपये जमा करता है, जिस पर 8 फीसद रिटर्न मिलता है। मान लीजिए कि उस वर्ष के दौरान मुद्रास्फीति की दर 4 फीसद है। वास्तव में 4 फीसद रिटर्न है से एफडी पर ग्रोथ मिलता है तो उसके साथ आपको 30 फीसद आयकर का भुगतान करना होगा। ऐसे में रिटर्न 1,600 रुपये मिलेगा, क्योंकि 2,400 रुपये टैक्स में कट जाएंगे। 

किसान विकास पत्र

केवीपी 113 महीने के बाद निवेश राशि को दोगुना करने का वादा करता है। केवीपी पर मौजूदा ब्याज दर 7.6 फीसद है। इससे 30 फीसद ब्रैकेट में किसी व्यक्ति को टैक्स का कोई लाभ नहीं मिलेगा और मुद्रास्फीति का भी इस पर असर होगा। जब 113 महीनों के बाद आपका रिटर्न आएगा तो उस पर टैक्स और मुद्रास्फीति का एक बड़ा असर होगा।

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इक्विटी

अगर मुद्रास्फति को मात देना चाहते हैं और लॉन्ग टर्म के लिए पैसा बढ़ाने पर विचार कर रहे हैं तो आप कम रिस्क वाली स्कीम के अलावा इक्विटी इन्वेस्टमेंट पर भी विचार कर सकते हैं। अधिकतर लोग जागरूकता कम होने की जवह से इक्विटी में निवेश करने के बारे में संदेह करते हैं। इक्विटी केवल शेयरों को खरीदना नहीं इसका मतलब इक्विटी बेस्ड म्युचुअल फंड में निवेश करना भी हो सकता है।

एंडोमेंट प्लान

आम तौर पर मनी बैक पॉलिसी के साथ आने वाली एंडोमेंट स्कीम इन्वेस्टमेंट कम इंश्योरेंस ऑप्शन होती हैं। इन स्कीम पर दिए जाने वाले वास्तविक रिटर्न कुछ मामलों में एफडी पर दिए जाने वाले ऑफर से कम होते हैं। 

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