अमेरिका ने भारत को दिया रणनीतिक कारोबारी भागीदार का दर्जा
यूएस-इंडिया बिजनेस काउंसिल के मुताबिक स्ट्रैटजिक ट्रेड ऑथोराइजेशन का दर्जा मिलने से भारत के साथ कारोबार करने के लिए वहां के निर्यातकों को अब कम लाइसेंस लेने की जरूरत होगी
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। भारत के साथ कारोबार से जुड़े कुछ मुद्दों पर पिछले कुछ महीनों से चल रहे तनाव के बीच अमेरिका ने एलान किया है कि वह भारत को रणनीतिक व्यापारिक भागीदार का दर्जा देने जा रहा है। यह एलान अमेरिका के वाणिज्य मंत्री विल्बर रॉस ने वाशिंगटन में इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के लिए अमेरिका की बहुप्रतीक्षित आर्थिक नीति की घोषणा करते हुए किया। अमेरिका के सबसे शक्तिशाली उद्योग चैंबरों की तरह से आयोजित एक समारोह में डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के कई आला अधिकारियों ने संबोधित किया और उन सभी के भाषण का लब्बोलुबाव यह था कि हिंदू व प्रशांत महासागर के क्षेत्र में उनकी अर्थ नीति व कूटनीति में भारत का स्थान अहम होगा।
अमेरिकी प्रशासन के इस एलान के साथ ही वहां के दो बड़े आर्थिक संगठनों यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डवलपमेंट (यूएसएड) और अमेरिकन चैंबर ऑफ कॉमर्स (एमचैम) ने आपस में एक समझौता किया है जिसका उद्देश्य भारत की आर्थिक चुनौतियों को दूर करने के लिए वे अमेरिकी सरकार व अमेरिकी कंपनियों के साथ उचित कदम उठाएंगे। लेकिन सबसे अहम एलान भारत को स्ट्रैटजिक ट्रेड पार्टनर का दर्जा देने का है। इसका मतलब यह हुआ कि भारत के साथ कारोबारी रिश्तों को नाटो (नार्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन) के सदस्य देशों के साथ कारोबार के तर्ज पर ही वरीयता दी जाएगी। नाटो अमेरिका की अगुवाई में उत्तरी अमेरिका व यूरोपीय देशों का संगठन है जिनके बीच रक्षा सहयोग का समझौता है। सनद रहे कि तकरीबन डेढ़ वर्ष पहले अमेरिका ने भारत को नाटो के सदस्य देशों की तरह ही रक्षा साङोदार का दर्जा दिया था।
यूएस-इंडिया बिजनेस काउंसिल के मुताबिक स्ट्रैटजिक ट्रेड ऑथोराइजेशन का दर्जा मिलने से भारत के साथ कारोबार करने के लिए वहां के निर्यातकों को अब कम लाइसेंस लेने की जरूरत होगी। इस एलान से कुछ ही देर पहले यूएसएड और अमेरिकी चैंबर की तरफ से यह एलान किया गया कि वह आपस में एक समझौता कर रहे हैं।
इसका मकसद यह है कि अमेरिकी उद्योग जगत और वहां की सरकार संयुक्त तौर पर भारत की सबसे बड़ी चुनौतियों जैसे मां व शिशुओं के स्वास्थ्य, एचआइवी, टीवी जैसी स्वास्थ्य से जुड़ी चुनौतियों के अलावा ऊर्जा, जल संसाधन व महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में सहयोग दिया जाए। जल्द ही अमेरिकी उद्योगपतियों का एक बड़ा दल भारत आने वाला है, उसे देखते हुए यह समझौता अहम माना जा रहा है।