निवेशकों को कई गुरु मंत्र दिये वारेन बफेट न

पहली बार बर्कशायर के शेयरधारकों की सालाना बैठक में सवाल-जवाबों का लाइव वेबकास्ट किया गया। इस बैठक को वुडस्टॉक फॉर कैपिटलिस्ट के नाम से जाना जाता है।

By Babita KashyapEdited By: Publish:Mon, 09 May 2016 12:09 PM (IST) Updated:Mon, 09 May 2016 12:19 PM (IST)
निवेशकों को कई गुरु मंत्र दिये वारेन बफेट न

निवेशक वारेन बफेट और बर्कशायर हैथवे के प्रसंशक हैं, उनके लिए पिछले सप्ताह शनिवार की रात बेहद अहम थी। पहली बार बर्कशायर के शेयरधारकों की सालाना बैठक में सवाल-जवाबों का लाइव वेबकास्ट किया गया। इस बैठक को वुडस्टॉक फॉर कैपिटलिस्ट के नाम से जाना जाता है और हर साल यह बैठक अमेरिका में नेब्रास्का के ओमाहा शहर में होती है।

यह बैठक भारतीय निवेशकों की सालाना आम बैठक की तुलना में अलग थी। जिस हॉल में बैठक हो रही थी, उसके बराबर में बर्कशायर की सब्सिडियरी ने शॉपिंग क्षेत्र बना रखा था। हालांकि यह अकेली ऐसी बात नहीं है जो भारतीय शेयरधारकों की बैठक से मेल नहीं खाती हो। यह एजीएम पूरी दुनिया में अनूठी है और सिर्फ अपने उत्सव जैसे अंदाज के लिए नहीं। बर्कशायर की एजीएम के बारे में विशेष बात इसकी पारदर्शिता के संबंध में है। बफेट और उनके डिप्टी चार्ली मुंगेर सबके सामने जटिल सवालों का सामना करने को तैयार रहते हैं। 2013 में बफेट ने डगलस कास को आमंत्रित किया था जो उनसे कठिन सवाल पूछने के लिए चर्चित है। पिछले साल की तरह इस साल भी बैठक के दौरान प्रख्यात वित्तीय सलाहकार एंड्रयू रॉस सोर्किन सहित कई विश्लेषक और पत्रकार

मौजूद थे। हालांकि इस बार की बैठक इस मायने में अलग थी कि इस बार लोग इसके बारे में समाचार पढऩे के बजाय इसे सीधे लाइव देख सकते थे। इस बैठक में लोगों ने कई असहज सवाल भी पूछे। जो सवाल असहज

थे, उनमें उत्तराधिकार के बारे में भी सवाल शामिल हैं क्योंकि बफेट की उम्र 85 वर्ष और मुंगेर की 92 वर्ष है। इसके अलावा लोगों ने बर्कशायर के मुख्यालय में कर्मचारियों में विविधता के अभाव और कोका कोला के उत्पादों के स्वास्थ्य पर प्रभाव जैसे सवाल शामिल थे।

बर्कशायर के पास कोका कोला में 9.2 प्रतिशत हिस्सेदारी है और वह सबसे बड़ा शेयरधारक है। साथ ही यह सवाल भी पूछा कि बर्कशायर एनर्जी सोलर के खिलाफ लॉबिंग क्यों कर रही है। दोनों वरिष्ठ व्यक्तियों ने इसी तरह के कई जटिल सवालों का आसानी से सामना किया। उन्होंने चेरी कोक पीते और सीज पीनट ब्रिटल खाते हुए हंसते-हंसते निवेशकों के सवालों का जवाब दिया। सीज पीनट ब्रिटल भी बर्कशायर का ही उत्पाद है। यह भारत में मिलने वाली मूंगफली गजक की चिकी जैसा दिखता है। जैसा कि बफेट और मुंगेर की विशेषता है,

उनसे पूछे गए असहज सवाल हर तरह के थे। इस दौरान कई कहानियां और किस्से भी सुनाई दिए जो कि बर्कशायर की सफलता से जुड़े हैं। विशेषकर एक श्रेणी के सवालों का जवाब इक्विटी निवेशकों के लिए महत्वपूर्ण

सीख है। उनकी प्रसिद्ध तीव्र अधिग्रहण प्रक्रिया के बारे में जवाब देते हुए बफेट ने ड्यू डिलिजेंस के महत्व को साफ तौर पर नकार दिया। उन्होंने कहा कि प्राथमिक तौर पर ड्यू डिलिजेंस किया जाना चाहिए लेकिन

अधिग्रहण के बाद की सफलता या विफलता में इसकी भूमिका नगण्य होती है। बर्कशायर ने छह या सात खराब अधिग्रहण किए हैं उनमें से एक को भी लंबा और कठिन ड्यू डिलिजेंस करके रोका नहीं जा सकता था।

मुंगेर ने कहा कि सफल अधिग्रहण का गुण व्यवसायिक और मानवीय गुणों से जुड़ा है।

अगर कोई व्यक्ति इनको ठीक से परख लेगा तो अधिग्रहण सफल होगा।पहली नजर में यह पूरे बिजनेस अधिग्रहण की रेसिपी लगती है। हालांकि यह शेयर बाजार में निवेश करने वाले लोगों पर लागू होती है। जैसा कि बफेट ने एक अन्य सवाल के जवाब में यह बात कही। उन्होंने कहा कि जब आप किसी कंपनी के शेयरखरीद रहे हैं तो आपको ऐसे ही कदम उठाने चाहिए जैसे कि आप किसी बिजनेस का अधिग्रहण कर रहे हों। प्रत्येक शेयरधारक बिजनेस का सह-स्वामी होता है। इसलिए बिजनेस को परखना चाहिए न कि शेयर को।

यह शेयर निवेशक के लिए मूलभूत सलाह मालूम पड़ती है, लेकिन वास्तव में यह इससे अधिक है। इससे भी अधिक महत्वपूर्ण वह मानवीय गुण है जिन पर मुंगेर ने जोर दिया है। आम तौर पर देखा गया है कि मूलभूत तथ्यों को देखकर निवेश करने वाले निवेशक सिर्फ वित्तीय आधार पर जोर देते हैं। लेकिन किसी भी व्यवसाय की

सफलता या विफलता आंकड़ों से नहीं बल्कि लोगों से तय होती है। कारोबार जगत में इस तरह के उदाहरण भरे पड़े हैं कि कंपनियों के पास पूंजी और अवसर समान होने के बावजूद उनकी सफलता और विफलता में

व्यापक अंतर है क्योंकि उन्हें चलाने वाले लोगों के गुण अलग हैं। यह ऐसी बात है जिस पर निवेशक अक्सर नहीं परखते हैं। वैसे भारतीय निवेशक शायद इस विचार से सहज नहीं हैं कि लोगों की अहमियत आंकड़ों से ज्यादा होती है भले ही फिर वह कंपनी आई सेवा प्रदाता हो या एयरलाइन हो।

धीरेंद्र कुमार

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