Tax की नई और पुरानी व्‍यवस्‍था ने पैदा किया करदाता के बीच भ्रम, जानिए क्‍या है दोनों में अंतर

कटौती व छूट के साथ पुरानी कर व्यवस्था और कटौती व छूट के बिना नई कर व्यवस्था को लेकर करदाता (Taxpayer) असमंजस में हैं कि किसे चुनें? नई कर व्यवस्था का विकल्प सभी व्यक्तियों और HUF के लिए उपलब्ध है।

By Ashish DeepEdited By: Publish:Thu, 27 Jan 2022 12:36 PM (IST) Updated:Thu, 27 Jan 2022 12:51 PM (IST)
Tax की नई और पुरानी व्‍यवस्‍था ने पैदा किया करदाता के बीच भ्रम, जानिए क्‍या है दोनों में अंतर
नई टैक्‍स व्यवस्था के तहत 5%, 10%, 15%, 20% और 25% की टैक्स स्लैब दरें लागू होती हैं। (Pti)

नई दिल्‍ली, बिजनेस डेस्‍क। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को केंद्रीय बजट 2022 पेश करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। वेतनभोगी वर्ग की सबसे अधिक मांग आयकर स्लैब में बदलाव लाने और धारा 80C, 80EE, 80EEA के तहत छूट बढ़ाने की है।

कटौती व छूट के साथ पुरानी कर व्यवस्था और कटौती व छूट के बिना नई कर व्यवस्था को लेकर करदाता (Taxpayer) असमंजस में हैं कि किसे चुनें? नई कर व्यवस्था का विकल्प सभी व्यक्तियों और HUF के लिए उपलब्ध है। यह वैकल्पिक है। नई कर व्यवस्था के तहत 15 लाख रुपये तक की आय पर कम स्लैब दरों पर टैक्‍स लगता है। नई टैक्‍स व्यवस्था के तहत 5%, 10%, 15%, 20% और 25% की टैक्स स्लैब दरें लागू होती हैं।

अगर आप नई कर व्यवस्था का विकल्प चुनना चाहते हैं तो आपको पुरानी व्यवस्था के तहत उपलब्ध विभिन्न कर कटौती और छूटों को छोड़ना होगा। नई कर व्यवस्था के तहत, वेतनभोगी स्‍टैंडर्ड डिडक्‍शन, हाउस रेंट अलाउंस (HRA), लीव ट्रैवल असिस्टेंस (LTA) और दूसरे भत्तों का फायदा नहीं उठा सकते हैं। धारा 80 सी के तहत उपलब्ध विभिन्न कटौतियां (ईपीएफ, एलआईसी, स्कूल फीस, पीपीएफ, एनएससी, ईएलएसएस, होम लोन पुनर्भुगतान जैसे विभिन्न मद), 80 डी (स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम के लिए), 80 सीसीडी (1) और 80 सीसीडी(1बी) (एनपीएस के लिए) करदाताओं की दोनों श्रेणियों यानी वेतनभोगी और स्वरोजगार के लिए भी उपलब्ध नहीं होगा।

आइए जानते हैं क्‍या है पुरानी और नई कर व्‍यवस्‍था स्‍लैब

यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि करदाता और एचयूएफ मौजूदा कर व्यवस्था या नई कर व्यवस्था का विकल्प चुन सकते हैं जिसमें कराधान की कम दर (आयकर अधिनियम की धारा 115 बीएसी) हो। नई कर व्यवस्था में रियायती दरों का विकल्प चुनने वाले करदाता को मौजूदा कर व्यवस्था में उपलब्ध कुछ छूट और कटौती (जैसे 80C, 80D, 80TTB, HRA) की अनुमति नहीं होगी।

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