महंगाई निगल लेगी आपके पैसे का बड़ा हिस्सा; बाकी जाएगा सरकार के पास, टैक्स में नए बदलाव से कितना होगा नुकसान

इंडेक्सेशन म्यूचुअल फंड यूनिट्स की बिक्री से होने वाले लाभ को कैपिटल गेन या पूंजीगत लाभ कहा जाता है। इस लाभ पर टैक्स भी देना होता है। इस टैक्स की गणना यूनिट खरीदने और बेचने की समयावधि के आधार पर होती है।

By Siddharth PriyadarshiEdited By: Publish:Sun, 26 Mar 2023 06:20 PM (IST) Updated:Sun, 26 Mar 2023 06:59 PM (IST)
महंगाई निगल लेगी आपके पैसे का बड़ा हिस्सा; बाकी जाएगा सरकार के पास, टैक्स में नए बदलाव से कितना होगा नुकसान
New Mutual Fund rules applicable from 1 April 2023., Check all details

धीरेंद्र कुमार, नई दिल्ली। ऐसा लगता है कि इस बदलाव से पहले सरकार ने इस साल के बजट में एक संशोधन शामिल कर दिया है। इसके तहत अब डेट फंड, गोल्ड फंड और हाइब्रिड म्यूचुअल फंड की कुछ कैटेगरी में निवेश के लिए इंडेक्सेशन नहीं होगा। प्रभावी रूप से 35 प्रतिशत से कम इक्विटी वाले सभी म्यूचुअल फंड में लांग टर्म कैपिटल गेन्स (एलटीसीजी) यानी लंबी अवधि में पूंजीगत लाभ जैसी कोई सुविधा नहीं होगी।

इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ेगा कि आपने कितने लंबे वक्त तक उन्हें होल्ड किया है। जैसे ही आप इन्हें बेचेंगे, इनसे हुआ फायदा उस साल की आपकी कुल इनकम में जुड़ जाएगा। इस तरह से आप पर लागू होने वाले टैक्स स्लैब के तहत इस पर आपको टैक्स चुकाना होगा।

क्या होगा इस बदलाव का असर

आप पर लगने वाले टैक्स पर इसका खासा असर होगा, क्योंकि अब आपके मुनाफे का कैलकुलेशन करने के लिए आपको इंडेक्सेशन नहीं मिलेगा। गौर करने की बात है कि एलटीसीजी का इंडेक्सेशन महंगाई दर से एडजस्ट किया जाता रहा है। ये सरकार की तरफ से न तो छूट है, और न ही कोई गिफ्ट। ये महंगाई का मुआवजा है।

इंडेक्सेशन हटने का मतलब क्या है

आसान शब्दों में कहें, तो वक्त के साथ करेंसी की वैल्यू घट जाती है, और एक से ज्यादा साल में मिलने वाला कथित मुनाफा महज छलावा होता है। यानी, जब आपने निवेश किया था उसकी तुलना में आज पैसे की कीमत कम हो गई है। किसी भी स्थिति में, करेंसी का कमजोर होना सरकार के कामकाज का नतीजा होता है। महंगाई के मद्देनजर, किसी भी भ्रामक फायदे पर टैक्स नहीं लगाया जाना चाहिए। महंगाई आपके फायदे का बड़ा हिस्सा निगल जाती है, और इंडेक्सेशन इसी की भरपाई करता है।

कैसे होगा नुकसान

चलिए, एक असल मिसाल पर गौर करते हैं। मध्यम अवधि के डेट फंड्स के मौजूदा तीन साल का औसत प्रतिवर्ष रिटर्न 6.56 प्रतिशत रहा, जो इस अवधि में कुल 21 प्रतिशत होता है। अगर, हम इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की वेबसाइट पर कास्ट इनफ्लेशन इंडेक्स पर गौर करें, तो हम पाते हैं कि इस दौरान इंडेक्स 289 से बढ़कर 331 हो गया है, यानी ये 14 प्रतिशत बढ़ चुका है।

अगर मिसाल के तौर पर लिए गए फंड्स पर हम इंडेक्स को लागू करते हैं, तो टैक्सेबल मुनाफा 21 प्रतिशत नहीं, बल्कि महज 5.6 प्रतिशत है। अगर इंडेक्सेशन नहीं है, और आप सबसे ऊंचे टैक्स ब्रेकेट में आते हैं, तो आपका पूरा का पूरा फायदा सरकार के पास चला जाएगा।

क्या होगी कैलकुलेशन

आपके पैसे का एक बड़ा हिस्सा महंगाई निगल लेगी और बाकी टैक्स के रूप में चला जाएगा। इस मामले में अब लंबे समय के लिए निवेश करने का कोई औचित्य नहीं रहेगा। इंडेक्सेशन म्यूचुअल फंड यूनिट्स की बिक्री से होने वाले लाभ को कैपिटल गेन या पूंजीगत लाभ कहा जाता है। इस लाभ पर टैक्स भी देना होता है। इस टैक्स की गणना यूनिट खरीदने और बेचने की समयावधि के आधार पर होती है।

अगर यूनिट्स को तीन वर्ष अवधि से पहले ही बेच दिया जाता है तो इस पर शार्ट टर्म कैपिटल गेन्स (एसटीसीजी) माना जाएगा और इंडेक्सेशन का लाभ नहीं मिलेगा। इसमें करदाता को अपनी टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स देना होगा। तीन वर्ष से अधिक अवधि के बाद बिक्री पर एलटीसीजी देना होता है और इसमें कर की दर 20 प्रतिशत होता है। इसमें इंडेक्सेशन का लाभ भी मिलता है। इंडेक्सेशन से लाभ पर लगने वाले कर की दर कम हो जाती है। कई मामलों में तो लाभ पर कर की दर 20 प्रतिशत से काफी कम हो जाती है।

(लेखक वैल्यू रिसर्च आनलाइन डाट काम के सीईओ हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)

 

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