जानिए कैसे करें उचित म्यूचुअल फंड प्लान का चुनाव

भारत में हर तरह के म्यूचुअल फंड के दो रूप होते हैं-एक रेगुलर प्लान और दूसरा डायरेक्ट प्लान

By Surbhi JainEdited By: Publish:Mon, 19 Dec 2016 11:33 AM (IST) Updated:Mon, 19 Dec 2016 11:41 AM (IST)
जानिए कैसे करें उचित म्यूचुअल फंड प्लान का चुनाव

नई दिल्ली (कुणाल बजाज, निवेश सहलाकार, क्लियरफंड्स डॉट कॉम)। क्या मालूम है कि जब आप एक म्यूचुअल फंड खरीदते हैं, तो एक छिपे ब्रोकरेज का भुगतान करना होता है जो आपके ब्रोकर को धनवान बना देता है। भारत में हर तरह के म्यूचुअल फंड के दो रूप होते हैं-एक रेगुलर प्लान और दूसरा डायरेक्ट प्लान। जब आप एक रेगुलर प्लान खरीदते हैं तो इसे खरीदने के लिए एक बैंक, ब्रोकर, एजेंट या डिस्ट्रीब्यूटर के माध्यम से भुगतान करना होता है। म्यूचुअल फंड कंपनी उसे हर तीन महीने पर गुप्त रूप से एक कमीशन का भुगतान करती है। कमीशन के लिए किसी प्रकार का चेक नहीं दिए जाने के बावजूद ब्रोकर को कमीशन मिलता है। यह कड़वी सच्चाई है, लेकिन यह कमीशन आपके निवेश का हिस्सा होता है। इसके विपरीत जब आप सीधे कंपनी से डायरेक्ट प्लान खरीदते हैं तो आपको किसी भी व्यक्ति को किसी प्रकार के कमीशन का भुगतान नहीं करना होता। कमीशन की राशि अंतत: म्यूचुअल फंड में आपके इंवेस्टमेंट बैलेंस से जुड़ जाती है। यही कारण है कि डायरेक्ट प्लान का नेट असेट वैल्यू (एनएवी) उसके समतुल्य रेगुलर प्लान की तुलना में हमेशा अधिक होता है।

कैसे पता लगाएं कि कौन-सा प्लान खरीदा है अगर आपने अपने बैंक के माध्यम से निवेश किया है, तो समझ लीजिए कि आपने एक रेगुलर प्लान में निवेश किया है और आप छिपे हुए ब्रोकरेज का भुगतान कर रहे हैं।अगर आपका एजेंट कहता है कि वह आपसे कोई शुल्क नहीं लेगा या फिर बताता है कि उसकी सलाह नि:शुल्क है, तो भी आपने एक रेगुलर प्लान में निवेश किया है।अगर आपका एजेंट कहता है कि उसे म्यूचुअल फंड कंपनी की तरफ से भुगतान किया जाता है तो भी आपने रेगुलर प्लान ही खरीदा है।अगर आपका बैंक, ब्रोकर, एजेंट, डिस्ट्रीब्यूटर या सलाहकार आपको उस योजना की स्पष्ट जानकारी नहीं देता जिसमें आप निवेश कर रहे हैं, तो समझ लीजिए कि आप रेगुलर प्लान में निवेश कर रहे हैं।

आमतौर पर एजेंटों से पूछे जाने पर यही सुनने को मिलता है कि निवेश के लिए प्लान कोई मायने नहीं रखता। आखिरकार उसे आपको दी जाने वाली सेवाओं के लिए महज एक फीसद की छोटी सी राशि कमीशन के तौर पर मिलती है। एक बार सुनने में यह राशि बड़ी नहीं लगती।

लेकिन इसे उदाहरण से समझा जा सकता है। मान लीजिए एक 35 वर्षीय निवेशक ने एक फीसद कमीशन के साथ किसी म्यूचुअल फंड के रेगुलर प्लान में 10 लाख रुपये का निवेश किया। इसमें अगर आठ फीसद सालाना की वृद्धि होती है तो 65 वर्ष की आयु में उसके निवेश की राशि का मूल्य 76 लाख रुपये हो जाएगा। वहीं दूसरी तरफ अगर वही निवेशक इसके समतुल्य म्यूचुअल फंड कंपनी के डायरेक्ट प्लान में निवेश करता है और एक फीसद कमीशन का भुगतान नहीं करता तो इस अवधि में उसकी राशि का मूल्य एक करोड़ रुपये से अधिक हो जाता है। यानी एक फीसद कमीशन के बदले 24 लाख रुपये का नुकसान? दूसरे शब्दों में जब आप एक रेगुलर प्लान खरीदते हैं तो आप रिटायरमेंट के लिए बचत राशि का एक चौथाई हिस्सा कमीशन में गंवा देते हैं। यही वजह है कि आजकल अच्छे सलाहकार म्यूचुअल फंड के रेगुलर प्लान बेचने की कोशिश नहीं करते और न ही ऐसी राय देते हैं। अगली बार आप निवेश करने से पहले ऐसे ही सलाहकार के पास जाएं जो डायरेक्ट प्लान में निवेश की राय देता हो या उसकी बिक्री करता हो। और वैसे भी अब तो म्यूचुअल फंड की कंपनियों की वेबसाइट पर ही सीधे निवेश की सुविधा उपलब्ध है। इसलिए अपनी गाढ़ी कमाई की बचत के लिए निवेश का यही रास्ता अपनाना चाहिए।

chat bot
आपका साथी