शेयर बाजार में अस्थिरता के दौरान निवेश के इन मंत्रों का रखें ध्‍यान, हो सकता है ज्‍यादा मुनाफा

इस वर्ष मुद्रास्फीति के दबाव से कारण रुपये का मूल्य ह्रास होगा - खासकर इसलिए कि भारत ने अभी ब्याज दरें नहीं बढ़ाई हैं जबकि विश्‍व के कई अन्य देशों में मुद्रास्फीति पर काबू लाने के लिए ब्याज दरें बढ़ रही हैं

By Manish MishraEdited By: Publish:Sun, 24 Apr 2022 12:17 PM (IST) Updated:Sun, 24 Apr 2022 12:17 PM (IST)
शेयर बाजार में अस्थिरता के दौरान निवेश के इन मंत्रों का रखें ध्‍यान, हो सकता है ज्‍यादा मुनाफा
How to Invest in Volatile Stock Market to Earn Better Return (PC: pixabay)

नई दिल्‍ली, देविना मेहरा। How To Invest in Volatile Stock Market: 2021 एक बेहतरीन साल था, जहां अगर आपने कुछ न्यूनतम प्रयास के साथ भी निवेश किया होता, तो प्रदर्शन अच्छा ही होता। यह वह साल था जब बहुत सारे नौसिखिए निवेशकों ने भी अच्छा पैसा कमाया। 2022 की शुरुआत में ही यह स्पष्ट था कि इस वर्ष निवेश के लिए उद्योगों या व्यापारिक क्षेत्रों के चुनाव में अधिक ध्यान देना पड़ेगा। और यह तो तब की बात है जब किसी को यह नहीं मालूम था कि राष्ट्रपति पुतिन की योजना क्या है! अब प्रश्न यह है ऐसे समय में कहां और कैसे निवेश किया जाए और दूसरी बात यह कि जब अस्थिरता का समय हो तो निवेश करने के क्या सिद्धांत होने चाहिए। अभी क्या करना है इसको समझने के लिए अगर हम लोग इतिहास पर नजर डालें तो यह सामने आता है हमने पिछले 40 वर्षों में ऐसे सभी प्रकरणों को देखा जब किसी प्रकार का भू-राजनीतिक (geopolitical) संकट आया हो या कोई आतंकवादी हमला हुआ हो जैसे कि दोनों खाड़ी युद्ध, अफगानिस्तान के संघर्ष, अमेरिका द्वारा लीबिया की बमबारी, 9/11 की घटना आदि।

हमने पाया कि संकट के एक साल बाद, भारत और अमेरिका जैसे देशों के शेयर बाजारों, तथा युद्ध या संकट से दूर अन्य प्रतिभूति बाजारों, पर कोई स्पष्ट प्रभाव नहीं दिखाई पड़ता और ऐसा केवल औसतन ही नहीं बल्कि हर एक बार हुआ है। यानी इस प्रकार के संकट पर प्रतिभूति बाजार उस समय तो गिरते हैं पर यह गिरावट बहुत दिन नहीं रहती है। एक वर्ष बाद भी जिन वस्तुओं के मूल्य में कुछ हद तक प्रभाव नजर आता है वह हैं कच्चा तेल और सोना। शायद इसलिए भी कि ऐसे बहुत से संघर्ष ऐसे देशों में हुए हैं जो कच्चे तेल का उत्पादन करते हैं।

यह तो हुई इतिहास की बात। लेकिन रूस-यूक्रेन के संघर्ष में जो बात अलहदा किस्म की है। वह यह कि कई कमोडिटीज सीधे-सीधे प्रभावित हुए हैं क्योंकि उन बाजारों में रूस और यूक्रेन बड़े उत्पादक हैं। इनमें न केवल तेल और प्राकृतिक गैस शामिल हैं, बल्कि कई कृषि पदार्थ जैसे गेहूं, मक्का, खाद्य तेल और पोटाश (जो खाद यानी उर्वरक में इस्तेमाल होता है) भी हैं। निकल और एल्‍युमीनियम से लेकर पैलेडियम तक धातुएं भी रही हैं जहां रूस या यूक्रेन महत्वपूर्ण खिलाड़ी हैं। इन सभी कमोडिटीज की कीमतों में बदलाव का असर इन वस्तुओं के उपयोगकर्ता या विक्रेता कंपनियों पर पड़ेगा।

भारत में, जो कंपनियां इनका उपयोग अपना उत्पाद बनाने में करती हैं उनके लिए लागत और खर्च बढ़ेगा और मार्जिन यानी मुनाफे पर दबाव आएगा। दूसरी तरफ, एल्युमीनियम और बेसिक केमिकल जैसी वस्तुओं का उत्पादन करने वाली कंपनियों को फायदा हो रहा है क्योंकि वहां अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कीमतें बढ़ गई हैं और रुपये के मूल्यह्रास (depreciation) से और मदद मिल रही है।

हमारा यह भी अनुमान है कि इस वर्ष मुद्रास्फीति के दबाव से कारण रुपये का मूल्य ह्रास होगा - खासकर इसलिए कि भारत ने अभी ब्याज दरें नहीं बढ़ाई हैं जबकि विश्‍व के कई अन्य देशों में मुद्रास्फीति पर काबू लाने के लिए ब्याज दरें बढ़ रही हैं। भारत में राजकोषीय घाटा (fiscal deficit) भी पिछले कुछ वर्षों के बनिस्पत अधिक है।

ऐसी स्थिति में उन कंपनियों को लाभ होगा जो या तो निर्यात उन्मुख हैं या फिर ऐसा उत्पाद बनाती हैं जो आयातित पदार्थ का विकल्प है। टेक्नोलॉजी यानी कि आईटी सर्विसेज ऐसा क्षेत्र है जहां सेवाओं का निर्यात होता है,यह ऐसा सेक्टर है जिसे हम डेढ़ साल से अधिक समय से पसंद कर रहे हैं। कुछ अन्य क्षेत्र या सेक्टर हैं जहां आपको थोड़ा सावधानी से चयन करना होगा लेकिन जहां कुछ निवेश करने लायक कंपनियां मिलेंगी हैं - रसायन, कपड़ा, पूंजीगत सामान, तेल, धातु इत्यादि। एक सिद्धांत जिस पर आपको इस वर्ष खासा जोर देना होगा वह यह कि निवेश करने के लिए प्रतिभूतियों का चयन बहुत ध्यान से करें। यह तो हुई मौजूदा स्थिति की बात लेकिन कुछ महत्वपूर्ण दिशा निर्देश हैं जो अस्थिर बाजारों में सदैव मार्गदर्शन करते हैं।

एक, अलग-अलग परिसंपत्ति वर्गों (इक्विटी, निश्चित आय यानी फिक्स्ड इनकम, अचल संपत्ति, सोना आदि) में निवेश करें, केवल एक में नहीं। विभिन्न देशों में भी सिर्फ एक देश में निवेश करना खतरे से खाली नहीं होता, चाहे वह वही देश हो जहां आप निवास करते हों - इस बात का इतिहास गवाह है। अर्थात भारत की सीमाओं के बाहर भी निवेश के अवसर देखिए।

दूसरा, इक्विटी बाजारों में भी सही क्षेत्रों और कंपनियों को चुनने के लिए विस्तृत विश्लेषण करें। उदाहरण के तौर पर मौजूदा स्थिति का कुछ क्षेत्रों पर नकारात्मक और अन्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

तीसरा, जोखिम नियंत्रण यानी रिस्क कंट्रोल महत्वपूर्ण है। इसमें सचमुच का विविधीकरण यानी डायवर्सिफिकेशन शामिल है जिसका अर्थ है विभिन्न क्षेत्रों में 20-30 स्टॉक खरीदना; स्मॉल कैप में बहुत ही सीमित निवेश करना क्योंकि इनमें लिक्विडिटी रातोंरात गायब हो सकती है और stop-loss पर सख्ती से अमल करना।

इसका अर्थ है कि अगर कोई शेयर 30-40 प्रतिशत गिर जाए तो फिर आप उसको पकड़ कर बैठे ना रहे इससे आपकी जमा पूंजी को बहुत नुकसान हो सकता है। ऐसे बहुत सेक्टर या क्षेत्र रहे हैं जो लंबे समय तक निवेशक को कोई रिटर्न नहीं देते हैं। आश्चर्य कि इनमें ऐसे शेयर भी हैं जिनको डिफेंसिव या रक्षात्मक क्षेत्र माना जाता है। उदाहरण के लिए, FMCG जिसके सेक्टर इंडेक्स ने 2021 की तेजी में मार्केट से कम रिटर्न दिया और 2022 की मंदी में मार्केट से अधिक गिरा।

जब अचानक बाजार में कोई अप्रत्याशित घटना होती है तब इन रिस्‍क कंट्रोल यानी जोखिम नियंत्रण के सिद्धांतों की जरूरत समझ में आती है। सबसे महत्वपूर्ण, जब आप कोई निवेश करते हैं, तो अपने आप को बताएं कि यह निर्णय गलत हो सकता है, ताकि आवश्यकता पड़ने पर दिशा बदलने में संकोच न हो।

(लेखिका फर्स्ट ग्लोबल की चेयरपर्सन और मैनेजिंग डायरेक्टर हैं। प्रकाशित विचार उनके निजी हैं। निवेश करने से पहले अपने निवेश सलाहकार की राय अवश्‍य लें।)

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