Financial Year History: जनवरी के बजाय 1 अप्रैल से क्यों शुरू होता है नया वित्तीय वर्ष?

Why the Financial Year FY Starts From 1st April भारत में वित्तीय वर्ष 1 अप्रैल से शुरू होता है जबकि कैलेंडर वर्ष 1 जनवरी से शुरू होता है। ऐसे में ख्याल आता है कि वित्तीय वर्ष के लिए इसी दिन से क्यों चुना गया? जानतें है इसके पीछे के कारण।

By Sonali SinghEdited By: Publish:Mon, 03 Apr 2023 07:36 PM (IST) Updated:Mon, 03 Apr 2023 07:36 PM (IST)
Financial Year History: जनवरी के बजाय 1 अप्रैल से क्यों शुरू होता है नया वित्तीय वर्ष?
Why the Financial Year FY Starts From 1st April, See Reasons

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। हम सभी जानते हैं कि दुनियाभर के ज्यादातर देशों में दो तरह के कैलेंडर वर्ष होते हैं। इसमें कनाडा, यूनाइटेड किंगडम, न्यूजीलैंड, हांगकांग और जापान जैसे देशों के नाम आते हैं। भारत में भी इन दोनों कैलेंडरों को फॉलो किया जाता है। इसमें पहला सामान्य कैलेंडर वर्ष होता है, जो 1 जनवरी से शुरू होता है और 31 दिसंबर को खत्म होता है। वहीं, दूसरा होता है वित्तीय वर्ष (Financial Year), जो 1 अप्रैल से शुरू होता है और दूसरे साल के 31 मार्च को खत्म होता है।

जैसा कि नाम से ही पता चलता है वित्तीय वर्ष में लोगों के आय और व्यय का लेखा-जोखा तैयार किया जाता है। इसी कारण 31 मार्च कई तरह की योजनाओं, कर भुगतान और ITR जैसे कामों को पूरा करने का अंतिम दिन भी होता है। पर क्या आपने कभी सोचा है कि इन कामों को पूरा करने के लिए 1 अप्रैल का दिन क्यों चुना गया, जबकि इसे 1 जनवरी से भी शुरू किया जा सकता है। तो आपको बता दें कि कहा जाता है कि इन चार कारणों की वजह से 1 अप्रैल को वित्तीय वर्ष के पहले दिन के रूप में चुना गया है।

1. ब्रिटिश नियम अब भी हो रहे फॉलो

1 अप्रैल को नए वित्तीय वर्ष के रूप में शुरू करने के पीछे ब्रिटिश सरकार का हाथ है। आजादी से पहले भारत में ब्रिटिश सरकार का शासन रहा, जो अपनी सुविधा के अनुसार 1 अप्रैल से लेखा अवधि का पालन करते थे। भारत के आजाद होने के बाद भी यह नियम चलता आया और आज भी हम ब्रिटिश नियम के अनुरूप काम कर रहे हैं।

2. फसल चक्र के हिसाब से तय किया गया कैलेंडर

भारत एक कृषि प्रधान देश है, जहां दो-तिहाई आबादी मुख्य रूप से कृषि पर निर्भर करती है। बहुत-से जानकारों के मुताबिक, फरवरी और मार्च में पैदावार की कटाई की जाती है और इससे होने वाले मुनाफे का लेखा तैयार किया जाता है। इसी के आधार पर यह तय किया जाता है कि सरकार का राजस्व उसस साल के लिए बढ़ने वाला है या घटने वाला है। वहीं, अप्रैल महीने से नई फसलों की बुआई की जाती है। इस कारण कटाई के साथ ही वित्तीय वर्ष को खत्म करना सही समझा गया।

3. दिसंबर में मिलता था कम समय

भारत में त्योहारी सीजन अक्टूबर और दिसम्बर के बीच होता है, जिसमें, नवरात्रि, दिवाली और क्रिसमस जैसे बड़े त्योहार आते हैं। इस दौरान जम कर खरीदारी की जाती है और खुदरा व्यपरियों के लिए यह मुनाफा कमाने का सबसे अच्छा मौका होता है, लेकिन 31 दिसंबर को वित्तीय वर्ष को समाप्त करने से उन्हें इसका लेखा तैयार करने के लिए बहुत कम समय मिलेगा। नतीजतन, दो महीने का अतिरिक्त समय देकर भारतीय वित्तीय वर्ष अप्रैल में शुरू होता है और 31 मार्च को समाप्त होता है।

4. हिंदू नव वर्ष का प्रतीक

बहुत लोगों का यह भी मानना है कि इसे हिंदू नव वर्ष के आधार पर रखा गया है। हिंदू कैलेंडर का पहला महीना यानी कि वैशाख मार्च-अप्रैल से शुरू होता है। इसलिए, यह भी एक कारण हो सकता है कि भारत सरकार ने भी भारत में अप्रैल से मार्च तक वित्तीय वर्ष शुरू करने के बारे में सोचा। हालांकि, संविधान अप्रैल में शुरू होने वाले वित्तीय वर्ष के लिए कोई प्रावधान नहीं है और व्यवसायों या संगठनों को सरकार के वित्तीय वर्ष के अनुसार अपने बहीखाते को रखने की आवश्यकता नहीं है।

 

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